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Success Story: पिज़्ज़ा डिलीवरी से लेकर सड़क किनारे ठेला लगाने तक का काम कर आज यह 12वीं पास युवक है करोड़ों की कंपनी का मालिक

Success Story | कहते है जो व्यक्ति अपनी मदद करता है उसकी मदद तो खुद भगवान भी करता है, कुछ ऐसा ही हुआ है दिल्ली के निवासी सुनील वशिष्ठ के साथ जिन्होंने अपने बुरे समय से लड़ते हुए कभी भी उसके सामने घुटने नहीं टेके और अपनी तरफ से मेहनत करते रहे। अपने संघर्ष के चलते आज सुनील ने सफलता का अच्छा खासा मुकाम हासिल किया है। आज हम आपको सुनील वशिष्ठ की संघर्ष भरी कहानी बताने जा रहे है जिसके बारे में पड़कर आप खुद महसूस कर पाएंगे कि सफल होने से पहले सुनील ने कितनी मेहनत की है और इनकी कहानी से हम सबको प्रेरणा मिलती है।

Success Story: पैसों की कमी से छूटी पढ़ाई

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सुनील वशिष्ठ के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद ही खराब थी जिसकी वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई को जारी रख पाना मुश्किल हो रहा था। जब सुनील ने 10वीं क्लास पास की तो उनके पिताजी ने उन्हें आगे पढ़ने से मना कर दिया था जिसके बाद उन्होंने किसी तरह से कोशिश करते हुए 12वीं क्लास तो पास कर ली थी लेकिन उन्हें अब यहां से नौकरी की शुरुआत करनी पड़ गई थी। 

उन्होंने सबसे पहले एक दूध की दुकान पर मात्र 200 रुपये में पार्ट टाइम जॉब करना शुरू किया था, जिसकी वजह से वो अपना खुद का और अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने लगे थे। उन्होंने कॉलेज में एडमिशन लिया लेकिन फिर से पैसों की कमी होने की वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी।

बड़ी मुश्किल से मिली पिज्जा डिलीवरी बॉय की जॉब

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सुनील के सफलता की कहानी (Success Story) की शुरुवात तब हुई जब उन्होंने एक पिज्जा कंपनी में डिलीवरी बॉय की नौकरी के लिए अप्लाई किया, लेकिन अंग्रेजी कम जानने की वजह से उन्हें दो बार रिजेक्ट होना पड़ा पर आखिकार तीसरे प्रयास में उन्हें वहां नौकरी मिल गई। उन्होंने पिज्जा डिलीवरी बॉय का काम करना शुरू कर दिया था जिसमें उन्होंने बहुत मेहनत की और उन्हें जितना भी काम दिया गया वोउस काम को तय समय में पूरा कर दिया करते थे।

उनकी मेहनत को देखने के बाद उन्हें कंपनी की तरफ से बेस्ट एम्प्लॉई का अवार्ड भी दिया गया था, जिसके बाद उन्हें लगातार प्रमोशन मिलने लगी थी और अंत में वो कंपनी में मैनेजर की पोस्ट तक पहुंच गए थे जहां उन्होंने 5 साल तक काम किया लेकिन एक बार फिर जब चीजें उनके लिए अच्छी होने लगती है तो उनका बुरा समय शुरू हो जाता है। इसी दौरान एक बार जब उन्हें पत्नी की तबियत खराब होने की वजह से घर जाना पड़ गया तो अगले दिन उनसे जबरन इस्तीफा ले लिया गया।

फिर सड़क किनारे लगाने लगे फूड स्टॉल

नौकरी जाने के बाद उन्होंने फैसला किया कि वो अब नौकरी की जगह अपना खुद का ही काम करेंगे तो इसी वजह से उन्होंने 2003 में दिल्ली में सड़क किनारे फूड स्टॉल लगाने की शुरुआत कर दी जिसके बाद उन्हें पहले दिन ही ग्राहकों से काफी अच्छा रिस्पांस मिला था और बाद में धीरे-धीरे ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी। उनके सफलता (Success Story) की अभी शुरुवात हुई ही थी तब तक एक बार फिर उनका बुरा समय शुरू हो गया, आसपास के दुकानदारों ने उनके स्टॉल की शिकायत MCD से कर दी थी जिसकी वजह से उनको स्टॉल बंद करना पड़ गया था।

जिसके बाद उन्होने ये फैसला किया कि अब वो सड़क किनारे स्टॉल लगाने की जगह अपनी दुकान खोल कर ही काम करेंगे लेकिन उनके सामने यही सवाल था कि उन्हें दुकान किस चीज की खोलनी चाहिए। उन्होंने उसके लिए काफी रिसर्च किया जिसमें उन्होंने ये महसूस किया कि नोएडा में लगातार कंपनिया खुल रही थी तो ऐसे में केक शॉप खोलना फायदेमंद हो सकता है।

खुद्दार कहानी: कैसे हिट हुई उनकी केक की दुकान

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उन्होंने 2007 में अपने जानकारों से पैसे उधार लेकर फ्लाइंग केक्स नाम से एक केक शॉप खोली और लगभग 1 साल तक उन्होंने बिना किसी फायदे के काम किया, लेकिन इसी बीच वो बड़ी-बड़ी कंपनियों के आगे अपनी केक शॉप का कार्ड बांटते रहते थे ताकि ग्राहकों को उनकी दुकान के बारे में पता चल सके। उनकी मेहनत (Success Story) तब रंग लाइ एक बार एक महिला केक लेने जब उनकी शॉप में आई थी तो उन्हें उनकी दुकान का केक बहुत पसंद आया था जिसके बाद उस महिला ने सुनील वशिष्ठ को अपने ऑफिस में बुलाया था और उन्होंने अपनी कंपनी के सभी कर्मचारियों के बर्थडे सेलेब्रेशन के लिए केक के लिए उनसे कॉन्ट्रैक्ट कर लिया था।

बस यही से उनकी सफल (Success Story) होने की शुरुआत हुई थी शुरू में भले ही उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ लेकिन धीरे-धीरे उनकी दुकान की चर्चा बहुत सी कंपनियों में होने लगी थी और इस वजह से उनका व्यापार बढ़ने लगा था। अभी उनकी दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, कोलकाता, बैंगलोर जैसे कुल 15 शहरों में दुकानें है और जल्द ही अन्य शहरों में भी वो अपनी ब्रांच खोलने की सोच रहे है।