इंटरनेशनल रेसलर खली के लिए तीन करोड़ रुपये का इंतजाम करने में सरकार की हालत हुई खराब, जानें पूरा मामला
ग्रेट खली के नाम से दुनिया में प्रसिद्ध दलीप सिंह एक इंटरनेशनल रेसलर हैं और खली चाहते हैं की रेसलिंग की प्रतियोगिता भारत में भी हो इसलिए वो सरकार की सहयोग से ये प्रतियोगिता करवाना चाहते हैं| खली के सहयोग से रेसलिंग प्रतियोगिता करवाने के लिए तीन करोड़ रुपये के बजट का इंतजाम करना सरकार के लिए बहुत मुश्किल हो गया है। विभिन्न विभागों के माध्यम से प्रायोजकों से पैसा जुटाने में अफसरों के खूब पसीने छूट रहे हैं। जुलाई महीने में मंडी और सोलन में रेसलिंग प्रतियोगिता का आयोजन प्रस्तावित है|
जहां तक मालूम हैं की प्रदेश के शेड्यूल खेलों में डब्ल्यूडब्ल्यूई रेसलिंग की प्रतियोगिता शामिल नहीं है। इसलिए प्रदेश सरकार प्रत्यक्ष तौर पर इस प्रतियोगिता के आयोजन के लिए पैसा नहीं दे पा रही है। अब डब्ल्यूडब्ल्यूई रेसलिंग की प्रतियोगिता के बजट को जुटाने के लिए सरकार ने कई अन्य विभागे को स्पांसर तलाशने के आदेश दिए हैं। प्रदेश सरकार ने अप्रैल में इस प्रतियोगिता की आयोजन की घोषणा की थी।
सरकार इस प्रतियोगिता को करवाने की तैयारियों में थी लेकिन राज्य सरकार की शेड्यूल खेलों की लिस्ट में डब्ल्यूडब्ल्यूई शामिल नहीं होने से सरकार ने प्रतियोगिता करवाने से हाथ पीछे हटा लिया हैं। अब इस प्रतियोगिता का आयोजन ग्रेट खली कर रहे हैं। लेकिन प्रदेश सरकार प्रतियोगिता के लिए अप्रत्यक्ष तरीके से बजट मुहैया करवाने में जुटी है।
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डब्ल्यूडब्ल्यूई रेसलिंग की प्रतियोगिता के लिए तीन करोड़ का बजट प्रस्तावित है। इस भारी भरकम राशि का इंतजाम किस प्रकार किया जाए। इसके लिए सरकार ने नया तरीका निकाला है। अब उद्योग विभाग, पर्यटन विभाग और राज्य बिजली बोर्ड से आर्थिक मदद की गुहार लगाई गई है। करोड़ों रुपये का इंतजाम करने के लिए सरकार द्वारा की गई अपील ने दूसरे विभागों के अफसरों को मुश्किल में डाल दिया है। क्योंकि यह राशि इतनी ज्यादा हैं की इसका इंतजाम करना थोड़ा मुश्किल हैं|
इस प्रतियोगिता के बजट के लिए तीनों विभागो के उच्च अधिकारी आजकल प्रायोजक तलाशने में जुटे गए हैं। दूसरी तरफ खेल मंत्री गोविंद ठाकुर सार्वजनिक तौर पर इस प्रतियोगिता को मंडी और सोलन में आयोजित करने की घोषणा कर चुके हैं। माना जा रहा हैं की खेल विभाग के अधिकारी इस नॉन शेड्यूल गेम के लिए सरकारी कोष से पैसा जारी कर नहीं सकते हैं क्योंकि इस प्रतियोगिता का उस शेड्यूल में कोई जिक्र ही नहीं हैं।
सरकारी पैसे का प्रयोग करने के आडे़ नियम खड़े हो गए हैं। ऐसे में अब खेल विभाग के अधिकारी दूसरे विभागीय अधिकारियों की ओर नजर लगाए बैठे हैं। डब्ल्यूडब्ल्यूई रेसलिंग की प्रतियोगिता काफी बजट वाली होती हैं| इस प्रतियोगिता का आयोजन करवा पाना हर किसी के बस में नहीं होता हैं|