रावण की मृत्यु का रहस्य जानकर रह जाओगे हैरान | Secret of Ravana Death
Youthtrend Religion Desk : रावण का नाम सुनते ही हमारें दिमाग में एकाएक भगवान श्री राम, सीता माता, हनुमानजी आ जाते हैं, रावण जिसे दशानन, लंकेश कहा जाता हैं एक राजा होने के साथ-साथ रावण प्रखर पंडित, महापराक्रमी योद्धा, शास्त्रों का ज्ञाता, प्रकांड विद्वान, राजनीतिज्ञ के अलावा भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। रावण को अपने पराक्रम का काफी ज्यादा घमंड था और वो खुद को अमर समझता था, लेकिन रावण की मृत्यु का रहस्य भी बड़ा रहस्य है। जब भगवान श्रीराम सीता माता और लक्ष्मण जी वनवास के दौरान जंगल में समय व्यतीत कर रहें थे तो रावण की बहन शूपर्णखा श्री राम से विवाह करने का प्रस्ताव लेकर आई थी जिसे प्रभु श्रीराम ने बड़ी विनम्रता से मना कर दिया था उसके बाद जब शूपर्णखा सीता माता पर हमला करने के लिए लपकी तो लक्ष्मण जी ने शूपर्णखा की नाक काट दी थी।
रावण की मृत्यु का रहस्य
नाक कट जाने के बाद शूपर्णखा को अत्यंत क्रोध आ गया तो वो अपने भाई राजा रावण के पास गई और अपने अपमान के बारें में बखान करने लगी, जिसके बाद रावण ने अपने मामा मारीच के साथ स्वर्ण मृग का छल रच कर सीता माता का अपहरण कर लिया। तब भगवान श्रीराम ने हनुमानजी, लंकेश के भाई विभीषण और वानर राज सुग्रीव एवं उनकी सेना के साथ मिलकर रावण और उसकी सेना का संहार करके सीता माता को सही सलामत लेकर अयोध्या ले गए। पर क्या सिर्फ सीता माता का अपहरण ही रावण की मौत का कारण बना, जी नहीं आज हम आपकों रावण की मौत का रहस्य बताने जा रहें हैं।
रामायण में हम सबने देखा हैं कि भगवान श्रीराम रावण के ऊपर लगातार तीर से वार किए जा रहे थे लेकिन रावण का बाल भी बांका नहीं हो रहा था, प्रभु श्रीराम ने रावण के सिर को धड़ से अलग किये लेकिन हर बार रावण के धड़ पर नया सिर आ जाता था तब श्रीराम को रावण के भाई विभीषण जो प्रभु श्रीराम के स्वरूप को पहचान चुके थे, ने उन्हें बताया कि रावण की नाभि में अमृत हैं इसलिए अगर तीर रावण की नाभि में चलाया जाए तो रावण की मौत हो सकती हैं। इसके बाद प्रभु ने रावण की नाभि को निशाना बनाते हुए तीर साधा और तीर रावण की नाभि में लगा जिसके बाद रावण की मौत हो गई।
रावण की मृत्यु का रहस्य । क्या सिर्फ विभीषण ही था रावण की मौत की वजह
भले ही रावण युद्धक्षेत्र में मरा हो लेकिन उसकी मृत्यु उसके द्वारा पहले किये हुए पाप और कृत्य घटनाओं की वजह से हुई थी, दरअसल विभीषण के अलावा रावण की पत्नी मंदोदरी भी रावण की मौत के लिए जिम्मेदार थी, एक ऐसा राज था जो सिर्फ रावण को पता था और उसने केवल अपनी पत्नी मंदोदरी को बताया था पर मंदोदरी ने वो रहस्य हनुमानजी को बताया जिससे रावण की मौत सुनिश्चित हो गई।
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रावण की मौत का रहस्य । जब रावण को मिला ब्रह्माजी से वरदान
पुराणों के अनुसार एक बार रावण, कुंभकर्ण और विभीषण ब्रह्मा देव की कठोर तपस्या कर रहें थे, उन तीनों की तपस्या से ब्रह्मा जी बहुत प्रसन्न हुए और तीनों से वरदान मांगने को कहा, रावण ने ब्रह्माजी से हमेशा अमर रहने का वरदान मांगा, ब्रह्मा जी अपने वचन से बंधे हुए थे लेकिन अमर रहने का वरदान भी नहीं दे सकते थे इसलिए उन्होंने रावण को कुछ और मांगने को कहा पर रावण नहीं माना। अंत में ब्रह्मा जी ने रावण को एक विशेष तरह का तीर देकर कहा कि तुम्हारी मौत सिर्फ इसी तीर से हो सकती हैं और किसी अन्य शस्त्र से तुम्हारा वध नहीं होगा।
रावण की मौत का रहस्य । रावण ने बताया ब्रह्मा जी के वरदान के बारें में मंदोदरी को
ब्रह्मा जी से वरदान मिलने के बाद रावण अति प्रसन्न था, उसने उस तीर के बारें में अपनी पत्नी मंदोदरी को बता दिया था, रावण ने एक गुप्त विधि से उस रहस्मयी तीर को अपने सिंहासन के पीछे स्थित एक खंभें में छिपा दिया, विभीषण को ये तो पता था कि रावण के पास एक ऐसा तीर हैं जिससे ही रावण की मौत हो सकती हैं लेकिन उन्हें भी ये नहीं पता था कि वो तीर कहा छिपाया हुआ था। जब श्रीराम-रावण युद्ध छिड़ा हुआ था और प्रभु श्रीराम रावण को मारने के लिए सभी हथियारों का इस्तेमाल कर चुके थे तब विभीषण ने भगवान राम को इस तीर के बारें में बताया।
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रावण की मौत का रहस्य । जब मंदोदरी ने हनुमान जी को बताया उस तीर का राज
अब तीर का रहस्य जानने की जिम्मेदारी हनुमान जी को दी गई, तब हनुमान जी ने एक ज्योतिष का वेश धारण किया और लंका पहुंच कर लोगों को उनका भविष्य बताने लगे, जब नगर में उनके भविष्य बताने की चर्चा होने लगी तो रावण की पत्नी मंदोदरी अपना भविष्य जानने के लिए ज्योतिष के रूप में हनुमान जी के पास पहुंची। तब हनुमान जी ने मंदोदरी को कहा कि जो तीर ब्रह्मा जी ने रावण को दिया था उसी तीर से रावण की जान को खतरा हैं , लेकिन मंदोदरी ने हनुमानजी से कहा कि तीर तो रावण के सिंहासन के पीछे स्थित खंभे में बिल्कुल सुरक्षित हैं। जिसके बाद हनुमानजी रावण के सिंहासन के पास गए और खंभे में से वो वरदान वाला तीर लेकर प्रभु श्रीराम को सौंप दिया और उसी तीर से भगवान राम ने रावण का वध किया।