पितृ पक्ष 2020: जानें पितृ पक्ष में तिथि के अनुसार कब करें किसका श्राद्ध
Youthtrend Religion Desk : पितृ पक्ष यानी हमारें पूर्वज जो अब इस दुनिया को छोड़ कर गौलोक वासी हो चुके हैं कहा जाता हैं साल में एक बार जब श्राद्ध आता हैं तो उस समय हमारें पितृ धरती पर आते हैं, वैसे भी पितरों की शांति के लिए श्राद्ध किए जाते हैं और पितृ पक्ष श्राद्ध में श्राद्ध करना आवश्यक होता हैं। आमतौर पर श्राद्ध पितरों की मृत्यु वाली तिथि पर ही होती हैं लेकिन बहुत से लोगों की तिथि के बारें में नहीं पता होता इसलिए आज के इस लेख में हम पितरों के श्राद्ध किस दिन करने चाहिए वो बताने जा रहें हैं।
कब से शुरू हो रहे हैं इस साल पितृ पक्ष श्राद्ध
पितृपक्ष हर साल की भांति इस साल भी भाद्र कृष्ण प्रतिपदा से शुरू हो रहें हैं, इस वर्ष श्राद्ध 1 सिंतबर से लेकर 17 सिंतबर तक रहेगें, कहा जाता हैं कि हमेशा पहला श्राद्ध अगस्त मुनि का होता हैं जो 1 सितंबर को हैं और इस दिन भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा भी हैं।
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क्या हैं पितृ पक्ष श्राद्ध का महत्व
प्रतिवर्ष पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध पितरों की शांति और उनकी आत्मा की तृप्ति के लिया किया जाता हैं, श्राद्ध के दौरान पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण और हवन इत्यादि किया जाता हैं। शास्त्रों में कहा गया हैं कि जो व्यक्ति अपने पितरों का श्राद्ध नहीं करते उन्हें पितृदोष मिलता हैं इसलिए जब हम श्राद्ध करते हैं तो हमारें पितृ हम से प्रसन्न होकर हमें और हमारें परिवार को आशीर्वाद देते हैं।
किस तिथि पर करना चाहिए किसका श्राद्ध
शास्त्रों में कहा गया हैं कि जिस तिथि को हमारें परिवार के लोग इस संसार से चले गए थे तो उसी तिथि पर उनका श्राद्ध करना चाहिए, श्राद्ध कर्म करने का समय दोपहर 12:30 बजे से लेकर 01:00 बजे तक होता हैं, अगर हमें अपने पितरों के दुनिया से गमन की तिथि के बारें में जानकारी नहीं हैं तो ऐसे में श्राद्ध अमावस्या के दिन उन लोगों का श्राद्ध करना चाहिए।
जिन लोगों की मृत्यु चतुर्दशी के दिन हुई हो उन लोगों का श्राद्ध चतुर्दशी पर ना करके या तो त्रयोदशी या फिर अमावस्या पर ही करना चाहिए, जो लोग अकाल मृत्यु का शिकार हुए हो तो ऐसे में श्राद्ध सिर्फ चतुर्दशी के दिन करना चाहिए भले ही उनकी मृत्यु किसी भी दिन हुई हो। जो महिलाएं सुहागन रहते हुए परलोक चली गई हैं उनका श्राद्ध केवल नवमी तिथि को ही करना चाहिए, साधु-सन्यासियों का श्राद्ध पितृपक्ष श्राद्ध में द्वादशी को करना चाहिए।