इस पूर्णिमा पर लगने वाला है ये दुर्लभ चन्द्रग्रहण, गलती भी ना करें ये काम
जिस रात पूरा चंद्रमा नजर आता है उस रात को हम पूर्णिमा की रत कहते हैं लेकिन यदि इस चाँद पर ग्रहण लग जाये तब हम इसे चन्द्र ग्रहण कहते हैं और इस वर्ष यानि की 2018 में 31 जनवरी को पूर्णिमा है और इस दिन वर्ष का पहला चन्द्रग्रहण भी लग रहा है। ज्योतिष के अनुसार ये दुर्लभ चन्द्रग्रहण है क्योंकि ये पूर्णिमा के दिन लगने वाला है ग्रहण है और हमारे पंचांग में लिखा है कि 31 जनवरी को सुबह 7 बजकर 7 मिनट 21 सेकेंड से सूतक काल शुरु हो जाएगा जो रात 8 बजकर 41 मिनट और 10 सेकेंड तक रहेगा। पूर्ण चन्द्रग्रहण का समय शाम 5 बजकर 58 से रात 8 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है की चन्द्र ग्रहण की रात चन्द्र देवता तकलीफ में होते हैं इसीलिए शास्त्रों में कुछ ऐसे काम का वर्णन किया गया है जिसे हमे चंद्रग्रहण की रात भूल से भी नहीं करना चाहिए अन्यथा हमारे जीवन में कई मुसीबते आ जाती हैं इसीलिए आज हम आपको बताएँगे की बुधवार को लगने वाले इस ग्रहण के दिन आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए जो की आपके लिए जानना अति आवश्यक है।
चन्द्रग्रहण लगने पर कौन से काम करने चाहिए
जिस दिन ग्रहण लगे उस दिन यदि आप किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं तो इससे आपको बहुत पुण्य मिलता है और पिछले किये गये पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन किसी गरीब और जरुरतमंद को दान करने से आपको जीवन में सफलता मिलती है जीवन में खुशियां आती हैं। शास्त्रों में लिखा है कि इस दिन मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ भी मिलता है इसीलिए ग्रहण के समय आप इन मन्त्रों का जाप करें।
तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन।
हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥१॥
इस श्लोक का अर्थ है- अन्धकाररूप महाभीम चन्द्र-सूर्य का मर्दन करने वाले राहु, सुवर्णतारा दान से मुझे शान्ति प्रदान करें।
विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत।
दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥
इस श्लोक का अर्थ है- सिंहिकानन्दन (पुत्र), अच्युत! हे विधुन्तुद, नाग के इस दान से ग्रहणजनित भय से मेरी रक्षा करो।
चन्द्रग्रहण लगने पर कौन से कम वर्जित हैं
चन्द्रग्रहण के दिन जब से सूतक काल शुरु हो जाए और जितनी भी समय तक रहे उस दौरान भगवान की पूजा नहीं करनी चाहिए इसके अलावा मंदिर का द्वार बंद रखना चाहिए और मुर्तियों को छूना भी नहीं चाहिए। जो भी खाना बना हो उस खाने में खाना तुलसी के पत्ते डाल देने चाहिए और ध्यान रहे की सूतक के समय कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए तथा सूतक के समय बाल या नाखुन नहीं काटने चाहिए।
हिन्दू पंचांग के अनुसार गर्भवति महिलाओं को ग्रहण के समय बाहर नहीं जाना चाहिए क्योंकि उसमे लिखा है की सुटक के समय राहु और केतु की दृष्टि इस काल में वक्री होती है जो गर्भवती महिलाओं के लिए काफी हद तक नुकसानदायक होती है और इस काल में बाहर निकलने से जन्म लेने वाला बच्चा गिरनेक का डर, बच्चे के अपंग होने के और इस तरह के कई परेशानिया की शंका बनी रहती है और सुतक वाले दिन गर्भवती महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई भी नहीं करनी चाहिए।