चैत्र नवरात्रि 2020 : जानें क्या है पूजा के सही नियम, अखंड ज्योति से लेकर कलश स्थापना तक
जैसे-जैसे नवरात्रि आने वाले होते हैं तो दिल मे उमंग और जोश बढ़ने लगता हैं, हर जगह भक्तिमय माहौल होता हैं। हमारें घरों में भी नवरात्रों में खुशनुमा माहौल बना रहता हैं अपने घर में भी हम माता की चौकी सजाते हैं, कलश की स्थापना करते हैं, अखंड ज्योत प्रज्वलित करते हैं लेकिन ऐसा करते समय हमें कुछ सावधानी भी बरतने की जरूरत होती हैं क्योंकि नवरात्रि में अखंड ज्योत का काफी ज्यादा महत्व होता हैं इसके लिए अगर हम नियमों का पालन करें तो माता हमारी सभी मनोकामना पूरी करती हैं। आज के इस लेख में हम आपको चैत्र नवरात्रि में कौन से नियम मानने चाहिए बतायेंगे ताकि आप भी माता के इन पावन दिनों में सही तरीके से पूजा-पाठ कर सकें।
चैत्र नवरात्रि 2020: पूजा के नियम
उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापना
चैत्र नवरात्रे 25 मार्च से शुरू हो रहे हैं एक बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि उत्तर-पूर्व दिशा में ही देवी-देवताओं की प्रतिमा की स्थापना को शुभ माना गया हैं माना जाता हैं कि उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण कहा जाता हैं और ये देवी-देवताओं का स्थान भी माना जाता हैं। इसी वजह से इस दिशा में माता की प्रतिमा और घट की स्थापना काफी शुभ मानी जाती हैं और बहुत शुभ फल देने वाली भी मानी जाती हैं।
कलश की स्थापना
हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कलश को कभी भी सीधे धरती पर स्थापित ना करें, कलश को चंदन के पटिये पर स्थापित कीजिए क्योंकि ये काफी शुभ फल देने वाला माना जाता हैं। एक बात का ध्यान और रखें कि कभी भी पूजा स्थल पर गंदे कपड़े या किसी तरह की गंदगी ना हो।
घर पर ध्वजा
अगर धार्मिक मान्यताओं की बात मानी जाए तो घर मे ध्वजा लगाने का विशेष महत्व हैं, हमेशा घर की छत पर ध्वजा उत्तर-पश्चिम कोने पर ही लगी होनी चाहिए और जिनके घर मे पहले से ही ध्वजा हो उन्हें नवरात्रों में ध्वजा बदलनी चाहिए।
यह भी पढ़ें : चैत्र नवरात्रि में घर में होते हैं ये 10 काम, तो माता रानी हो जाती हैं नाराज
माता की प्रतिमा
नवरात्रों में माता की प्रतिमा स्थापित करते समय ये ध्यान रखें कि जहां पर आप माता की प्रतिमा स्थापित कर रहें है वहां आस-पास की जगह थोड़ी खुली हो, इसके अलावा आपको यहा साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखना होगा।
अखंड ज्योत की स्थापना
नवरात्रों में अखंड ज्योत का भी भी विशेष महत्व होता हैं शास्त्रों के अनुसार अखंड ज्योत को कभी भी गलत दिशा में नहीं रखना चाहिए इसलिए अखंड ज्योत को हमेशा पूर्व-दक्षिण कोण जिसे आग्नेय कोण भी कहा जाता हैं, में रखनी चाहिए क्योंकि इससे काफी शुभ फल प्राप्त होता हैं। एक बात का अवश्य ध्यान रखें कि अखंड ज्योत का मुंह हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।