मान्यता: इस वजह से दाह-संस्कार के समय महिलाओं का श्मशान घाट जाना है वर्जित
श्रीमद् भागवत गीता के मुताबिक जिस प्राणी ने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित हैं| जब किसी भी इंसान की मृत्यु होती हैं तो उसका दाह-संस्कार किया जाता हैं| मृत्यु के बाद शवयात्रा और दाह-संस्कार किया जाता हैं| लेकिन किसी व्यक्ति के अंतिम यात्रा में पुरुष जाते हैं और स्त्रियों को श्मशान जाना अनुचित या वर्जित माना गया हैं| ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक महिलाएं किसी के भी दाह-संस्कार में तीन कारणो से नहीं जा सकती हैं| आइए जानते हैं उन कारणो के बारे में जो किसी महिला को श्मशान जाने को वर्जित मानता हैं|
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(1) पहला कारण
जब किसी व्यक्ति को दाह-संस्कार के लिए श्मशान ले जाया जाता हैं और वहाँ पर उसके शव को जलाया जाता हैं तब वहाँ के वातावरण में नकारात्मकता फैली रहती है और ऐसी जगहों पर महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा होता है| वो इसलिए क्योंकि नकारात्मक शक्तियाँ कोमल हृदय वाली महिलाओं पर हावी हो सकती हैं। इसके अलावा महिलाओं को दिमाग से संबंधित बीमाइयाँ हो सकती है।
(2) दूसरा कारण
हिंदू मान्यताओं के अनुसार अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले परिवार के सदस्यों को अपने बाल मुंडवाने पड़ते हैं। ऐसे में महिलाओं का मुंडन करवाना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए भी महिलाओं को दाह-संस्कार में शामिल होने के लिए मना किया जाता है ताकि उन्हें अपने बाल ना मुंडवाना ना पड़े|
(3) तीसरा कारण
ऐसी मान्यता है कि यदि कोई श्मशान घाट पर रोता है तो मरने वाले की आत्मा को शांति नहीं मिलती है। ऐसे में महिलाओं का हृदय पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा कोमल और विनम्र होता है| इसीलिए वो खुद को रोने से नहीं रोक पाती हैं। ऐसे में यदि वो श्मशान जाएंगी तो मृत व्यक्ति की आत्मा को दुख होगा और उसे मरने के बाद शांति नहीं मिलेगी| इसलिए भी महिलाओं का श्मशान जाना वर्जित माना गया हैं|