क्या होगा अगर पूरी दुनिया शाकाहारी हो जाए तो?
Youthtrend Health & Fitness Desk : खाने-पीने को लेकर हर किसी की अपनी पसंद हिती हैं किसी को शाकाहारी भोजन पसंद होता हैं तो किसी को मांसाहारी, हम किसी के ऊपर अपनी पसंद नहीं थोप सकतें। वास्तव में अगर देखा जाए तो मांसाहारी भोजन की तुलना में शाकाहारी भोजन के बहुत ज्यादा फायदे हैं और अब बहुत से देश भी मांसाहारी भोजन से हटकर शाकाहारी बनने की तरफ अग्रसर हैं लेकिन अभी भी दुनिया का एक बड़ा हिस्सा मांसाहार पर ही निर्भर हैं।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के द्वारा 2014 और 2018 में ब्रिटेन में आहार पर किये गए एक शोध के अनुसार मांसाहार भोजन की तुलना में शाकाहार भोजन से कम Co2 निकलती हैं। मांसाहारी भोजन से जहां प्रतिदिन 7.2 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड निकलती हैं तो वहीं शाकाहारी भोजन से मात्र 2.9 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड ही निकलती हैं, तो जरा सोचिए कि अगर पूरी दुनिया ही शाकाहारी हो जाए तो क्या होगा, आज के इस लेख में हम आपकों इसी बारें में बताने जा रहें हैं।
मांसाहारी भोजन से जुड़ा हैं बहुत बड़ा व्यवसाय
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर बेन फालान के अनुसार पूरी दुनिया में जो जानवर जुगाली करते हैं उनकी संख्या लगभग साढ़े तीन अरब हैं इसके अलावा लगभग 10 अरब से भी ज्यादा मुर्गियां-मुर्गे हैं और तकरीबन इतने ही मुर्गियों और मुर्गों को हर साल काटा भी जाता हैं। दुनिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा पशु पालन के व्यवसाय में हैं तो वही बहुत से लोग इनको काटने के व्यवसाय में हैं, ऐसे में अगर मांसाहारी भोजन बंद कर दिया जाएगा तो बहुत से लोगों से रोजगार छीन जाएगा तो ऐसे में पूर्ण शाकाहारी बनने से पहले इन लोगों के रोजगार का प्रबंध करना होगा।
मांसाहारी भोजन से ग्रीनहाउस में लगातार हो रहीं हैं बढ़ोतरी
आप जब किसी को शाकाहारी बनने के लिए कहेंगे तो वो आपसे ये जरूर पूछेगा कि मांसाहारी में क्या परेशानी हैं दरअसल प्राचीन समय में एक दूसरे को तोहफे के रूप में जानवर दिए जाते थे पर और समय घर में जानवर होना बड़े सम्मान की बात समझी जाती थी। एक रिसर्च के अनुसार मांसाहार की वजह से ग्रीनहाउस के प्रभाव में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई इसी शोध के अनुसार अमेरिका में एक परिवार में जिसमें 4 लोग हैं और वो सभी मांसाहार हैं तो उनके परिवार से दो कारों से भी ज्यादा ग्रीनहाउस गैस निकलती हैं और ये ग्लोबल वार्मिंग में बहुत प्रभाव डालते हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्को स्प्रिंगमैन ने कहा कि अगर मांसाहार भोजन में से सिर्फ रेड मीट को भी हटा दिया जाए तो ग्रीन हाउस गैस में 60 प्रतिशत से भी ज्यादा कमी हो सकती हैं।
मांसाहार भोजन के लिए होता हैं पर्यावरण को नुकसान
मांस देने वाले जानवरों के चारे के लिए, पीने के लिए, उनकी सफाई और जहां उन्हें रखा जाता हैं उसकी साफ-सफाई के लिए बहुत ज्यादा पानी का इस्तेमाल होता हैं जो अधिकतर समय किसी को दिखाई नहीं देता, इसके अलावा जब तक जानवर के कटने का समय आता हैं तब तक वो बहुत सा अनाज और भूसा खा चुका होता हैं और पानी भी बहुत ज्यादा खर्च हो चुका होता हैं। जानवरों के चारे के लिए जंगल काटे जाते हैं जिससे पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी बढ़ने लगी हैं यदि मांसाहार भोजन खाने वाले लोगों में कमी आ जाए तो पर्यावरण को भी बचाया जा सकता हैं।
बहुत से देश बढ़े हैं शाकाहार की तरफ तो भारत में बढ़े हैं मांसाहारी
राष्ट्रीय सैंपल सर्वे ऑफिस के एक आंकड़े के मुताबिक 2011-12 में देश में लगभग 8 करोड़ लोग मांसाहारी थे जो एक बहुत बड़ा आंकड़ा हैं, इसके बाद 2018 में एक शोध के अनुसार देश में मांसाहार भोजन करने वालो की संख्या में इजाफा हुआ और ये पूरे देश को 20 फीसदी पहुंच गया था। जबकि पश्चिम देशों में शाकाहारी भोजन को लेकर जागरूकता बढ़ी हैं जर्मनी में कुल जनसंख्या का लगभग 10% पूर्ण रूप से शाकाहारी हो चुके थे।
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क्या पूरी दुनिया हो सकती हैं शाकाहारी
ये कहना कि क्या पूरी दुनिया शाकाहारी हो सकती हैं ये बहुत ही संदेहपूर्ण हैं क्योंकि आप हर किसी की पसंद को जबरन नहीं बदल सकते, आप केवल उन्हें समझा सकते हैं लेकिन उनकी मानसिकता को बदलना आसान नहीं हैं, हां उन्हें ये तर्क अवश्य दिया जा सकता हैं कि शाकाहारी भोजन करने से मांसाहारी भोजन की तुलना में कम बीमारी होती हैं।