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Shakti Peeth : जानिए कैसे हुई 51 शक्तिपीठ की स्थापना, क्या है इसके पीछे का रहस्य

Shakti Peeth : पूरे देश में माता के 51 शक्तिपीठ है। कहा जाता है कि देवी के इन पीठों के दर्शन से सभी का कल्याण होता है। लेकिन क्या आप देवी के इन 51 शक्तिपीठ (Shakti Peeth) के बारे में जानते है कि ये कहां-कहां स्थित है और किस पीठ के दर्शन से क्या लाभ होता है। बता दें कि हर पीठ की अपनी एक अलग महत्ता है और इनसे कोई न कोई पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। आइए आज हम आपको हर एक शक्तिपीठ (Shakti Peeth) की जानकारी देंगे और बताएंगे कि आखिर क्यों मां के 51 पीठ बने और इसके बनने के पीछे की क्या कहानी है….

Shakti Peeth : पौराणिक कथा

देवी के 51 शक्ति पीठ बनने के पीछे की एक पौराणिक कथा, जिससे आपको पता चलेगा कि क्यों 51 शक्तिपीठों का निर्माण हुआ और कैसे। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव की पहली पत्नी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने कनखल जिसको वर्तमान में हरिद्वार के नाम से जाना जाता। वहां ‘बृहस्पति सर्व’ नाम का एक महायज्ञ कराया था। वहीं उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को बुलाया गया था, लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया था। इसके बावजूद भगवान शिव की पत्नी जो कि दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं वह बिना निमंत्रण के और अपने पति के रोकने के बावजूद उस यज्ञ में शामिल होने टली गई। उस समय यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता राजा दक्ष से से भगवान शिव को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और उनके सामने इस बात को लेकर नाराजगी जताई। इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव को लेकर कई ऐसी बातें कही, जिसमें उन्हें अपमानित किया गया। अपने पिता के इसी अपमान से दुखी होकर सती ने यज्ञ के अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणों की आहुति दे दी।

51 शक्ति पीठ : जाने सब कुछ

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वहीं इस घटना की जानकारी देवाधिदेव महादेव को हुई तो वो क्रोधित हो उठें और उनका तीसरा नेत्र खुल गया। इसके बाद भगवान शिव क्रोध की वजह से तांडव करने लगे। इसके बाद वे यज्ञ-स्थल पर पहुंचे और यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाला और कंधे पर उठा लिया और सती के मृत शरीर को लेकर तांडव करते हुए घूमने लगे। ऐसी स्थिति देख भगवान विष्णु अपने चक्र से सती के पार्थिव शरीर को टुकड़ों में काट देते हैं। जिससे माता सती के शरीर के अंग और आभूषण जगह-जगह गिर जाते है और ये जिन जगहों पर गिरे वह स्थान शक्ति पीठ के नाम से जाना गया।

कात्यायनी शक्तिपीठ (Katyayani ShaktiPeeth):

कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ वृन्दावन, मथुरा के भूतेश्वर में स्थित है। यहां माता सती के केशपाश यानी बाल गिरे थे। यहां देवी कात्यायनी और भैरव भूतेश की पूजा होती है।

किरीट शक्तिपीठ (Kirit ShaktiPeeth):

किरीट शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के लालबाग कोट पर स्थित है। यहां माता सती का किरीट यानी मुकुट गिरा था। यहां शक्ति विमला व भुवनेश्वरी और भैरव संवर्त की पूजा होती है।

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करवीर शक्तिपीठ (Karveer ShaktiPeeth):

करवीर शक्तिपीठ महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है। इस शक्तिपीठ में मां के त्रिनेत्र गिरे थे। इस स्थान को महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।

विशालाक्षी शक्तिपीठ (Vishalakshi ShaktiPeeth):

यह शक्तिपीठ वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है। इस स्थान पर माता सती के दाहिने कान के मणि गिरी थी। यहां की शक्ति विशालाक्षी और बाबा भैरव काल भैरव हैं।

गोदावरी तट शक्तिपीठ (Godavari ShaktiPeeth):

यह शक्तिपीठ आंध्रप्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर है। माना जाता है कि यहां माता का वामगण्ड यानी बायां कपोल गिरा था।

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श्री पर्वत शक्तिपीठ (Shri Parvat ShaktiPeeth):

इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों के मत में अंतर है। दरअसल कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, वहीं कुछ मानते हैं कि यह असम के सिलहट में है। इस स्थान पर माता सती का दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरी थी। यहां की शक्ति श्री सुन्दरी व भैरव सुन्दरानन्द जी हैं।

शुचीन्द्रम शक्तिपीठ (Suchindram shaktiPeeth):

शुची शक्तिपीठ तमिलनाडु के कन्याकुमारी के त्रिसागर संगम स्थल पर स्थित है। इस जगह पर सती माता के मतान्तर से पृष्ठ भाग गिरे थे। यहां की शक्ति नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं।

ज्वालामुखी शक्तिपीठ (Jwalamukhi ShaktiPeeth):

यह ज्वालामुखी शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में स्थित है। यहां माता सती की जीभ गिरी थी।

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पंच सागर शक्तिपीठ (Panchsagar Shakti Peeth):

बता दें कि इस शक्तिपीठ का कोई एक निश्चित स्थान नहीं है लेकिन माना जाता है कि यहां माता के दांत गिरे थे।

भैरव पर्वत शक्तिपीठ (Bhairav Parvat Shakti Peeth):

इस शक्तिपीठ के स्थान को लेकर अलग-अलग मत है, कुछ लोग इसे गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत पर मानते है, तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षिप्रा नदी तट पर स्थित मानते हैं। यहां माता का ऊपर का ओष्ठ गिरा है।

अट्टहास शक्तिपीठ (Attahas Shakti Peeth):

अट्टहास शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के लाबपुर में स्थित है। यहां माता का अध्रोष्ठ यानी नीचे का होंठ गिरा था। यहां की शक्ति फुल्लरा तथा भैरव विश्वेश हैं।

जनस्थान शक्तिपीठ (Janasthan Shakti Peeth):

जनस्थान शक्तिपीठ महाराष्ट्र नासिक के पंचवटी में स्थित है। इस स्थान पर माता की ठुड्डी गिरी थी।

श्री शैल शक्तिपीठ (Shri Shail Shakti Peeth):

आंध्रप्रदेश के कुर्नूल के पास यह शैल का शक्तिपीठ स्थित है। इस जगह पर माता की ग्रीवा गिरी थी। यहां की शक्ति महालक्ष्मी तथा भैरव संवरानन्द अथवा ईश्वरानन्द हैं।

कश्मीर शक्तिपीठ या अमरनाथ शक्तिपीठ (Kashmir Shakti Peeth or Amarnath Shakti Peeth):

जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ में यह शक्तिपीठ स्थित है। इस शक्तिपीठ में माता का कण्ठ गिरा था।

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नन्दीपुर शक्तिपीठ (Nandipur Shakti Peeth):

पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित इस शक्तिपीठ में देवी की देह का कण्ठहार गिरा था। इस स्थान की शक्ति नन्दनी और भैरव निन्दकेश्वर हैं।

नलहटी शक्तिपीठ (Nalhati Shakti Peeth):

पश्चिम बंगाल के बोलपुर में यह नलहटी शक्तिपीठ स्थित है। इस स्थल पर माता की उदरनली गिरी थी।

मिथिला शक्तिपीठ (Mithila Shakti Peeth):

इसके निश्चित स्थान को लेकर मतभेद हैं। यह पीठ अलग अलग मतों के अनुसार तीन स्थानों पर स्थित बताया जाता है। माना जाता है कि नेपाल के जनकपुर, बिहार के समस्तीपुर और सहरसा में माता का वाम स्कंध गिरा था।

रत्नावली शक्तिपीठ (Ratnavali Shakti Peeth):

इसका निश्चित स्थान स्पष्ट नहीं है। माना जाता है कि रत्नावली शक्तिपीठ तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है। इस जगह पर माता का दक्षिण स्कंध गिरा था।

अम्बाजी शक्तिपीठ (Ambaji Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ गुजरात जूनागढ़ के गिरनार पर्वत के शिखर पर स्थित है, यहां माता का उदर गिरा था। इस जगह पर देवी अम्बिका का भव्य मंदिर है।

रामागिरि शक्तिपीठ (Ramgiri Shakti Peeth):

इस शक्तिपीठ के स्थान को लेकर मतभेद हैं। कुछ लोग इसे उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में, तो कुछ मध्यप्रदेश के मैहर में स्थित मानते हैं। इस जगह पर माता का दाहिना स्तन गिरा था।

वैद्यनाथ शक्तिपीठ (Vaidhnath Shakti Peeth):

वैद्यनाथ शक्तिपीठ झारखंड के गिरिडीह, देवघर में स्थित है। मान्यता है कि यहां पर सती का दाह-संस्कार हुआ था।

जालंधर शक्तिपीठ (Jalandhar Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ पंजाब के जालंधर में स्थित है। इस स्थान पर माता का वामस्तन गिरा था। यहां की शक्ति त्रिपुरमालिनी तथा भैरव भीषण हैं।

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वक्त्रेश्वर शक्तिपीठ (Varkreshwar Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है। इस स्थान पर माता का मन गिरा था।

कन्याकुमारी शक्तिपीठ (Kanyakumari Shakti Peeth):

कण्यकाश्रम शक्तिपीठ तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्थित है। इस जगह पर माता की पीठ गिरी थी।

बहुला शक्तिपीठ (Bahula Shakti Peeth):

बहुला शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के कटवा जंक्शन के निकट केतुग्राम में स्थित है। यहां माता का वाम बाहु गिरा था।

उज्जयिनी शक्तिपीठ (Ujjaini Shakti Peeth):

उज्जयिनी हरसिद्धि शक्तिपीठ मध्य प्रदेश के उज्जैन के पावन क्षिप्रा के दोनों तटों पर स्थित है। यहां माता की कोहनी गिरी थी।

मणिवेदिका शक्तिपीठ (Manivedika Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ गायत्री मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह राजस्थान के पुष्कर में स्थित है। यहां माता की कलाइयां गिरी थीं।

उत्कल शक्तिपीठ (Utakal Shakti Peeth):

यह स्थान उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है। यहां माता की नाभि गिरी था।

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प्रयाग शक्तिपीठ (Prayag Shakti Peeth):

इस शक्तिपीठ के स्थान को लेकर भी मतभेद है। यह उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है। इस जगह पर माता के हाथ की अंगुलियां गिरी थी। इसे अक्षयवट, मीरापुर और अलोपी स्थानों पर गिरा माना जाता है।

कांची शक्तिपीठ (Kanchi Shakti Peeth):

कांची शक्तिपीठ तमिलनाडु के कांचीवरम् में स्थित है। इस जगह पर माता का कंकाल शरीर गिरा था।

कालमाधव शक्तिपीठ (Kalmadhav Shakti Peeth):

इस शक्तिपीठ के बारे कोई निश्चित स्थान की जानकारी नहीं है। माना जाता है कि यहां माता का वाम नितम्ब गिरा था।

शोण शक्तिपीठ (Shon Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ मध्य प्रदेश के अमरकंटक के नर्मदा पर मन्दिर शोण में स्थित है। यहां माता का दक्षिण नितम्ब गिरा था। एक अन्य मान्यता के अनुसार बिहार के सासाराम का ताराचण्डी मंदिर ही शोण तटस्था शक्तिपीठ है। यहां सती का दायां नेत्रा गिरा था।

जयंती शक्तिपीठ (Jayanti Shakti Peeth):

यह जयंती शक्तिपीठ मेघालय के जयंतिया पहाडी पर स्थित है। इस स्थान पर माता की वाम जंघा गिरी थी।

मगध शक्तिपीठ (Magadh Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ बिहार की राजधनी पटना में स्थित है। इस जगह पर माता की दाहिनी जंघा गिरी थी।

कामाख्या शक्तिपीठ (Kamakhya Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ कामगिरी कामख्या देवी के नाम से प्रसिद्ध है, यह असम गुवाहाटी के कामगिरि पर्वत पर स्थित है। यहां माता की योनि गिरी थी।

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त्रिस्तोता शक्तिपीठ (Tristotaa Shakti Peeth):

त्रिस्तोता शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के शालवाड़ी गांव में तीस्ता नदी पर स्थित है। यहां माता का वामपाद गिरा था।

त्रिपुरी सुन्दरी शक्तिपीठ (Tripura Sundari Shakti Peeth):

माता का दक्षिण पाद त्रिपुरा के राध किशोर ग्राम में गिरा था और उसी जगह पर त्रिपुरा सुन्दरी शक्तिपीठ मौजूद है।

विभाषा शक्तिपीठ (Vibhasha Shakti Peeth):

विभाषा शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के ताम्रलुक ग्राम में स्थित है। इस स्थान पर माता का वाम टखना गिरा था।

युगाद्या शक्तिपीठ, क्षीरग्राम शक्तिपीठ (Yugadhya Shakti Peeth):

यह युगाद्या शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के बर्दमान जिले के क्षीरग्राम में स्थित है। यहां सती माता के दाहिने चरण का अंगूठा गिरा था।

विराट अम्बिका शक्तिपीठ (Virat Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ राजस्थान के गुलाबी नगरी जयपुर के वैराटग्राम में स्थित है। माता सती के दाहिने पैर की अंगुलियां यहां गिरी थीं।।

कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ (Kurukshetra Shakti Peeth):

हरियाणा के कुरुक्षेत्र जंक्शन के निकट द्वैपायन सरोवर के पास कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ है। इसे श्रीदेवीकूप भद्रकाली पीठ के नाम से भी जाना जाता है। इस पवित्र स्थान पर माता के दाहिने चरण गिरे थे।

कालीघाट शक्तिपीठ (Kalighat Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ कालीमन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है, जो पश्चिम बंगाल, कोलकाता के कालीघाट में स्थित है। यहां माता के दाहिने पैर के अंगूठे को छोड़ 4 अन्य अंगुलियां गिरी थीं।

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मानस शक्तिपीठ (Manas Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है। इस स्थान पर माता की दाहिनी हथेली गिरी थी।

लंका शक्तिपीठ (Lanka Shakti Peeth):

इस शक्तिपीठ के सही स्थान को लेकर मतभेद है। कहा जाता है कि यह शक्तिपीठ श्रीलंका में स्थित है। यहां माता सती के पायल गिरे थे। यहां की शक्ति इन्द्राक्षी तथा भैरव राक्षसेश्वर हैं।

गण्डकी शक्तिपीठ (Gandaki Shakti Peeth):

गण्डकी शक्तिपीठ नेपाल में गण्डकी नदी के उद्गम स्थल पर मौजूद है। यहां माता सती का दक्षिण कपोल गिरा था।

हिंगलाज शक्तिपीठ (Hinglaj Shakti Peeth):

हिंगलाज शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में स्थित है। यहां माता का ब्रह्मरन्ध्र (सिर का ऊपरी भाग) गिरा था।

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सुगंध शक्तिपीठ (Sugandha Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ बांग्लादेश के खुलना में सुगंध नदी के तट पर स्थित है, जहां माता की नासिका गिरी थी।

गुह्येश्वरी शक्तिपीठ (Guhyeshwari Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ नेपाल के काठमाण्डू में पशुपतिनाथ मंदिर के नजदीक ही स्थित है। इस स्थान पर माता सती के दोनों घुटने गिरे थे।

करतोया शक्तिपीठ (Kartoya Shakti Peeth):

करतोयाघाट शक्तिपीठ बंग्लादेश के भवानीपुर के बेगड़ा में करतोया नदी के तट पर स्थित है। इस जगह पर माता की वाम तल्प गिरी थी।

यशोर शक्तिपीठ (Yashor Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ बांग्लादेश के जैसोर खुलना में स्थित है। यहां माता की बायीं हथेली गिरी थी।

चट्टल शक्तिपीठ (Chatal Shakti Peeth):

यह शक्तिपीठ बंग्लादेश के चटगांव में स्थित है। इस स्थान पर माता की दाहिनी भुजा गिरी थी। यहां की शक्ति भवानी तथा भैरव चन्द्रशेखर हैं।

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