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Wedding Rituals : शादी में क्यों होती है जूता चुराने की रस्म, वजह है काफी दिलचस्प

जूता चुराने की रस्म : हर देश में शादी-विवाह की अपने अलग-तौर तरीके व रिति-रिवाज होते है। वहीं अगर अपने देश में शादी में होने वाली रस्मों की बात की जाए तो यहां सभी धर्म व जाति के लोग अपनी-अपनी परम्पराओं (Ritual) का निर्वहन करते है। यहां शादी के दौरान गोद-भराई, तिलक, आदि से लेकर तमाम रस्में निभाई जाती है, इन्हीं में से एक है जूता चुराने की रस्म। जिसका दूल्हे और दुल्हन दोनों पक्ष को बड़ी बेसब्री से इंतजार होता है, इस दौरान गजब हंसी ठिठोली भी होती है। जैसा कि हम सभी जानते है कि जूता चुराने की रस्म में दुल्हन की बहनें दूल्हे का जूता चुराती है इसके बदले उन्हें पैसे देने की रिति (Wedding Rituals) है, लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर ये रस्म क्यों होती है, आखिर इसके पीछे की वजह क्या है। तो फिर चलिए आपको बताते है इसके पीछे का दिलचस्प कारण…

आपने देखा होगा कि पूरी शादी के दौरान दूल्हा अपने जूते पहन रखे होता हैं लेकिन ठीक फेरों की रस्म के पहले वे जूते उतार देता हैं। वहीं जैसे ही दूल्हा मंडप में जाने से पहले अपने जूते उतारकर बैठता है लड़की वालों की तरफ से कोई आकर उसके जूते चुरा ले जाता है। इसके बाद दूल्हे को जूते वापस लेने के लिए इसके बदले में लड़की वालों को पैसे देने पड़ते हैं। इस रस्म के दौरान दोनों पक्षों में जो तीखी नोक-झोंक देखने को मिलती है उसका एक अगल ही मजा होता है। चलिए अब जानते है कि आखिर ये जूते चुराने के पीछे की वजह क्या है।

तो इसलिए होता है जूता चुराने की रस्म

जूता चुराने की रस्म

बता दें कि, यह रिवाज रामायण काल से चल रहा है। जूता चुराने की रस्म (Rituals) के पीछे अलग-अलग कारण बताए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति के जूते उसके व्यक्तिव के बारे में बहुत कुछ बता देते हैं। ऐसे में दुल्हन की बहने अपने जीजा जी के जूते चुराकर ही उनकी परीक्षा लेती हैं और जूते देने के बदले पैसों की डिंमाड रखती है। साथ ही इस बात का भी पता लगाती है कि दूल्हा कितनी समझदारी के साथ अपने जूते वापस उनसे लेता है।

Wedding Rituals

रस्म के दौरान हंसी-ठिठोली, मौहाल को खुशनुमा करती है

जूता चुराने की रस्म, फेरों के बाद होती है और इसके ठीक बाद विदाई की तैयारियां शुरु हो जाती है, लड़की वाले विदाई को लेकर भावुक हो जाते हैं। ऐसे में ये बीच में जूता चुराने की रस्म पूरे माहौल को खुशनुमा बना देती है, क्यों इस दौरान दूल्हा-दुल्हन पक्ष के बीच जमकर हंसी-मजाक होता है, जो देखने में काफी दिलचस्प होता। दूल्हें की सालियां जूता न देने की जिद पर अड़ी रहती है, जबतक उनकी मांगी हुई रकम उन्हें नहीं मिल जाती। वहीं दूल्हा और उसके साथी इस दौरान उनसे ठिठोलियां करते है।

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एक दूसरे से जान-पहनान बढ़ाना मकसद

वहीं इस रस्म (Rituals) के पीछे एक और मकसद छुपा होता, बता दें कि इस दौरान दोनों परिवारों के सदस्य आपस में बातचीत भी करते है, जिससे उनकी एक दूसरे से अच्छी खासी जान-पहचान भी बढ़ती है। इससे रिश्ते और भी बेहतर होते हैं।

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