बॉलीवुड की ये 10 फिल्में बदलकर रख देंगी आपकी सोच, वाकई में कमाल की हैं कहानियां
छुट्टियां आती हैं हम नए नए प्लान्स बनाना शुरू कर देते है जहां कोई मूवी के टिकट खरीदने की सोचता है, तो कोई पार्टीज करने की, तो वही कुछ लोग घुमने की। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिनके लिए छुट्टिया आराम केवल आराम करने के लिए होता है। छुट्टियों के दिन ये लोग केवल घर में लेटकर आराम करना चाहते हैं। इन लोगों के पास छुट्टियों के समय अपने टाइम बिताने के लिए केवल एक ही ऑप्शन होता है जो कि है घर बैठकर मूवी देखने के मजे लेना। आजकल तो लगभग सभी के पास इंटरनेट हैं और मुकेश अम्बानी जी की कृपा है नहीं समझे मतलब जियो है। ऐसे में कोई भी मूवी, कभी भी ,कही भी, देखी जा सकती है।
अगर आप का भी इन छुट्टियों को लेकर कुछ ऐसा ही प्लान है और आप छुट्टियों में कुछ ऐसी मूवी देखना चाहते हो जिनका देखने से कोई मीनिंग निकले तो आइये हम आपको ऐसी 10 मूवी के बारे में बताते है जो आपको यूट्यूब पर मिल जाएँगी और इन्हें देखकर आप भी अपना दिन बना सकते है-
आई एम कलाम
ये मूवी Smile Foundation के द्वारा बनाया गया था। इस मूवी में एक बच्चा पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरित हो जाता है और एक बड़ा आदमी बनने का सपना देखने लगता है। यह फिल्म आपको जरुर प्रभावित करेगी।
‘मक़बूल’
ये मूवी क्राइम पर आधारित है ये मूवी अंडरवर्ल्ड के बैकड्रॉप में बनाई गई है लेकिन फिर भी आपको इस मूवी में आपको डार्क कॉमेडी देखने को मिल सकती है। दिग्गज कलाकारों का अभिनय आपको पूरे समय तक बांधकर रखेगा।
‘मातृभूमि’
इस मूवी में भ्रूण हत्या को विषय बनाया गया है इस मूवी में भ्रूण हत्या को लेकर एक अलग तरह की सोच को दर्शाया गया है। मूवी में आज से कई सालों बाद के एक गांव को दर्शाया गया है, जहां पर सिर्फ मर्द ही मर्द है। फिर एक औरत के मिल जाने पर गांव में क्या-क्या होता है, यह इस मूवी में दर्शाया गया है।
‘सलाम बॉम्बे
इस मूवी में झुग्गी-बस्तियों में रह रहे बच्चों की जिंदगी कैसी होती है इस पर आधारित है ‘सलाम बॉम्बे’ 1988 की मूवी है। लेकिन इस मूवी में आज भी उतनी ही देखने में दिलचस्प है। इस मूवी में झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले बच्चे गलती से अंडरवर्ल्ड और वेश्यावृति की दुनिया में खो जाते है।
‘दसविदानिया’
इस मूवी का टाइटल ‘दसविदानिया’ है जिसका अर्थ ‘विदा’ है। ये मूवी आम आदमी पर आधारित हो जिसमे आम आदमी बने विनय पाठक को पता चलता है कि उनकी मौत होने वाली है तो वो 10 कामों की लिस्ट बनाते हैं जो वो आखिरी समय में करना चाहते हैं। यह फिल्म इन 10 इच्छाओं को पूरा करने में घूमती है और आपको ये मूवी जरुर पसंद आएगी।
‘अर्थ’
1947 में बनी भारत-पाकिस्तान के विभाजन पर आधारित ये मूवी दिल को छु जाने वाली है। इस मूवी में विभाजन के कारण से विभिन्न धर्मों के दोस्तों के अलग हो जाने की कहानी है।
‘थैंक्स माँ’
यह मूवी देखने के बाद आपके आँखों में से पानी भी निकल सकता है किसी नवजात बच्चे को अस्पताल में छोड़ देना व कूड़े में फेंक देना जैसी घटना अक्सर हम लोगो को देखने को मिल ही जाती है इसी घटना पर आधारित ये मूवी है बच्चों की एक्टिंग मूवी को और भी भावुक बना देती है।
‘डोर’
2006 में नागेश कुकुनूर द्वारा निर्देशित की गयी ये मूवी दो महिलाओ के अलग अलग पृष्ठभूमियों के साथ आने पर और अपनी अपनी लड़ियों को लड़ते हुए दर्शाया गया है इस मूवी में आयशा टाकिया और गुल पनाग ने बहुत ही अच्छा अभिनय किया है।
‘रंगरसिया’
इस मूवी में आपको 19वीं सदी के पेंटर राजा रवि वर्मा के बारे में बताया गया है। इस कहानी में राजा रवि वर्मा अपनी प्रेमिका को देवी के रूप में प्रस्तुत करते हैं और इसी कारण बवाल हो जाता है। इसी पर आधारित है ये मूवी जो आप देख सकते है।
‘सुपरमेन ऑफ़ मालेगांव’
इस मूवी में कोई भी जाना-पहचाना चेहरा नहीं है। लेकिन इस मूवी में महाराष्ट्र के मालेगांव के गरीबी और जातीय हिंसा को दर्शाया गया है और इन सब के बावजूद फिल्मो को देखने के लिए क्रेज दिखाया गया है। ये भी मूवी आप देख सकते है।