20 सितंबर गुरुवार के दिन है महाएकादशी, एक मुट्ठी राई से मिलेगा राजयोग
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मा एकादशी कहते हैं। इस दिन आषाढ़ माह से शेष शैय्या पर निद्रामग्न भगवान विष्णु शयन करते हुए करवट बदलते हैं। इसलिए इसको परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं। यह श्री लक्ष्मी का परम आह्लादकारी व्रत है। इस एकादशी को भगवान के वामन अवतार का व्रत व पूजन किया जाता है। इस व्रत को करने से सभी प्रकार के मनोरथ सिद्ध होते हैं। यह पूजा वाजपेय यज्ञ के समान फल देने वाली समस्त पापों को नष्ट करने वाली होती है।
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यदि आपके जीवन में यदि पैसो की समस्या हैं या फिर आपके घर में दरिद्रता आ गयी हैं तो आज हम आपको इस दरिद्रता को दूर करने के उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं| यह उपाय एक मुट्ठी राई से किया जा सकता है| आइए जानते हैं, उपाय के बारे में जो आपकी दरिद्रता को दूर कर सकता हैं| यदि आपको राई के पत्ते मिल जाते हैं तो उसे घड़े के पानी में डालकर इस जल को अभिमंत्रित करके किसी भी व्यक्ति को स्नान कराया जाए तो उसकी दरिद्रता और रोग नष्ट हो जाते हैं| पत्तों को अभिमंत्रित करने के लिए भगवान विष्णु का कोई भी मंत्र ॐ भगवते वासुदेवाय नमः और एक माला 108 मंत्र की लक्ष्मी माता की उस पत्तों को अभिमंत्रित कर दे|
इसके अलावा यदि आपको लगता हैं कि आपके घर पर किसी ने कुछ कर दिया हैं तो उसको दूर करने के लिए तो आप थोड़े से राई के दाने ओसार लेना हैं और फिर उसको गोबर के कंडे में जला लेना हैं| इसके बाद आप नमक की सात छोटी-छोटी डल्ली, सात राई के दाने और सात सबूत लाल मिर्च ले ले| अब इसे अपने घर या पीड़ित व्यक्ति के ऊपर से सात बार इसको उल्टी दिशा में वार ले और इसे जलती आग में डाल देना हैं| इस बात का ध्यान रखे कि इस क्रिया को करते वक्त किसी से बात ना करे|