तिलक लगाने में भूलकर भी ना करें इस अंगुली का प्रयोग
हिन्दू धर्म संस्कृति और परम्पराओ से भरा हुआ धर्म है और इन्हीं परंपराओं में से एक है माथे पर तिलक धारण करना, जिसे एक समय पहले तक धार्मिक तौर पर बहुत जरूरी माना जाता था। भारतीय धर्म में जब भी कोई धार्मिक कार्य, शुभ काम, यात्रा किया जाना होता है तब उसमे सिद्धि प्राप्त करने के लिए तिलक संस्कार किया जाता है। सिर पर तिलक लगाकर इस कार्य की शुभ सिद्धि के लिए कामना की जाती है| तिलक लगाने के लिए भिन्न-भिन्न अंगुलियां का प्रयोग करना अलग-अलग फल प्रदान करता है और साथ ही गलत अंगुली के प्रयोग से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। तो आइये बताते है की कौन सी अंगुली का प्रयोग करना चाहिए तिलक लगाने के लिए।
अनामिका अंगुली
अनामिका अंगुली से तिलक करने से मानसिक शक्ति का विकास होता है और शांति मिलती है क्योंकि इस अंगुली का सम्बन्ध सूर्य से है और इसीलिए पूजा पाठ में इसी अंगुली से तिलक किया जाता है।
मध्यमा अंगुली
मध्यमा अंगुली को शनि की अंगुली माना जाता है और यह सौभाग्य कारक भी होती है इसलिए मध्यमा अंगुली से तिलक करने पर आयु में बढ़ोत्तरी होती है और स्वस्थ अच्छा रहता है।
अंगूठे से तिलक करना
अंगूठे को शुक्र से जुड़ा हुआ माना गया है और इससे तिलक करने से धन सम्पत्ति में भी बढ़ोत्तरी होती है, अंगूठे से तिलक करना पुष्टिदायक माना गया है।
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तर्जनी अंगुली
तिलक करने के लिए कभी भी तर्जनी अंगुली का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके प्रयोग से व्यक्ति की असमय मृत्यु हो सकती है।तर्जनी अंगुली का प्रयोग व्यक्ति के मरने के बाद किया जाता है क्योंकि इससे मृत व्यक्ति के आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वैदिक कार्य
किसी भी तरह के शुभ और वैदिक कार्य में अनामिका अंगुली, पितृ कार्य में मध्यमा, ऋषि कार्य में कनिष्ठिका तथा तांत्रिक क्रियाओं में प्रथम यानि तर्जनी अंगुली का प्रयोग किया जाना चाहिए।