Kangra Fort : आज भी यहाँ मौजूद है खजाने से भरे 8 कुएं! 3500 साल पुराना है किले का इतिहास
Kangra Fort : भारत में कई ऐसे पर्यटन स्थल है जो काफी प्राचीन और रहस्यमयी है, जिनका इतिहास सदियों पुराना है। आज हम आपको भारत में स्थित एक ऐसे किले के बारे में बताने जा रहें है, जो खजाने के रहस्यों को समटे हुए है। इस खजाने की गुत्थी सुलझाने में बड़े-से बड़े लोगों के पसीने छूट गए। ऐसा कहा जाता है कि आज भी इस किले में 8 कुएं है जो खजाने से भरे हैं, लेकिन आज तक कोई इन्हें ढूंढ नहीं पाया। तो चलिए जानते है कि ये किले कहां स्थित है और इस खजाने से जुड़ा रहस्य क्या है।
Kangra Fort : यहां स्थित है किला
दरअसल, हम जिस जगह की बात कर रहें है, वो हिमाचल प्रदेश के फेमस टूरिस्ट प्लेस धर्मशाला से लगभग 20 किमी दूर कांगड़ा शहर के बाहरी इलाके में स्थित है। जिसका नाम है कांगड़ा किला (Kangra Fort), यह भारत के सबसे पुराने और सबसे बड़े किलों में से एक है। इस किले पर माझी और बाणगंगा नदियों का संगम है, यहां से आप धौलाधार का खूबसूरत नजारों को भी देख सकते हैं।
3500 साल पहले कटोच वंश के राजा ने कराया था किले का निर्माण
कागड़ा का किला (Kangra Fort) 4 किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करता है और शिवालिक पहाड़ी पर 463 एकड़ में फैला हुआ है। स्थानीय मान्यता के अनुसार लगभग 3,500 साल पहले कटोच वंश के महाराजा सुशर्मा चंद्र ने इस किले का निर्माण करवाया था। लेकिन कई लोग इस बात को नहीं जानते होंगे कि उन्होंने महाभारत की लड़ाई में कौरव राजकुमारों के खिलाफ युद्ध लड़ा था।
किले में प्रवेश पर कलम कर दिया जाता था सर
युद्ध खत्म होने के बाद, वह अपने सैनिकों के साथ कांगड़ा वापस आ गए। वहां उन्होंने त्रिगर्त की बागडोर संभाली और दुश्मनों से अपने राज्य की रक्षा के लिए इस किले का निर्माण किया। Kangra Fort के बारे में कहा जाता है कि किले में जो कोई भी प्रवेश करता था, उसे गार्ड द्वारा सिर काटने की इजाजत दी हुई थी। किले में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति का सिर काटने की इजाजत इसलिए दी गई थी, क्योंकि ये खबर दूर-दूर तक फैल गई थी कि किला खजाने से भरा हुआ है और महमूद गजनी, सिकंदर महान और अन्य जैसे कई राजाओं ने इस पर कब्जा करने की कोशिश की थी।
Kangra Fort : कहाँ से आया इतना धन
कहा जाता है कि हिंद और अन्य शासकों ने घर के मंदिर में देवताओं को चढ़ाने के लिए किले में गहने, सोना और चांदी भेजा करते थे। वे ऐसा करके वे पुण्य कमाना चाहते थे। इसलिए, कांगड़ा किले (Kangra Fort) में धन इकठ्ठा होना शुरू हो गया, जो बाद में किसी के लिए भी इसकी मात्रा का पता लगाना मुश्किल हो गया।
आज भी 8 गुप्त कुएं खजाने से भरे हैं
माना जाता है कि किले में 21 खज़ाने के कुएँ हैं, जिनमें से प्रत्येक की गहराई 4 मीटर गहरी और 2.5 मीटर चौड़ी है। 1890 के दशक में गजनी के शासक 8 कुओं को लूटने में सफल रहे, जबकि ब्रिटिश शासकों ने पांच कुओं को लूट लिया था। ऐसा कहा जाता है कि किले में अभी भी खजाने से भरे 8 और कुएं हैं जिनका पता लगाना बाकी है।
किले को कब्जा करने के लिए 52 बार मुगलों ने किया प्रयास
बता दें कि अकबर के नेतृत्व में मुगल सेना ने 17वीं शताब्दी में इस किले पर कब्जा करने के लिए 52 बार प्रयास किया था, लेकिन वे असफल प्रयास रहें। किला आखिर में ब्रिटिश सैनिकों के हाथों में चला गया और वे तब तक रहा जब तक कि अप्रैल 1905 में एक भीषण भूकंप ने इसकी मजबूत नींव को हिला नहीं दिया।
आज ऐसा दिखता है Kangra Fort
भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, एएसआई ने एक निश्चित समझौते के तहत कटोच राजवंश के महाराजा जय चंद्र को ये किला वापस कर दिया। यह किला एक लंबे बाहरी सर्किट के जरिए दोनों तरफ 4 किमी के क्षेत्र को कवर करता है। यह राजसी विशाल भागों और काले पत्थर से बनी विशाल दीवारों द्वारा संरक्षित है। महल के प्रांगण के नीचे अंबिका देवी, लक्ष्मी नारायण और भगवान महावीर के मंदिर हैं। किले में 11 द्वार और 23 गढ़ हैं। मुख्य मंदिर के द्वार के ठीक बाहर सबसे प्रमुख रक्षा द्वार है जिसे अंधेरी दरवाजा के नाम से जाना जाता है। यह 7 मीटर लंबा और चौड़ा है जिसमें से दो आदमी या एक घोड़ा गुजर सकता है। दरवाजे का निर्माण दुश्मन सैनिकों के हमले को रोकने के लिए किया गया था।
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