राखी के पीछे छिपी है ये पौराणिक कथाएं, एक बार जरूर पढ़ें
Youthtrend Religion Desk : रक्षाबंधन का त्यौहार भाई और बहन के अनमोल प्यार का त्यौहार हैं, इस दिन बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं तो वहीं भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा करने का वादा करता हैं, हर वर्ष राखी सावन माह की पूर्णिमा पर आती हैं और इस वर्ष राखी का पर्व 3 अगस्त को हैं। रक्षाबंधन से बहुत सी पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं, आज के इस लेख में हम आपकों कुछ बहुत ज्यादा चर्चित पौराणिक कथाएं सुनाने जा रहें हैं जिनका संबंध रक्षाबंधन से हैं।
जब द्रोपदी ने अपनी साड़ी के टुकड़े को फाड़कर रोका था श्रीकृष्ण का खून
ये तो हम सब जानते हैं कि महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अपनी मुंहबोली बहन बना रखा था, तो बात उस समय कि हैं जब भरे दरबार में शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण का अपमान किया जा रहा था लेकिन अपनी बुआ को दिए हुए वचन के अनुसार भगवान को शिशुपाल के 100 गुनाह माफ करने थे पर जैसे ही शिशुपाल ने 100 गुनाहों को पार कर दिया तो कृष्ण जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। इस घटनाक्रम में भगवान श्रीकृष्ण की तर्जनी उंगली से रक्त बहने लगा था जिसे देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़ कर उनकी उंगली में बांध दिया जिसके बाद कृष्ण जी का रक्त बहन बंद हो गया।ये घटना श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन घटी थी और जब कौरवों के भरे दरबार में दुशासन द्वारा द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था तो द्रौपदी के सम्मान की रक्षा कृष्णजी ने करके उनको हर संकट से निकालने का वादा पूरा किया।
जब मां लक्ष्मी को बनाना पड़ा राजा बलि को अपना भाई
एक और प्रचलित कथानुसार जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था और राजा बलि से तीन पग धरती मांग ली थी, राजा बलि काफी दयालु स्वभाव के थे इसलिए वो वामनदेव को तीन पग धरती देने के लिए तैयार हो गए थे। तब वामन देव के रूप में आए भगवान विष्णु ने अपने शरीर का आकार बढ़ा कर तीन पग में पूरी सृष्टि नाप ली थी और उसके बाद राजा बलि को पाताल लोक में रहने के लिए कह दिया था।
राजा ने विष्णुजी की ये बात स्वीकारते हुए उनसे एक वरदान मांगा कि मुझे हर समय आपके ही दर्शन हो, भगवान ने राजा को ये वरदान दे दिया, इसके बाद विष्णुजी राजा बलि के साथ पाताल लोक में रहने लगे। इस पूरे कालचक्र से मां लक्ष्मी चिंतित रहने लगी, एक बार जब नारद मुनि विष्णुलोक पहुंचे तो उन्होंने मां लक्ष्मी से उनकी चिंता का कारण पूछा तो माता ने पूरा किस्सा उन्हें बता दिया, तब नारद जी ने मां लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लीजिए और फिर उनसे भगवान श्रीविष्णु को मांग लीजिए।
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इसके बाद मां लक्ष्मी अपना रूप बदलकर पाताल लोक गई और वहां रोने लगीं, जब राजा बलि ने उनसे उनके रोने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि मेरा कोई भाई नहीं हैं, तब राजा ने मां लक्ष्मी को अपनी धर्म बहन बना लिया और फिर मां लक्ष्मी ने राजा बलि से श्रीविष्णु को मांग लिया, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा।