RecipeReligion

Makar Sakranti: जानिए, मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी, क्या है इसका महत्व?

Makar Sakranti: जानिए, मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी, क्या है इसका महत्व?

मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये पूरे भारत और नेपाल में अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है। पौष के महीने में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। यह पर्व जनवरी महीने के चौदहवें या पंद्रहवें दिन ही पड़ता है। मकर संक्रांति का त्योहार तमिलनाडु में पोंगल नाम के उत्सव के रूप में जाना जाता है तथा कर्नाटक ,केरल और आंध्रप्रदेश में इसे केवल संक्रांति के नाम से जानते हैं और इस दिन मुख्या रूप से खिचड़ी खाई जाती है।

Makar Sakranti: जानिए, मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी, क्या है इसका महत्व?

मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी ?

मकर संक्रांति के दिन लोग अलग अलग तरह के पकवान के साथ साथ खिचड़ी बनाते हैं। इस दिन खिचड़ी बनाने और खाने के खास महत्व होता है। इसी वजह से कई सारे जगहों पर लोग इस पर्व को “खिचड़ी” के नाम से भी जानते हैं। बता दें कि चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है तथा उरद की दाल को शनि देव का प्रतीक मानते हैं। खिचड़ी बनाने में हरी सब्जियों का भी प्रयोग किया जाता है तो हरी सब्जियां बुध का प्रतीक मानी जाती हैं। ऐसा ज्योतिष विद्या के जानकार पंडित कहते हैं कि खिचड़ी में जो गर्मी होती है वो मंगल और सूर्य से जुड़ी है।

Makar Sakranti: जानिए, मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी, क्या है इसका महत्व?

यह भी पढ़ें-मकर संक्रांति 2019: आइए जानें, मकर संक्रांति पर किन चीजों का करेंगे दान तो बनेंगे धनवान

इसी कारण मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से ग्रहों कि स्थिति काफी मजबूत बन जाती है। मकर संक्रांति के दिन लोग नया अन्न खाते हैं और इसके पीछे ये मान्यता है कि ऐसा करने से लोग पूरे वर्ष आरोग्य रहते हैं। इस दिन खिचड़ी खाने की एक और मान्यता है जो आगे हम आपको बताने वाले हैं। मान्यता है कि खिलजी के आक्रमण के दौरान बाबा गोरखनाथ के योगी खाना नहीं बना पाते थे और वे भूखे रहा करते थे। भूखे रहने की वजह से वे कमजोर होते जा रहे थे ।

Makar Sakranti: जानिए, मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी, क्या है इसका महत्व?

इन योगियों को भूखा देख कर बाबा ने उन्हें चावल , दाल और सब्जी को एकसाथ मिलाकर पकाने कि सलाह दी । इसे बनाने में उनका समय भी कम लगता था और वे ऊर्जावान भी महसूस करते थे।तभी से गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रख दिया। इसी कारण मकर संक्रांति के मौके पर आज भी गोरखनाथ के मन्दिर के पास खिचड़ी का मेला लगाया जाता है और बाबा को इसका भोग लगता है।

Youth Trend

YouthTrend is a Trending Hindi Web Portal in India and Continuously Growing Day by Day with support of all our Genuine Readers. You can Follow us on Various Social Platforms for Latest News of Different Segments in Hindi.