Mustard Pillow for Newborn : नवजात को क्यों लगाया जाता है राई का तकिया, जानें इसके फायदे व बनाने का तरीका
Mustard Pillow for Newborn : नवजात शिशु के जन्म से लेकर 6 महीने तक की उम्र काफी नाजुक होती है, इस दौरान माता-पिता को उसकी सेहत से लेकर खिलौने, कपड़े और उसके बिस्तर तक का बहुत ही खास ध्यान रखा पड़ता है। इतना ही नहीं शिशुओं (Newborn Baby) के अंगों को सीधा और शेप में रखने के लिए भी कई बातों का भी विशेष ध्यान देना पड़ता है, ख़ास तौर पर गर्दन क्योंकि नवजात शिशु अपने सिर को खुद से घुमा नहीं पाता। लम्बे समय तक एक ही पोजिशन में सोते रहने से उसका सिर चिपटा भी हो सकता है। तो ऐसे में आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि उनके सिर का शेप न बिगड़ें। अब सवाल ये उठता है कि आखिर आप किस तरह रखेंगे इन बातों का ध्यान और इसके लिए आपको क्या क्या करना होगा।
आपने देखा होगा कि पुराने समय में जब बच्चे के जन्म के कुछ दिनों बाद से ही उन्हें राई का तकिया (Mustard Pillow for Newborn) लगाकर सुलाया जाता था, ताकि उनके सिर के शेप को ठीक रखा जा सके, इससे बच्चे की गर्दन में लचक नहीं आती और सिर सुरक्षित रहता है। आज हम आपको बताते है कि नवजात शिशुओं को राई का तकिया लगाने के क्या-क्या फायदे है, इसका प्रयोग कैसे किया जाता है और इसे उपयोग करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
Mustard Pillow for Newborn : क्या होता है राई का तकिया
राई का तकिया या मस्टर्ड पिलो (Mustard Pillow for Newborn) सरसों के दानों से बनाया जाता है। राई का तकिया, सामान्य तकिए से ज्यादा मुलायम होता है इसलिए इसे नवजात शिशु के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे बनाने के लिए मुलायम कपड़े का इस्तेमाल होता है, सबसे पहले मुलायम कपड़े को तकिये के खोल का शेप दिया जाता है। इसके बाद उस खोल में सरसों के दाने भरकर उसे बंद कर दिया जाता है। लोगों का मानना है कि राई का तकिया लगाने से नवजात शिशु के सिर का आकार गोल होता है।
Mustard Pillow for Newborn : किस उम्र में लगाएं राई का तकिया
नवजात शिशु (Mustard Pillow for Newborn) को जन्म के पहले दिन से ही आप उसके सिर के नीचे राई का तकिया लगा सकते हैं, क्योंकि शुरूआत में बच्चे का सिर मुलायम होता है और बच्चे जब तक करवट नहीं लेना सीखते तब तक वो एक ही पोजिशन में सोये रहते हैं जिसके कारण उनके सिर का शेप भी बिगड़ सकता है। अगर शुरूआत से ही आप बच्चे के सिर के नीचे राई का तकिया लगाएंगे तो उसके सिर को सही गोल शेप मिल जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार, जन्म से लेकर 8 से 9 महीने की उम्र तक राई से बने तकिये का इस्तेमाल किया जाए तो उनके सिर के शेप को ठीक रखा जा सकता है, क्योंकि ये एक नाजुक समय होता है इसमें सिर पर लगी मामूली चोट भी गंभीर समस्या का रूप ले सकती है। ऐसे में अगर आप बच्चे के सिर के नीचे राई का तकिया लगाएंगे तो वो फायदेमंद होगा। आप बच्चे को एक साल का होने तक भी राई का तकिया लगा सकते हैं।
कैसे बनाएं राई का तकिया | Mustard Pillow for Newborn
- राई को अच्छी तरह से धोकर सुखा लें, इससे नमी चली जाएगी।
- एक मीटर कॉटन का कपड़ा लें 10 x 5 इंच का तकिया बनाएं और उसे तीन साइड से सिल दें।
- जिस साइड से तकिया खुला रहता है, उधर से राई भर दें, आपको साइज के मुताबिक राई भरनी है।
- सिर के जगह खाली छोड़ें और बाकि जगह राई भर दें, अंत में आप चारों तरफ से सिल दें।
- तकिया तैयार है, आपको तकिया को सूखा और साफ रखना चाहिए।
- आप राई की जगह तकिए में थर्माकोल बॉल भी भर सकते हैं।
- आपको बच्चे को तकिए से पहचान करवाना चाहिए, जिससे बच्चा अपने तकिए को पहचाने और उस पर सोना चाहे।
नवजात शिशु के लिए फायदेमंद है राई का तकिया
बता दें कि राई की तासीर गरम होती है जिससे बच्चे को ठंड के दिनों में सर्दी लगने की संभावनाएं भी कम हो जाती है। राई के तकिए से बच्चे के सिर का शेप भी नहीं बिगड़ता और गर्दन पर प्रेशर भी नहीं पड़ता। राई का तकिया एक सही वजन में बनता है जिससे बच्चे के सिर के पीछे समान दबाव पड़ता है, इससे तकिया बच्चे के सिर का सही शेप ले लेता है और बच्चे को सोने में परेशानी नहीं होती। वहीं जन्म के समय जब बच्चे को गर्भनाल से अलग किया जाता है तब भी बच्चे के सिर का आकार बिगड़ जाता है जिसे ठीक करने के लिए राई का तकिया (Mustard Pillow for Newborn) फायदेमंद होता है।
राई का तकिया लगाने के फायदे | Benefits of Mustard Pillow
- राई का तकिया (Mustard Pillow for Newborn) लगाने से बच्चे का दिमाग तेजी से बढ़ता है, मानसिक स्वास्थ्य के लिए राई का तकिया फायदेमंद माना जाता है।
- राई का तकिया लगाने से बच्चे के सिर की शेप अच्छी रहती है, बच्चे के सिर का भाग बाहर की तरफ नहीं निकलता।
- गर्दन को स्थिर रखने और लचक आने से बचने के लिए राई का तकिया लगाना फायदेमंद होता है।
- राई के कारण बच्चे को ठंड लगने की संभावना कम हो जाती है और बच्चा आरामदायक तरीके से सो पाता है।
- बच्चे का सिर, राई के तकिए से एडजस्ट हो जाता है जिससे नींद में बच्चे को डिस्टर्ब नहीं होता और गर्दन भी नुकसान से बच जाती है।
राई के तकिया का उपयोग करते समय दें इन बातों का ध्यान | Mustard Pillow for Newborn
- कपड़े में राई के दानें तभी भरें जब सरसों की नमी पूरी तरह से सूख जाए, क्योंकि नमी युक्त राई के दाने भरने से उनमें सड़न हो सकती है।
- तकिए में बहुत ज्यादा राई के दानें न भरें, ऐसा करने से राई का तकिया कठोर हो सकता है। इसलिए कम मात्रा में ही कपड़े में राई के दानें भरें, जिससे यह नर्म रहे।
- राई के तकिए को धोएं नहीं, राई का तकिया बनाने के बाद उसपर मुलायम कपड़े की कवर चढ़ाएं, जिससे सिर्फ तकिए का खोल गंदा हो और उसे आसानी से धोया जा सके।
- बच्चे के लिए राई का तकिया (Mustard Pillow for Newborn) इस्तेमाल करते समय बच्चे के सिर के पोजिशन का खास ध्यान रखें। साथ ही थोड़े-थोड़े समय पर बच्चे के सिर और गर्दन के पोजीशन को बदलते भी रहें।
- गर्मी के दिन में बच्चे को सरसों के तकिये पर न सुलाएं।
- शुरू-शुरू में बच्चे का सिर राई के तकिए पर कैसे रखें, इसमें नई माताओं को परेशानी हो सकती है। ऐसे में वो घर के बड़े-बुजुर्ग या नर्स की मदद लें।
- सरसों का तकिया (Mustard Pillow for Newborn) देते वक्त ध्यान रखें कि तकिये की सिलाई मजबूत हो और तकिया चारों तरफ से पूरी तरह से सिला हो। अगर तकिया फटा हुआ होगा, तो सरसों के दाने बच्चे के कान में जाने का जोखिम हो सकता है।
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