LIC पॉलिसी नहीं आई पसंद तो इस तरह वापस पा सकते हैं अपना पैसा, जानिए नियम व शर्तें
LIC इंडिया के अंतर्गत आपको अपनी हर ज़रूरत के हिसाब से बीमा करवाने के ढेरों विकल्प मिलेंगे। आप अपनी बचत और मनचाही समयावधि के अनुसार बीमा पॉलिसी का चुनाव कर सकते हैं। कोई भी पॉलिसी लेने से पहले LIC ग्राहकों उस पालिसी से जुड़ी सारी नियम व शर्तें और आवशयक दस्तवेजो की जानकारी मुहैया करवाता है। फिर ग्राहको के संतुष्टि होने पर ही उन्हें पॉलिसी दी जाती है। कई बार देखा जाता है कि पालिसी लेने के बाद लोग असमंजस में पद जाते हैं और समझ नहीं पाते कि उन्होंने यह पॉलिसी लेकर गलती तो नहीं करी। एक बार पालिसी लेने के बाद मन में ढेरों सवाल आते हैं कि क्या सही पालिसी का चुनाव किया है यह नहीं। आप भी कभी इस तरह की परेशानी में फंस जाए तो इसका क्या उपाय है हम आपको बताते हैं।
आपको बता दें कि आप जब भी कोई बीमा पॉलिसी खरीदते हैं तो आपको उस पॉलिसी के बारे में जानने और समझने के लिए बीमा सौंपने आपको कुछ समय देती हैं। इस अवश्य के दौरान आप यह फैसला कर सकते हैं कि आप यह पॉलिसी जारी रखेंगे या फिर इसे वापस कर अपनेपैसे वापस लेना चाहेंगे। इस समय अवधि को फ्री-लुक पीरियड कहते हैं। भारत की भारत की बीमा नियामक संस्था IRDA के नियमानुसार बीमा कंपनी को बीमाधारकों को फ्री-लुक का समय देना आवश्यक है। आप फ्री लुक अवधि का लाभ आप 15 दिनों तक उठा सकते हैं। फ्री-लुक अवधि के दौरान आप कंपनी को पॉलिसी वापस कर सकते हैं।
किन पॉलिसियों पर मिलता है फ्री लुक पीरियड
फ्री-लुक अवधि सभी तरह की बीमा पालकियों पर लागू नहीं होती है। यह कम से कम 3 साल की जीवन बीमा पॉलिसी या स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी पर ही लागू होती है। इस समय अवधि के अंतर्गत बीमाधारक पॉलिसी वापस करने का अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। पॉलिसी के दस्तावेज मिलने के 15 दिनों के भीतर वापस किया जा सकता है।
कैसे करें फ्री-लुक के दौरान पालिसी वापस
यदि कोई पॉलिसीधारक अपनी ली हुयी पालिसी से संतुष्ट नहीं है तो वह बीमा कंपनी को उसकी फ्री-लुक अवधि की दिशा में काम करने के लिए एक प्राथना पत्र लिख सकता है। बीमाधारक कंपनी की वेबसाइट से फ्री लुक फार्म डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें बीमाधारक को पॉलिसी के दस्तावेज मिलने की तिथि, एजेंट की जानकारी और रद्द करने या बदलने के कारण के बारे में जानकारी देनी होती है। इसके साथ ही पॉलिसी सम्बंधित मूल दस्तावेजों को भी जमा करना होता है। पैसे वापस देने के मामले में पॉलिसीधारक को बैंक संबंधी जानकारी भी उपलब्ध कराने की जरूरत होती है।