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104 सालों बाद लग रहा है ऐसा चंद्रग्रहण, इन चार राशियों की चमकेगी किस्‍मत

104 सालों बाद लग रहा है ऐसा चंद्रग्रहण, इन चार राशियों की चमकेगी किस्‍मत

चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण के बारे में हम सभी लोग जानते हैं| इस बार 27 जुलाई की रात खग्रास चंद्रग्रहण होगा| जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तब वह चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों को रोकती है और उसमें अपनी छाया बनाती है| इस घटना को चंद्रग्रहण कहा जाता है| खग्रास चंद्रग्रहण आषाढ़ पूर्णिमा की रात को होगा| खग्रास चंद्रग्रहण पूरे देश में दिखेगा इसके साथ ही यह यमुनानगर और आसपास के क्षेत्रो में दिखेगा|

104 सालों बाद लग रहा है ऐसा चंद्रग्रहण, इन चार राशियों की चमकेगी किस्‍मत

ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक ऐसा चंद्रग्रहण 104 साल के बाद दिखेगा। इस तरह का संयोग 104 बाद बन रहा हैं| माना जा रहा हैं की इस ग्रहण का प्रभाव चार राशियों मेष, सिंह, वृश्चिक व मीन के लिए श्रेष्ठ है। वहीं मिथुन, तुला, मकर और कुंभ के लिए यह चंद्रग्रहण उत्तम नहीं है। मिथुन, तुला, मकर और कुम्भ राशि वाले लोग ग्रहण के दौरान भगवान शिव और हनुमान की आराधना कर ग्रहण के प्रभाव को अपने अनुकूल बना सकते हैं।

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ज्योतिष शास्त्रियों ने बताया कि खग्रास चंद्रग्रहण का ग्रह गोचर के अनुसार अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलेगा| ग्रह गोचर में मकर राशि के केतु के साथ चंद्रमा का प्रभाव और राहु से उसका समसप्तक दृष्टि संबंध होना, युति कृत मान से कर्क राशि में राहु, सूर्य, बुध तथा मकर राशि में चंद्र, केतु, मंगल युति कृत दृष्टि संबंध होना, दो तरफा केंद्र योग का बनना और शनि व मंगल का वक्री होना अपने आप में विशेष घटना है। इस तरह की विशेष घटना को शुभ नहीं माना जाता हैं|

चंद्रग्रहण कब से कब तक

104 सालों बाद लग रहा है ऐसा चंद्रग्रहण, इन चार राशियों की चमकेगी किस्‍मत

खग्रास चंद्रग्रहण 27 व 28 जुलाई को 3 घंटे 55 मिनट के लिए लगेगा| यह सूतक-आषाढ़ पूर्णिमा ग्रहण प्रारंभ होने के तीन प्रहर यानी 9 घंटा पहले शुरू होगा। इसके दौरान मोक्ष तड़के 3.55 बजे होगा। वहीं ग्रहण स्पर्श रात 11:45 बजे होगा। इसके बाद ग्रहण सम्मिलन रात 1 बजे और उन्मूलन रात 2:45 बजे होगा।

क्या करें और क्या न करें

104 सालों बाद लग रहा है ऐसा चंद्रग्रहण, इन चार राशियों की चमकेगी किस्‍मत

ऐसी मान्यता हैं की सूर्यग्रहण में ग्रहण के 4 पहर पूर्व और चंद्र ग्रहण में 3 पहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए लेकिन बुजुर्ग, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर पूर्व तक खा सकते हैं। माना जाता हैं की जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। इसके अलावा ग्रहण वेद के प्रारंभ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग नहीं करना चाहिए और इस बात का ध्यान रखें की ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल ग्रहण ना करे।

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