जन्माष्टमी विशेष: जानें, कैसे हुई थी राधा की मृत्यु और क्या थी उनकी आखिरी इच्छा ?
आप जब भी श्रीकृष्ण के मंदिर में गये होंगे तो वहाँ आपको अकेले भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति नहीं दिखाई देगी बल्कि उनके साथ राधा जी की भी मूर्ति दिखाई देगी| दरअसल राधा श्री कृष्ण को एक-दूसरे के बिना अधूरा माना जाता है और दोनों की प्रेम-लीला पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। लेकिन क्या आपको मालूम हैं कि राधा जी की मृत्यु कैसे हुई थी और उनकी आखिरी इच्छा क्या थी। आइए आज हम आपको बताते हैं की मृत्यु से पहले राधा जी आखिरी इच्छा क्या थी|
भगवान श्री कृष्ण के मामा कंस ने उन्हें मथुरा आने का आमंतरण दिया था। उसी समय श्री कृष्ण, राधा जी से अलग हुए थे। लेकिन इन दोनों के लिए विधि का विधान कुछ और ही था| श्री कृष्ण से मिलने के लिए राधा द्वारिका पहुँच गयी| राधा को देखकर कृष्ण अति प्रसन्न हुये| लेकिन राधा को द्वारिका में कोई नहीं पहचानता था| राधा के अनुरोध करने पर उन्हें महल में एक देविका के रूप में नियुक्त कर दिया गया और राधा महल में रहने लगी|
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राधा महल से जुड़े कार्यो को वह देखा करती थी और मौका मिलने पर वो कृष्ण के दर्शन भी कर लेती थी| परंतु बढ़ती उम्र की वजह से उन्हें कृष्ण से दूर होना पड़ा| राधा एक शाम महल से निकलकर कहीं चली गयी| वो स्वयं भी नहीं जानती थी की वो कहाँ जा रही हैं| लेकिन कृष्ण को मालूम था की वो कहाँ जा रही हैं| समय बीतने के साथ राधा बिल्कुल अकेली हो गयी। अकेलेपन की वजह से उन्हें कृष्ण की याद आयी और वो किसी भी हाल में कृष्ण को देखना चाहती थी| राधा की इच्छापूर्ति के लिए कृष्ण उनके सामने उपस्थित हो गए। राधा कृष्ण को अपने सामने पाकर प्रसन्न हो गयी। लेकिन राधा के वो आखिरी क्षण थे जब उन्हें दुनिया को त्यागना था
राधा के आखिरी क्षण में कृष्ण ने उनसे कुछ मांगने को कहाँ लेकिन राधा ने कुछ मांगने से मना कर दिया। कृष्ण ने दोबारा अनुरोध किया तो राधा ने कहा कि वो आखरी बार उन्हें बांसुरी बजाते हुए देखना चाहती हैं। यह सुनकर श्री कृष्ण ने उनकी आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए बांसुरी बजाने लगे और बांसुरी की सुरीली धुन सुनते-सुनते राधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया। राधा की मृत्यु के बाद कृष्ण जी को बेहद दुख हुआ और उन्होंने बांसुरी को तोड़कर कोसों दूर फेंक दिया। जिस स्थान पर राधा ने अपनी अंतिम सांसे ली थी वहां राधा रानी के नाम से मंदिर स्थापित किया गया हैं और यह मंदिर आज भी महाराष्ट्र में स्थित हैं|