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तो इस वजह से कोर्ट ने सिनेमा जगत के सदाबहार अभिनेता देवानंद के काले कोट पर लगाया था बैन

हिंदी सिनेमा एक बहुत ही खूबसूरत गुलदस्ता है जो कि बहुत सारे बेहतरीन फूलों से मिलकर बना है। इस गुलदस्ते की खुशबू आज तक कायम है और इसे आज तक सदाबहार रखने वाले बहुत से कलाकार हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक उम्दा कलाकार के बारे में बताएंगे जिन्होंने बॉलीवुड में खास पहचान बनाई और वह आज भी सदाबहार हैं और बॉलीवुड को आज तक एक सुंदर फूल की तरह महका रहे हैं। वह अभिनेता कोई और नहीं बल्कि अपने हुनर, शानदार अभिनय और रूमानियत का जादू बिखेरने वाले बॉलीवुड के लीजेंड देवानंद हैं जिनका जादू आज भी बरकरार है।

छह दशकों तक बॉलीवुड में राज करने वाले देवानंद जी जैसा अभिनेता आज तक देखने को नहीं मिला है क्योंकि वह एक ही हैं उन जैसा कोई भी नहीं है। बता दें कि देवानंद जी अपने दौर के बहुत ही उम्दा कलाकार थे जिनका जादू सभी के सर चढ़ कर बोला था और आलम यह था कि उनके पीछे लड़कियां पागल थी। देवानंद की एक झलक देखने के लिए लड़कियां होश खो बैठती थी। बॉलीवुड के सदाबहार कलाकार देव साहब के काले कोट ने उन्हें ही समस्या में डाल दिया था। जी हां देव साहब अपने जमाने के फैशन आइकन थे जिन्हें बहुत सारे लोग फॉलो किया करते थे।

देवानंद की एक झलक के लिए छत से कूद पड़ती थी लड़कियां

देव आनंद की फिल्म ‘काला पानी’ के सुपरहिट होने के बाद उनके व्हाइट शर्ट और ब्लैक कोट का लुक काफी लोकप्रिय हुआ। व्हाइट शर्ट और ब्लैक कोट में वह बहुत ही हैंडसम दिखा करते थे जिसे देख लड़कियां उनकी दीवानी हो जाया करती थी। व्हाइट शर्ट और ब्लैक कोट ने उन्हें दिक्कत में भी डाल दिया जिसके चलते देवानंद जी के इस लुक पर बैन लगा दिया गया। बताया जाता है कि उनका काला कोट और उसे पहनने का अंदाज़ बेहद खास था और उनकी इस झलक को देखने के लिए कई लड़कियों ने सुसाइड करने की कोशिश भी की।

कोर्ट को लगनी पड़ी थी देव साहब के काले कोट पर पाबंदी

लड़कियां उन्हें काले कपड़ों में देखने के लिए अपनी छत से ही कूद पड़ती थीं। इतना पागलपन शायद ही किसी अभिनेता के लिए देखने को मिला हो। इन सब मामलों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट को देव आनंद के काले रंग के सूट पहनने पर प्रतिबंध लगाना पड़ा था। 1946 में फिल्म ‘हम एक हैं’ अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले देवानंद साल 1948 में आई फिल्म ‘जिद्दी’ के बाद स्टार बन गए और उन्होंने बहुत सारी हिट फिल्में बॉलीवुड को दी थी। देवानंद जी के बारे में आपको बहुत सी बाते नहीं पता होंगी तो आपको उन बातों से भी रूबरू कराते हैं।

दरअसल देव आनंद ब्रिटिश सशस्त्र बलों की राजसी भारतीय नौसेना में शामिल होना चाहते थे लेकिन उनका यह सपना अधूरा रह गया जिसके चलते उन्होंने चर्चगेट स्थित सेना के सेंसर कार्यालय में 165 रु प्रति महीना वेतन पर काम किया। फिल्मों में काम करने का फैसला उन्होंने अशोक कुमार की फिल्में ‘अछूत कन्या’ और ‘किस्मत’ को देखकर किया। देवानंद अशोक कुमार की एक्टिंग से बहुत प्रभावित हुए थे और बस खुद भी वह इस राह पर चल पड़े। देवानंद जी बहुत ही नेक इंसान थे वह आपने ऑफिस के फोन खुद ही रिसीव कर बहुत प्यार से कॉलर को ग्रीट भी करते थे, फिर चाहे वो उनका फैन ही क्यों न हो।

बता दें कि देव साहब को रात में सूप पीना पसंद था। उन्हें किताबों का और अपनी फेवरेट स्क्रिप्ट्स के कलेक्शन का बड़ा शौक था। उनका आफिस इन्हीं सबसे भरा हुआ दिखता था। देव साहब में जरा सा भी अभिमान नहीं था जबकि वह बहुत बड़े सुपरस्टार थे। इसके बाबजूद भी वह अपने किसी भी दोस्त या फैमिली मेंबर के बर्थडे पर पर्सनल नोट के साथ फूल भेजते थे और इतना ही नहीं अपनी पार्टीज में भी वह लोगों को हमेशा खुद ही फोन करके इन्वाइट करते थे। सिगरेट और शराब से उनका कोई वास्ता नहीं था और ना ही वह किसी के बारे में बेवजह की गॉसिप नहीं करते थे।

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