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International Women’s Day : देश की प्यारी, मधुबनी की दुलारी

हर साल की तरह इस साल भी गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत सरकार ने पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया है। इस सूची में मधुबनी जिले के रांटीगांव कि निवासी 52 वर्षीय दुलारी देवी का भी नाम शामिल है। दुलारी देवी के जीवन में संघर्ष लगन और समर्पण के बल पर दुलारी देवी ने यह मुकाम हासिल किया है इनकी सफलता की कहानी अपने आप में विख्यात है। कौन हैं ये दुलारी देवी जिनके बारे में इतनी चर्चा हो रही है और इनका नाम देश के सर्वोच्च पुरस्कारों में एक पद्म पुरस्कार के लिए भी नामित हुआ है, आइये जानते हैं मधुबनी की दुलारी देवी के बारे में।

मधुबनी की दुलारी, ऐसे बनी देश की प्यारी

मधुबनी की दुलारी

दुलारी देवी का जन्म बिहार के मधुबनी जिले के रांटी गांव में एक गरीब मल्लाह परिवार में हुआ था उनका बचपन बहुत ही गरीबी में बीता था वह कभी स्कूल का मुंह भी नहीं देखी थी 12 साल के उम्र में ही उनके माता-पिता उनके हाथ पीले कर दिए थे लेकिन पति के घर में उन्हें मां के जैसा प्यार नहीं मिला कुछ साल बाद 6 माह की उनकी बेटी की मौत हो गई, इस गम में वह अपने मायके वापस आ गई|

दुलारी देवी की मजबूरी

पति के घर से आने के बाद मायके में रहना भी उनके लिए मुश्किल था ऐसी परिस्थिति में उन्होंने अपने गांव के लोगों के घरों में झाड़ू पोछा का काम करना शुरू कर दिया। इसी बीच उनकी किस्मत पलट गई| जाने-माने मधुबनी पेंटर महा सुंदरी देवी के यहां उन्हें घरेलू काम मिल गया वहां काम करने के लिए उन्हें 6 रुपए मजदूरी के मिलते उनके वहां काम करते हुए वह महा सुंदरी देवी की देवरानी कर्पूरी देवी के संपर्क में आई देवानी जेठानी को मिथिला पेंटिंग करते देख दुलारी देवी के मन में पेंटिंग सीखने की इच्छा जागी शुरुआत में उन्होंने घर के आंगन को मिट्टी से पूछ कर उस पर लकड़ी के बरस बनाकर उसी से पेंटिंग बनानी शुरू कर दी|

मिथिला कला का ककहरा

मधुबनी की दुलारी

कर्पूरी देवी ने दुलारी देवी को मिथिला कला का ककहरा सिखाया कर्पूरी देवी के जैसे गुरु पाकर उनकी कला में तेजी से निखार आया समाज के निचली जाति से ताल्लुक रखने वाले दुलारी को शुरुआत में भगवान की पेंटिंग बनाने की इजाजत नहीं थी उन्होंने अपनी पेंटिंग में अन्य कलाकारों से अलग अपने आसपास के जीवन का चित्रण किया अपनी कला को एक नई दिशा दी।

अब तक दुलारी देवी करीब 10,000 से ज्यादा मिथिला पेंटिंग बना चुकी है और इनकी इस पेंटिंग को देश दुनिया के 50 से अधिक प्रदर्शनी में प्रदर्शित भी कर दिया गया है गीता उर्फ की किताब फ्लोइंग माय पेंट ब्रश और मार्टिन ली कॉन्फ्रेंस में लिखी किताब में दुलारी देवी की जीवन गाथा और कृतियां शामिल है इसके अलावा सतरंगी नामक एक अन्य किताब में भी उनकी कलाकृतियां शामिल है इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के आधार पाठ्यक्रम के मुख्य पृष्ठ के लिए भी दुलारी देवी की पेंटिंग को ही चुना गया था| अब तक वह मधुबनी पेंटिंग बनाती है देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी उनकी कला की बहुत तारीफ की है| दुलारी के यह कहानी समाज में रहने वाले हर औरत के लिए प्रेरणा स्रोत है|