Viral : एक ऐसी जगह, जहां किसान अपने खेतों में खेती के लिए करते हैं Helicopter का इस्तेमाल, वजह जाकर हो जाएंगे हैरान
Viral News : भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। देश की की एक बड़ी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है जो खेती कर अनाज उगाती है और पूरे देश का पेट भरती है। वैसे देखा जाए तो देश के अधिकतर किसान गरीबी रेखा में ही आते हैं, लेकिन कुछ किसान (Farmer) थोड़े पैसे वाले भी हैं। आज हम आपको एक ऐसे जगह के बारे में बताने जा रहे है, जो अपने खेतों में हेलीकॉप्टर (Helicopter) का इस्तेमाल करते हैं। जी हां, आपको ये जानकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह बिल्कुल सच है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर खेतों मे हेलीकॅाप्टर (Helicopter) का इस्तेमाल क्यों और कैसे। तो चलिए आपके इस सस्पेंस को खत्म करते है और बताते है कि आखिर इसके पीछे की क्या वजह है और कौन सी वो जगह है जहां के किसान खेती के लिए हेलीकॉप्टर का इसतेमाल करते है।
बता दें कि किसान अपने खेतों में लगे फलों को सुखाने के लिए हेलीकॉप्टर (Helicopter) का इस्तेमाल करते हैं। अब इसमें भी सोचने वाली बात ये है कि ऐसा कौन सा फल है, जिसे सुखाने में हेलीकॉप्टर की जरूरत पड़ जाती है, तो चलिए इसके बारे में भी बताते है….
चेरी के पौधों को बचाना होता है मुश्किल
चेरी (Cherry) तो आपने खाई ही होगी। इसे मैंगो शेक (Mango Shake) या और भी कई तरह के जूस में इस्तेमाल किया जाता है। स्वाद में मीठा लगने वाला ये फल आसानी से मिल तो जाता है, लेकिन इस फल को उगाना और उसके पौधों को बचाना इतना आसान नहीं है। खेती से जुड़े एक्सपर्ट्स कहते हैं कि चेरी को उगाने में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन अगर इलाके में बारिश हो जाए तो फिर पूरी फसल ही खराब हो जाती है. ऐसे में किसानों को बहुत ध्यान रखना पड़ता है कि चेरी की फसलों को ज्यादा पानी न मिले।
यहां के किसान हेHelicopter से सुखाते हैं फल
अगर कभी बारिश हो गई और चेरी (Cherry) की फसलों को ज्यादा पानी मिल गया, तो ब्रिटिश कोलंबिया (Colombia) के किसान उन्हें सुखाने के लिए हेलीकॉप्टर बुलाते हैं। बारिश के तुरंत बाद हेलीकॉप्टर को जमीन के नजदीक ठहरे हुए पोजिशन में उड़ाया जाता है और उसके पंखों की मदद से चेरी की फसलों पर से पानी को हटाया जाता है। इस तरह पौधे सूख जाते हैं, हालांकि कभी-कभी तेज हवा की वजह से फसलें खराब भी हो जाती हैं. इसलिए इसका भी ध्यान रखना पड़ता है।
बता दें कि चेरी की खेती विश्व में सबसे अधिक यूरोप और एशिया, अमेरिका, तुर्की आदि देशों में की जाती है| जबकि भारत (India) में इसकी खेती उत्तर पूर्वी राज्यो और हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, उत्तराखंड आदि राज्यों में कि जाती है| चेरी स्वास्थ्य के लिये अच्छा फल माना जाता है| यह एक खट्टा-मीठा गुठलीदार फल है| इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाये जाते है, जैसे- विटामिन 6, विटामिन ए, नायसिन, थायमिन, राइबोफ्लैविन पोटेशियम, मैगनिज, काॅपर, आयरन तथा फस्फोरस प्रचूर मात्रा में पाए जाते है| इसके फल में एंटीआक्सीडेट अधिक मात्रा में होता है, जो स्वास्थ के लिये अधिक अच्छा माना जाता है| इसको तीन वर्गो में विभाजित किया जाता है।
- मीठी चेरी जिसे प्रूनस एवियम कहते है, इसकी मूल क्रोमोजोम संख्या एन- 8 है, इसमें दो वर्ग की चेरी शामिल है एक हार्ट और दूसरी बिगारो
- खट्टी चेरी जिसका वैज्ञानिक नाम प्रूनस सीरैसस है, इसमें भी दो वर्ग की चेरी शामिल है, जैसे- एक अमरैलो तथा दूसरी मोरैलो
- ड्यूक चेरी जो पहले व दूसरे के संकरण से निकली है, यह एक पालीप्लायड चेरी है, जिसकी मूल क्रामोजोम संख्या 2एन- 32 है, सभी चेरी रोजेसी कुल की सदस्य हैं
उपयुक्त जलवायु
चेरी की खेती समुद्रतल से 2,100 मीटर की ऊँचाई के नीचे सफलतापूर्वक पैदा नहीं की जा सकती|परन्तु कश्मीर और कुल्लू की घाटियों में इसे 1500 मीटर की ऊँचाई पर भी सफलतापूर्वक पैदा किया जा सकता है| गर्मी में वातावरण ठंडा और शुष्क होना चाहिए
इसे लगभग 120 से 150 दिन तक अच्छी ठंडक यानि 7 डिग्री सेंटीग्रेट से कम तापमान की आवश्यकता होती है। अतः जिन स्थानों में उक्त दिनो तक 7 डिग्री सेंटीग्रेट से कम तापमान मिलता है वहीं इसे सफलतापूर्वक पैदा किया जा सकता है