बायोग्राफी ऑफ श्री श्री रविशंकर | Biography of Shri Shri Ravishankar
वैसे तो हमारें देश मे बहुत से धर्म गुरु हैं लेकिन इन धर्मगुरुओं में कुछ ऐसे गुरु भी होते हैं जो किसी विशेष धर्म से ऊपर उठकर मानव धर्म के हित के लिए कार्य करते हैं उन्हीं में से एक हैं श्री श्री रविशंकर (Shri Shri Ravishankar)। ये एक मानवतावादी धर्मगुरु होने के साथ-साथ एक आध्यात्मिक नेता भी हैं और इनकी लोकप्रियता केवल भारत ही नहीं अपितु वैश्विक स्तर पर हैं, इनके अनुयायी इन्हें आदर के साथ श्री श्री के नाम से भी पुकारते हैं। श्री श्री रविशंकर (Shri Shri Ravishankar) ने ही आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना की हैं, आज हम आपको इनके जीवन के बारें में बताने जा रहें हैं
श्री श्री रविशंकर (Shri Shri Ravishankar) का शुरुआती जीवन
इनका वास्तविक नाम रवि शंकर हैं, इनका जन्म 13 मई 1956 को भारत के तमिलनाडु राज्य में हुआ था, बचपन से ही वो काफी प्रतिभाशाली बालक माने जाते थे। इनके पिता जिनका नाम वेंकट रमन था वो एक भाषाकोविद थे, इनके पिता जी ने इनका नाम आदि शंकराचार्य से प्रभावित होकर रखा था।
रविशंकर जी का बचपन से ही अध्यात्म की तरफ जुड़ाव था, मात्र 4 वर्ष की आयु में ही उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ करना शुरू कर दिया था, इसके अलावा उन्होंने बचपन से ही ध्यान और योग करना भी प्रारंभ कर दिया था। बचपन में श्री श्री रविशंकर (Shri Shri Ravishankar) के पिताजी ने उन्हें महर्षि महेश योगी के पास भेज दिया था, अपनी बुद्धिमत्ता की वजह से वो महेश योगी के सबसे प्रिय शिष्य बन चुके थे। बताया जाता हैं कि मात्र 17 वर्ष की आयु में ही उन्होंने फिजिक्स में डिग्री प्राप्त कर ली थी।
आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना
1989 में श्री श्री रविशंकर (Shri Shri Ravishankar) ने आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना की, जिसका मुख्य कार्य शिक्षा और मानवता का प्रचार प्रसार करना हैं। ये एक अंतरराष्ट्रीय गैर लाभकारी मानववादी संगठन हैं, आर्ट ऑफ लिविंग के द्वारा रवि शंकर जी व्यक्तियों के शैक्षणिक और आत्म-विकास के तनाव को समाप्त करके कल्याण की भावना को बढ़ावा देते हैं।
1997 में इनके द्वारा इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यू (International Association For Human Value) की स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को आपस में जोड़ कर रखने वाले मूल्यों को वैश्विक स्तर पर बढ़ाना था। इस संस्था ने अभी तक बहुत से सामाजिक कार्य किए हैं, भारत, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका में इनके दोनों संगठनों के द्वारा ग्रामीण इलाकों में विकास को बढ़ावा दिया जा रहा हैं अभी तक 40000 से भी ज्यादा गांवो में ये संगठन अपनी पहुंच बना चुका हैं।
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श्री श्री रविशंकर (Shri Shri Ravishankar) का संदेश
श्री श्री रविशंकर (Shri Shri Ravishankar) की सोच उनके द्वारा कहे गए कथन से साफ झलकती हैं उन्होंने कहा कि मैं एक तनाव और हिंसा मुक्त समाज चाहता हूं। गुरूदेव ने यह भी कहा हैं कि व्यक्ति के शरीर और मन के बीच में व्यक्ति की सांस एक कड़ी का कार्य करती हैं जो शरीर और मन को आपस में बांधे रखती हैं। उनका ये भी मानना हैं कि व्यक्ति को अन्य लोगों की सेवा भी करनी चाहिए और यही मानवता का सबसे बड़ा कार्य हैं।
रवि शंकर जी के अनुसार विज्ञान और आध्यात्म एक दूसरे के पुरक हैं नाकि विरोधी, उनके अनुसार वो ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जिसमें लोगों को ज्ञान का बोध हो और वो तनाव और हिंसा से दूर रहें।
सामाजिक कार्य
रवि शंकर जी ने अपने कार्यक्रमों के द्वारा भारत के हिंसा ग्रस्त राज्य जैसे कश्मीर, असम और अंतरराष्ट्रीय इलाके जैसे कोलंबिया, सीरिया, इराक, कोसोवो में हिंसा में शामिल लोगों को शांति के पथ पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया।
इसके अलावा अमेरिका में युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम के द्वारा अमेरिका के शहर और स्कूलों में नशा, शराब की लत और हिंसा की समस्या से निपटने के लिए कार्य किए जा रहें हैं। इसके अलावा इनके द्वारा इंडिया अगेंस्ट करप्शन (India Against Corruption) और वर्ल्ड फोरम फॉर एथिक्स (World Forum For Ethics) जैसे आंदोलन चलाए गए हैं।
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श्री श्री रविशंकर (Shri Shri Ravishankar) के द्वारा भारत के अंदरूनी इलाकों में कुल 618 ऐसे स्कूलों की स्थापना की हैं जहां बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती हैं ऐसे स्कूलों से 67000 से भी ज्यादा छात्रों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जा चुकी हैं। इसके अलावा वो पर्यावरण सरंक्षण से जुडी गतिविधियों से भी जुड़े हुए हैं उनके द्वारा भारत की 33 नदियों और हजारों की संख्या में जल निकाय का जीर्णोद्धार किया गया हैं। इसके अलावा आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन से जुड़े हुए समाजसेवियों के द्वारा कुल 36 देशों में लगभग 71 मिलियन पेड़ लगाए गए हैं।
विश्व भर में आपदा की परिस्थिति में भी इनका ये संगठन कार्यरत रहता हैं और राहत सामग्री जुटाने का भी कार्य करता हैं नेपाल, मेक्सिको, हैती, अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, भारत, श्रीलंका, जापान जैसे देशों में ये लोग आपदा के समय अपनी सेवा दे चुके हैं।