शास्त्रों के अनुसार, अगर इस दिन पति-पत्नी बनाते हैं संबंध तो जन्म लेगा किन्नर
यदि हम अपने समाज में देखे तो स्त्री व पुरूष को छोड़कर एक और अन्य भी वर्ग है, जो ना ही पुरूष है और ना ही स्त्री जिन्हें हमारा समाज किन्नर के नाम से जानता है। हम सभी के मन में कहीं न कहीं यह जानने कि इच्छा होती है कि किन्नरों का जन्म क्यों और कैसे होता है? जिस प्रश्न का उत्तर विज्ञान के पास भी नहीं है लेकिन आज हम आपको इस प्रश्न का उत्तर बताने वाले है जो हमारे हिन्दू शास्त्रों में बताया गया है। हमारे शास्त्रों में हर व्यक्ति के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक की सभी बातों का उल्लेख होता है। वहीँ शास्त्रों में कुछ ऐसे राज छुपे हुए है, जिसे बहुत से लोग नहीं जानते हैं। यह भी उन्हीं में से एक रहस्य है।
हमारे शास्त्रों के गर्भ उपनिषद में इस बारे में पुरी बात बताई गयी है, जिसमें स्त्री-पुरुष के संबंध, माँ के गर्भ में शिशु का जन्म, शिशु का विकास व इनसे जुडी सभी बाते बताई गयी है और यह भी बताया गया है कि गर्भ के दौरान 9 महीने शिशु क्या सोचता है और साथ ही क्या वह कारण है? जिससे एक किन्नर की उत्पत्ति होती है। इस उपनिषद में यह भी बताया गया है कि पति-पत्नी को किस दिन संबंध बनाना चाहिए और किस दिन नहीं बनाना चाहिए तो चलिए आज हम इन्हीं बातों से सम्बन्ध जरुरी जानकारी देते है, जो शास्त्रों में बताई गयी है।
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शास्त्रों में मंगलवार का दिन संतान प्राप्ति के लिए बहुत ही अशुभ माना गया है क्योंकि शनि का स्वामी मंगल होता है जिसे क्रोधी एवं विनाशकारी ग्रह माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन को किसी भी शुभ कार्य के लिए शुभ नही माना गया है। मंगल ग्रह के प्रभाव में जन्मे बच्चे बेहद क्रोधी, घमंडी और उनके स्वभाव में हिंसा पाया जाता हैं।
इसी प्रकार शनिवार और रविवार भी शास्त्रों के अनुसार संतान प्राप्ति के लिए शुभ नहीं माना गया है। ज्योतिष के अनुसार शनि ग्रह क्रूर व पापी ग्रह की श्रेणी में आता है इसलिए इस दिन पति-पत्नी का संतान उत्पत्ति के विचार से करीब आना अशुभ माना गया है। शनि ग्रह के प्रभाव से होने वाली संतान निराशावादी एवं नकारात्मक सोच वाली होती है। वहीँ रविवार का दिन भगवान सूर्य का दिन माना गया है इस दिन को पूजा-अर्चना के लिए समर्पित करना चाहिए और इस दिन संतान उत्पत्ति का विचार ‘पाप’ होता है। इस दिन जो स्त्री गर्भधारण कर लेती है उसका संतान क्रोध और ईर्ष्या स्वभाव का होता है।
शास्त्र के अनुसार सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार गर्भधारण के लिए शुभ दिन हैं। इन चार दिनों के गर्भधारण से उत्पन्न हुई संतान गुणी और मानसिक रूप से तेज होती है। हिन्दू शास्त्रों में बताया गया यह समय हमेशा याद रखना चाहिए।
नोट:- इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।