11 अगस्त को लगने वाला है साल का तीसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण, जानें कब लगेगा सूतक
इस साल का तीसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 11 अगस्त शनिवार को लगने वाला है। 11 अगस्त को कई तरह के संयोग बन रहे हैं। यह सूर्य ग्रहण सावन महीने के अमावस्या को लग रहा है। इस दिन शनिवार हैं, जिसके कारण इसे शनैश्चरी अमावस्या और इसी दिन हरियाली अमावस्या भी है। 11 अगस्त को त्रिवेणी में नवग्रह यात्रा भी शुरू हो जाएगी| इतने संयोग एक साथ बन रहे हैं| जिसकी वजह से इस दिन का मंत्र सिद्धि और दान-धर्म के लिए बड़ा महत्व है। जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के मध्य में आता है, तब यह पृथ्वी पर आने वाले सूर्य के प्रकाश को रोकता है और सूर्य में अपनी छाया बनाता है। इस खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं|
वैसे तो यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन इसकी वजह से जिस तरह के ग्रह संयोग बन रहे हैं| उसकी वजह से इसका असर प्रकृति पर पड़ने वाला है। 11 अगस्त को अश्लेषा नक्षत्र और कर्क राशि में दोपहर 1 बजकर 25 मिनट पर सूर्य ग्रहण लगना शुरू होगा। ग्रहण का मध्यकाल दोपहर 3 बजकर 16 मिनट पर होगा और इसका मोक्ष यानी समापन शाम 5 बजे होगा। सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने के 12 घंटे पहले ही प्रारंभ हो जाता है जबकि चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने के 9 घंटे पूर्व लगता है।
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इस ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटा 35 मिनट का होगा। ग्रहण का सूतक रात्रि में 1 बजकर 25 मिनट पर लगेगा| 11 अगस्त को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण नॉर्थ यूरोप, पूर्वी एशिया, साउथ कोरिया, मास्को, चीन, नॉर्थ अमेरिका जैसे देशों में दिखाई देगा। जबकि बांग्लादेश, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, इटली, मलेशिया, जापान, थाईलैंड, भारत और पाकिस्तान में दिखाई नहीं देगा।
ये जरूर करें ग्रहण काल में
11 अगस्त को लगने वाला सूर्य ग्रहण भले ही भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन आकाशमंडल में उपस्थित अन्य ग्रह इससे प्रभावित होंगे| जिसकी वजह से ग्रहों का असर प्रकृति, पर्यावरण और मनुष्यों पर जरूर होगा| इसलिए ग्रहणकाल के समय आप सब दान धर्म जरूर करें। शनैश्चरी अमावस्या होने के कारण इस दिन पवित्र नदी में स्नान करे और गरीबों को भोजन करवाएं या फिर वस्त्रो का दान करें।
इसके अलावा नवग्रहों की शांति के लिए नौ प्रकार के अनाज को किसी शिव मंदिर में अवश्य दान करें। ग्रहण के समय पाप करने से बचना चाहिए। गर्भवती स्त्रियों को अपना खास ध्यान रखना चाहिए| सूतक काल के समय मंदिर में प्रवेश करना, भगवान् की मूर्तियों को स्पर्श करना, भोजन करना, यात्रा पर जाना, मैथुन क्रिया आदि वर्जित माना गया है।