शिवपुराण के अनुसार, एक मुखी रुद्राक्ष से कभी दूर नहीं जाती लक्ष्मी
रूद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं, लेकिन इसमें से एकमुखी रूद्राक्ष सबसे खास होता हैं| एकमुखी रूद्राक्ष के बारे में कहा जाता हैं कि यह जिसके पास होता हैं, उस व्यक्ति के पास माता लक्ष्मी सदैव निवास करती हैं और यही कारण हैं कि बाजार में इसकी बहुत मांग हैं, मांग ज्यादा होने के कारण बाजार में नकली रूद्राक्ष भी मिलने लगे हैं| परंतु एक बात बता दें कि एकमुखी रूद्राक्ष बहुत दुर्लभ होता हैं और यह करोड़ो में एक पाया जाता हैं| एकमुखी रूद्राक्ष का आकार ओंकार की तरह होता है और यह कुछ-कुछ अर्धचंद्र के समान दिखाई देता है। ऐसा कहा जाता हैं कि इसमें साक्षात भगवान शिव बसते हैं क्योंकि भगवान शिव के नेत्र से गिरी अश्रु की पहली बूंद ही एकमुखी रूद्राक्ष बनी थी|
एकमुखी रूद्राक्ष के लाभ
(1) एकमुखी रूद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति भगवान शिव के समान शक्तिशाली हो जाता हैं|
(2) जो व्यक्ति अध्यात्म की राह पर चलना चाहता हैं वो एकमुखी रूद्राक्ष धारण करे और भगवान शिव का ध्यान करे|
(3) एकमुखी रूद्राक्ष धारण करने से मनुष्य अपने इंद्रियों पर काबू पा लेता हैं|
(4) जो व्यक्ति एकमुखी रूद्राक्ष धारण करता हैं, उसके पास कभी भी धन की कमी नहीं होती हैं|
(5) एकमुखी रूद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति बुरी शक्तियों के प्रभाव से बचा रहता हैं|
एकमुखी रूद्राक्ष कैसे धारण करे
इसे धारण करने के लिए सबसे उत्तम दिन महाशिवरात्री, प्रदोष और सोमवार का दिन माना जाता हैं| इस दिनों में से कोई भी शुभ मुहूर्त देखकर रूद्राक्ष को गंगाजल और गाय के कच्चे दूध से स्नान कराये, स्नान कराते समय ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करते रहें| अब रूद्राक्ष पर चंदन लगाकर बिल्व पत्र, आक का फूल और धतूरा चढ़ाएं, इसके बाद रूद्राक्ष की माला से ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र की 21 माला जाप करें और फिर एकमुखी रुद्राक्ष को लाल धागे या चांदी की चेन में धारण करे|
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रुद्राक्ष धारण करने वाले लोग निम्न सावधानियां बरते
(1) एकमुखी रुद्राक्ष जागृत होता हैं और इसके अंदर बहुत शक्ति होती हैं| इसलिए गर्भवती महिलाएं इसे धारण ना करे|
(2) जो पुरुष सात्विकता का पालन करते हैं वो ही एकमुखी रुद्राक्ष धारण करे|
(3) जो पुरुष मांसाहार, शराब आदि का सेवन करते हैं, वो इसे धारण ना करे|