रहस्यमयी मंदिर : काशी के इस शक्तिपीठ के दर्शन मात्र से पूरी होती हैं सभी मनोकामना
काशी एक ऐसी पवित्र जगह हैं जहां पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से लोगों को मोक्ष मिलता हैं, इसके अलावा यहां काशी विश्वनाथ के दर्शन करने से व्यक्ति के जन्मों-जन्मों के बंधन कट जाते हैं। पर क्या आप जानते हैं काशी में एक ऐसा मंदिर हैं जो पूरे उत्तर भारत में नहीं हैं, हम बात कर रहें हैं कामाख्या देवी के मंदिर की। असम के गुवाहाटी में नीलगिरी पर्वत पर स्थित 52 शक्तिपीठ में से एक कामाख्या देवी का मंदिर तो वैसे भी विश्वप्रसिद्ध हैं। इसके जैसा दूसरा मंदिर पूरे भारत में कहीं भी नहीं हैं पर काशी में इस मंदिर के जैसा ही मंदिर स्थित हैं और इसका स्वरूप गुवाहाटी में स्थित मंदिर जैसा हैं। ये एक शक्तिपीठ हैं जिसकी बहुत मान्यता हैं, कहा जाता हैं मां की इस शक्तिपीठ के दर्शन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
अंबुबाची पर्व की हैं विशेषता
वैसे तो नवरात्रि वर्ष में दो बार आते हैं चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि पर बहुत ही कम लोगों को ये ज्ञात होगा कि इनके अलावा गुप्त नवरात्रि भी प्रति वर्ष आते हैं। गुप्त नवरात्रि के पहले दिन से काशी के इस पावन मंदिर में अंबुबाची पर्व की शुरुआत हो जाती हैं ये पर्व पांच दिनों तक चलता हैं जिसमे शुरू के तीन दिन तक केवल पुर्जा अर्चना की जाती हैं और आम लोगों के लिए प्रवेश पर प्रतिबंध होता हैं और फिर उसके बाद इसे आम जन के दर्शन हेतु खोल दिया जाता हैं लेकिन इस बार कोरोना के चलते आम जनता इस पर्व में सम्मिलित नहीं हो पाएगी।
काशी के इस शक्तिपीठ के पीछे हैं पुरानी मान्यता
बताया जाता हैं बहुत पहले एक अति निर्धन ब्राह्मण थे जिनकी स्थित दिन प्रतिदिन बहुत दयनीय होती जा रही थी, इसके अलावा वो काफी बीमार भी रहने लगे थे, एक बार जब वो ओडिशा गए तो उन्होंने देखा कि वहां कुछ महिलाएं एक जगह बैठकर पूजा करने में व्यस्त थी।
ब्राह्मण को उन महिलाओं ने कहा कि उनकी ये हालात पूर्वजन्म में अन्न के अपमान के कारण हुई हैं और उनको मां की 16 दिनों तक पूजा करने के लिए कहा, ब्राह्मण ने ऐसा ही किया और कुछ समय बाद वो एक वैभवशाली राजा बन गए थे। जब राजा ने दूसरा विवाह किया तो उनकी पत्नी ने राजा के हाथ मे बंधे धागे को फेंक दिया, धागा खोलते ही ब्राह्मण दुबारा से गरीब हो गया जिसके बाद वो ब्राह्मण फिर से ओडिशा गए लेकिन वो महिलाएं उन्हें नहीं मिली।
कामाख्या मंदिर का एक ऐसा रहस्य जिसे सुनकर दंग रह जाएंगे आप | YouthTrend
उसी जगह एक कुंआ मौजूद था जिसमें वो ब्राह्मण देव कूद गए और उन्होंने वहां एक विशाल बगीचा देखा जिसमें एक झूले पर एक देवी जैसी स्त्री झूला झूल रहीं थी, तब उस महिला ने उन्हें काशी में मां अन्नपूर्णा का मंदिर बनाने के लिए कहा। उसके बाद उन ब्राह्मण ने ऐसा ही किया, वर्तमान के वरिष्ठ पुजारी के अनुसार वो ब्राह्मण धनंजय महाराज थे।
बहुत ही दुर्लभ हैं ये काशी का मंदिर
मान्यताओं के अनुसार काशी का ये मंदिर भगवान राम और कृष्ण के युग से भी पुराना हैं, इसके अलावा इस मंदिर में मां पार्वती की ऐसी प्रतिमा हैं जो किसी अन्य मंदिर में नहीं हैं, इस प्रतिमा में मां पार्वती की गोद में बाल गणेश लेटे हैं जब भगवान शंकर ने बाल गणेश की गर्दन काट दी थी।