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वैज्ञानिकों ने किया दावा, सुलझ गया ‘बरमूडा ट्राएंगल’ का रहस्‍य, जानिये क्या है इसके पीछे का सच

वैज्ञानिकों ने किया दावा, सुलझ गया ‘बरमूडा ट्राएंगल’ का रहस्‍य, जानिये क्या है इसके पीछे का सच

वैज्ञानिकों ने किया दावा, सुलझ गया ‘बरमूडा ट्राएंगल’ का रहस्‍य, जानिये क्या है इसके पीछे का सच

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने बरमूडा ट्राइएंगल के रहस्‍यों को सुलझा लेने का दावा किया है। बता दें की बरमूडा ट्राइएंगल दुनिया की सबसे रहस्यमयी जगहों में से एक मानी जाती है वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि समुद्री जहाजों का इस रहस्‍यमयी बरमूडा ट्राइएंगल में गुम हो जाने का कारण 100 फीट ऊंची खतरनाक लहरें हो सकती हैं। आइये हम आपको रहस्यमयी बरमूडा ट्राइएंगल के बारे में विस्तार से बताते हैं

वैज्ञानिकों ने किया दावा, सुलझ गया ‘बरमूडा ट्राएंगल’ का रहस्‍य, जानिये क्या है इसके पीछे का सच

यहाँ से गुजरने वाली हर चीज हो जाती है लापता

माना जाता है कि पिछले 70 सालों तक कोई भी वैज्ञानिक वहाँ जाकर इस रहस्य को सुलझाने की हिम्मत नहीं दिखा पाया है क्योंकि इस क्षेत्र के पास से गुजरने वाली हर चीज देखते ही देखते समुद्र की गर्त में गायब हो जाती है चाहे वो समुद्री जहाज हो या फिर हवाई जहाज ही क्यों न हो बताते चलें कि नासा के सैटेलाइट्स ने अंतरिक्ष से पृथ्वी की कुछ ऐसी तस्वीरें खींची हैं जिनमें अटलांटिक महासागर में स्थित बरमूडा ट्राइएंगल के ऊपर मंडराते हुए बादलों की तस्वीरें भी शामिल हैं इन तस्वीरों से बरमूडा ट्राइएंगल के रहस्य को सुलझाने में सहायता मिल सकती है

चुंबकीय घनत्‍व का प्रभाव

इससे पहले ऑस्‍ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने बताया था कि बरमूडा ट्राइएंगल की भौगोलिक स्थिति और खराब मौसम के कारण ही अटलांटिक महासागर के उस क्षेत्र में रहस्यमयी रूप से समुद्री जहाज और हवाई जहाज गायब हो जाते हैं। बाद में कुछ वैज्ञानिकों ने उस क्षेत्र पर चुंबकीय घनत्व के प्रभाव की बात को भी स्वीकार किया था।

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इस क्षेत्र को ‘डेविल्‍स ट्राइएंगल’ के नाम से भी जाना जाता है

बता दें कि बरमूडा ट्राइएंगल का यह क्षेत्र फ्लोरिडा, बरमूडा और प्‍यूर्टो-रिका के बीच 700,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। माना जाता है कि पिछले सौ सालों के दौरान इस क्षेत्र में 1000 से भी अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इसलिए इसे ‘डेविल्‍स ट्राइएंगल’ के नाम से भी जाना जाता है। 1997 में दक्षिण अफ्रीका के तट से सैटेलाइट द्वारा पहली बार यहां उठने वाली ऊंची लहरें देखी गई जो मिनटों में खत्‍म हो जाती हैं। इसकी ऊंचाई 100 फीट तक बताई जाती है।

बादलों के नीचे बहती हैं तूफानी हवाएं

सैटेलाइट की तस्वीरों में साफ देखा गया कि बरमूडा ट्राइएंगल के ऊपर मंडराने वाले बादल आम बादलों से पूरी तरह से अलग थे इनमें से कुछ बादलों का आकार तो हेक्सागन की तरह है। इन बादलों के नीचे 274 किलोमीटर प्रति घंटे की तीव्रता से बवंडर बनाती हुई तूफानी हवाएं बहती है। वैज्ञानिकों ने रास्ते में आने वाली हर चीज को खुद में समा लेने वाले इस बवंडर को एयर बम बताया है। इसी एयर बम के नीचे आकर समुद्र से टकराने से ऊंची-ऊंची लहरें उठने लगती हैं। समुद्र में उठने वाली यही लहरें आस-पास मौजूद हर चीज को निगल जाती हैं।

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उल्‍लेखनीय है कि 200 से अधिक प्‍लेन और 1000 से अधिक लोगों को अपने अंदर समा लेने वाले इस ट्राइएंगल के रहस्‍य पर से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है। सबसे पहले एक समुद्री जहाज मेरी सेलेस्टी (Mary Celeste) के सन 1872 में रहस्यमयी ढंग से लापता हो जाने का मामला सामने आया था इसके बाद अटलांटिक के ऊपर से गुजरते हुए 5 दिसंबर, 1945 को TBM युद्धक बमवर्षक विमान फ्लाइट 19 (Flight 19) गायब हो गयी थी। इसके अलावा इस क्षेत्र से कई अन्य प्लेन और समुद्री जहाजों के भी लापता होने की बात कही गयी है

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