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क्यों विशेष हैं नाग पंचमी का पर्व, जानें इसके पीछे की कहानी

सावन का महीना आते ही हिंदू त्योहारों की शुरुआत हो जाती हैं, इस महीने में सोमवती अमावस्या, हरियाली अमावस्या, तीज, रक्षाबंधन, शिवरात्रि और नाग पंचमी जैसे त्यौहार आते हैं, सावन के हर त्यौहार में भगवान शिव शंकर की पूजा की जाती हैं।

आज के इस लेख में हम आपकों नाग पंचमी के बारें में बताने जा रहें हैं, हिंदू धर्म में नाग और सांपों की पूजा तो प्राचीन काल से होती आ रही हैं, नाग हमेशा भगवान भोलेनाथ के गले में निवास करते हैं इस वर्ष नाग पंचमी का त्यौहार शनिवार 25 जुलाई को हैं, आइये जानते हैं क्यों खास हैं नाग पंचमी का ये पर्व।

नाग पंचमी नागों का पूजन करने से कटते हैं बहुत से दोष

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नाग पंचमी सावन महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी में आती हैं, नागपंचमी का पर्व भारत के अलावा नेपाल और अन्य हिंदू देशों में मनाया जाता हैं, इस दिन सांपो और नागों का पूजन करने से व्यक्ति को विशेष फल प्राप्त होता हैं, नाग पंचमी पर लोग काल सर्प पूजा भी करवाते हैं ताकि उनकी कुंडली में मौजूद काल सर्प दोष कम हो सकें। नाग पंचमी के दिन नागों को दूध पिलाने का भी रिवाज हैं, अगर ज्योतिशास्त्र की मानी जाए तो जिस व्यक्ति की कुंडली में अगर काल सर्प दोष हो तो उसे नाग पंचमी के दिन नागों के देवता की पूजा करनी चाहिए और उसके अलावा उनका रुद्राभिषेक करना चाहिए, इस उपाय के करने से काल सर्प दोष से छुटकारा मिलता हैं।

शनि और राहु पाप ग्रह के नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ते नागपंचमी पर पूजन करके

इस दिन अगर नाग-नागिन की पूजा की जाती हैं तो पूरे वर्ष आपकों किसी भी विषैले जीव या जंतुओं के काटने का डर नहीं रहता हैं, इसके अलावा नाग पंचमी पर पूजा करने से राहु और शनि ग्रह का नकारात्मक प्रभाव भी आप पर नहीं पड़ता। नाग पंचमी के दिन आपकों भगवान शिव शंकर का पूरे विधि-विधान के साथ पूजन करके रुद्राभिषेक करना चाहिए। इसके बाद आप नाग और नागिन की मिट्टी के द्वारा आकृति बना लीजिए और उन पर दूध, अक्षत और लाबा अर्पण कर दीजिए, इस उपाय को करने के बाद नाग-नागिन से अपने सभी कष्टों और बंधनों को मुक्त करने के लिए प्रार्थना करें।

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क्या हैं नाग पंचमी के दिन पूजन करने का शुभ मुहूर्त और क्यों पिलाते हैं नागों को दूध

नाग पंचमी की तिथि 24 जुलाई शाम 04:10 से शुरू हो जाएगी इसलिए पूजन का शुभ मुहूर्त 25 जुलाई दोपहर 01:55 तक रहेगा, इसे हम पूजा के लिए उत्तम काल भी कह सकते हैं, वैसे तो नागों का उल्लेख हर पुराण और हर कालखंड में हैं, पौराणिक कथाओं में ये भी बताया गया हैं कि ये हमारी पृथ्वी शेषनाग के ऊपर हैं। सावन के महीने में अधिक वर्षा होने की वजह से नाग अपने बिलों से बाहर आ जाते हैं, वो बाहर आकर किसी को नुकसान ना पहुंचाए इसलिए उनको दूध पिलाया जाता हैं और उनकी पूजा-अर्चना की जाती हैं।

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