वाराणसी में बनी 252 साल बाद आज भी वैसी की वैसी ही है मिट्टी से बनी मां दुर्गा की प्रतिमा
वाराणसी को धार्मिक नगरी की संज्ञा दी जाती हैं और इस प्राचीन शहर को लोग देश-विदेश से देखने के लिए आते हैं| ऐसे में वाराणसी की एक दुर्गा प्रतिमा ज्ञान-विज्ञान के दौर में किसी चमत्कार से कम नहीं हैं, यह प्रतिमा 252 सालों से जस की तस हैं| जिसके कारण लोग दूर-दूर से इस प्रतिमा को देखने के लिए आते हैं| ऐसे में आइए जानते हैं वाराणसी के इस दुर्गा प्रतिमा के खासियत के बारे में जो इतने सालों बाद भी जैसी की तैसी हैं|
दरअसल वाराणसी की यह प्रतिमा बांस के फ्रेम माटी-पुआल से बनी हैं, आज तक इसकी मिट्टी भी नहीं झड़ी हैं| वाराणसी के मदनपुरा इलाके की पुरानी दुर्गाबाड़ी में साल 1767 से स्थापित प्रतिमा को देखकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं| इस प्रतिमा के क्षरण रोकने के लिए किसी रासयानिक लेपन का भी इस्तेमाल नहीं किया गया हैं और ना ही किसी अन्य प्रकार का कोई प्रबंध किया गया हैं फिर भी यह प्रतिमा पहले के जैसी विराजित हैं|
इस प्रतिमा की स्थापना नवरात्रि में दुर्गापूजा के समय पश्चिम बंगाल के हुगली निवासी मुखोपाध्याय परिवार के मुखिया ने की थी और उसी समय से यह दुर्गा प्रतिमा अपनी वेदिका पर वैसी हैं जिस पर प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा की गयी थी| इस प्रतिमा के बारे में मुखोपाध्याय परिवार के नौवीं पीढ़ी के एक सदस्य ने बताया कि विसर्जन के दिन देवी ने उनके पूर्वजों को काशीवास की इच्छा से विसर्जन का निषेध किया था| इस कारण आज तक किसी ने प्रतिमा का विसर्जन करने के बारे में नहीं सोचा, बस नवरात्रि के दिनों में प्रतिमा के वस्त्र-शस्त्र बदल दिये जाते हैं|
यह प्रतिमा कई सालों से जैसी की तैसी हैं, इस प्रतिमा में सोलहवीं सदी की पूर्ति शिल्प कला की स्पष्ट छाप नजर आती हैं| यह प्रतिमा तैलीय रंग में गढ़ी गयी हैं, इस प्रतिमा के साथ श्री गणेश, देवी लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिकेय और महिषासुर भी हैं| इस प्रतिमा का दर्शन नवरात्रि के दिनों में बंगीय समाज के लोग जरूर करते हैं और सच्चे मन से देवी की पूजा-आराधना करते हैं|
इस प्रतिमा की स्थापना नवरात्रि की षष्ठी तिथि, शुक्रवार को शंख की ध्वनि और ढाक की थाप के बीच पूजा पंडाल में स्थापित किया गया| पंडाल की सजावट काफी भव्य की गयी थी, इसे देखने के लिए भारी मात्रा में लोग आ रहे हैं, लोगों की खुशी उनके चेहरे पर नजर आ रही थी| इतना ही नहीं वाराणसी के नई सड़क इलाके में स्थित सनातन धर्म के पूजा पंडाल में नौ फुट की दुर्गा प्रतिमा अचानक खड़ी होकर 16 फुट की ऊंची माँ काली के स्वरूप में परिवर्तित हो जाएगी, इस पूरी गतिविधि को टेक्नॉलॉजी के जरिये किया जाएगा| इस पंडाल को राजा बाहुबली के राजमहल के स्वरूप बनाया गया हैं|