How does a C-Section Delivery Take Place? कैसे होती हैं सिजेरियन डिलीवरी
C-Section Delivery | किसी भी मां के लिए सबसे बड़ा सुख उसका संतान सुख होता हैं, जब कोई भी महिला मां बनती हैं तो वो उसके जीवन का सबसे सुखद पल होता हैं, सामान्यतया हर मां चाहती हैं कि उसके बच्चे की डिलीवरी नार्मल तरीके से हो लेकिन हालातों के चलते ऐसा बहुत ही कम होता हैं बल्कि ज्यादातर बच्चों का जन्म आजकल सिजेरियन तरीके से किया जाता हैं। ऐसा नहीं हैं कि केवल भारत में ही ऐसा हैं बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी यही हो रहा हैं, आज के इस लेख में हम यहीं जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर इन दिनों नार्मल डिलीवरी की जगह सिजेरियन डिलीवरी ज्यादा क्यों हो रही हैं।
क्यों इन दिनों कम हो रही हैं नॉर्मल डिलीवरी
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भारत में हर 5 बच्चों में से 1 बच्चे का जन्म सिजेरियन डिलीवरी (C-Section Delivery) द्वारा होता हैं जबकि जर्मनी जैसे उन्नत देशों में तो ये आंकड़ा हर 3 में से 1 बच्चा हैं, इसके पीछे की जो वजह निकल कर सामने आई हैं वो ये हैं कि या तो बच्चा एन मौके पर ambloical cord अपने गले मे फंसा लेता हैं या अपना सिर ऊपर की तरफ और पैर नीचे की तरफ कर लेता हैं और कभी कभी तो बच्च पॉटी तक कर लेता हैं जिसकी वजह से नार्मल डिलीवरी करने में दिक्कत आ जाती हैं।
कैसे की जाती हैं सिजेरियन डिलीवरी | C-Section Delivery
सिजेरियन डिलीवरी करने से पहले पेट को पूरी तरह से डिसिन्फेक्ट किया जाता हैं और जिस जगह का ऑपरेशन होना होता हैं उस को डिसिन्फेक्ट कपड़े से ढका जाता हैं, उसके बाद इस बात की जांच की जाती हैं कि गर्भवती महिला को जो एनिथिसिया का इंजेक्शन दिया हैं उसका असर उस पर हुआ हैं नहीं। इसके लिए पेट पर हलचल पैदा करके जांच की जाती हैं, एनिथिसिया लगने के बाद गर्भवती महिला होश में तो रहती हैं लेकिन उसे अपना दर्द महसूस नहीं होता। जब डॉक्टर इस बात का आकलन कर लेते हैं कि महिला को किसी भी तरह का दर्द महसूस नहीं हो रहा हैं तो वो फिर एक चीरा लगा देते हैं और फिर कुछ मिनटों बाद ही बच्चा बाहर आ जाता हैं।
क्या करा जाता हैं बच्चे के जन्म के बाद
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बच्चे का जन्म होते ही उसे एक बेहद ही कोमल कपडे में लपेट कर साफ किया जाता हैं और उसी दौरान मां के टांकों को जल्दी से बंद किया जाता हैं ताकि ज्यादा खून का बहाव ना हो। बच्चे के जन्म के समय ऑपरेशन थिएटर में बच्चे के पिता भी मौजूद होते हैं और ये केवल सिजेरियन डिलीवरी के समय ही होते हैं, जर्मनी में तो नवजात शिशु को साफ पानी से साफ नहीं किया जाता क्योंकि उससे बच्चे की तबीयत खराब होने का डर रहता हैं।
दिल्ली में हैं सिजेरियन डिलीवरी को लेकर खराब हालात
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कहा गया हैं कि सिजेरियन डिलीवरी केवल आपातकालीन स्थिति में ही करना चाहिए और ये केवल 10 से 15 प्रतिशत ही होता हैं लेकिन दिल्ली में लगभग 65% बच्चों का जन्म सिजेरियन डिलीवरी (C-Section Delivery) से होता हैं जो एक गंभीर चिंता का विषय हैं। कहा जाता हैं कि सिजेरियन डिलीवरी से पैदा हुए बच्चों के मुकाबले नार्मल डिलीवरी से पैदा हुए बच्चे ज्यादा स्वस्थ रहते हैं और उनमें रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती हैं।