Ayodhya Verdict : रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद पर Supreme Court का फैसला आज
आज लोगों के दिल और ज़ुबान पर सिर्फ एक ही बात ठहरी हुई है कि “राम मंदिर कब बनेगा” और फैसला कब या किस के पक्ष में आएगा? यही सब के बारे में आज हम बात करने वाले है| जब हम हमारा देश आजाद हुआ तब से ही अयोध्या कि इस 2.77 एकड़ की ज़मीन को लेकर विवाद देखने को मिल रहा है| जहां एक पक्ष उस ज़मीन को राम लला की भूमि होने का दावा करता है वहीँ दूसरी तरफ एक पक्ष उस ज़मीन पर बाबरी मस्जिद होने का दावा कर रहा है| यह विवाद सालों से ही चल रहा है लेकिन आज 40 दिन की कड़ी सुनवाई होने के बाद आज सुप्रीम कोर्ट Ayodhya Verdict पर अपना मजबूत फैसला सुनाने जा रहा है|
Ayodhya Verdict : फैसले से पहले देश की सुरक्षा के लिए कड़े इंतज़ाम
बता दे, कि पहले भी 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस ज़मीन को लेकर अपना फैसला दिया था| जिसमे विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बाटने की बात कही गयी थी लेकिन तीनों ही पक्षों ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया था| 16 अक्टूबर, 2019 से 40 दिनों तक सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आज 9 नवंबर, 2019 को सुबह 10:30 बजे अपना फैसला सुनाने वाली है|
इस बड़े फैसले को सुनाने से पहले देश की सुरक्षा को लेकर चीफ जस्टिस जज ने पुलिस महा निदेशक (DGP) से बात की है| फिलहाल इस बड़े फैसले को ध्यान में रखते हुए अयोध्या समेत कई जगहों पर धारा 144 को लागू कर दिया गया है| देश में कई जगह पर स्कूल और कॉलेज को फिलहाल बंद रखा गया है लेकिन अयोध्या दर्शन करने वालों को इस मामले में राहत दि गयी है|
5 जजों की टीम सुनाएगी फैसला
16 अक्टूबर 2019 से अब 40 दिनों तक सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आखिरकार, कोर्ट अपना फैसला सुनाने जा रही है| इस फैसले को 5 जज की टीम सुनाने वाली है| फैसला मुख्य जस्टिस रंजन गगोई की अध्यक्षता में 4 अन्य जज (एसए बोबोडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर) के साथ सुनाया जायेगा| फिलहाल ऐसी उम्मीदें जताई जा रही है कि सभी लोग इस फैसले का सम्मान करेंगे|
पीएम मोदी ने ट्विटर पर फैसले का आदर करने की बात कही
“यह फैसला भारत की शांति, एकता और सदभावना की और बल दे|” नरेन्द्र मोदी ने ट्विटर के जरिये सभी लोगों को कोर्ट के फैसले का सम्मान करने को कहा है और सबसे अपील की है कि “ फैसला चाहे किसी के भी पक्ष में आप सभी को कोर्ट के फैसले का सम्मान करना है| यह फैसला किसी की हार या जीत नहीं होना चाहिए, बल्कि ये फैसला देश की शांति, एकता और सदभावना के लिए लिया जा रहा है|