आइए जानते हैं हिन्दू धर्म में क्या है रुद्राक्ष का वास्तविक महत्व
रुद्राक्ष का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है जिसके बारे में ऐसी मान्यता है कि इसकी उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है। रुद्राक्ष का अर्थ है रुद्र अर्थात शिव की आंख से निकला अक्ष यानी आंसू। रुद्राक्ष के बारे में एक कथा प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है की एक बार भगवान शिव ने अपने मन को वश में कर संसार के कल्याण के लिए सैकड़ों सालों तक तप किया, तभी एक दिन अचानक ही उनका मन दु:खी हो गया और जब उन्होंने अपनी आंखें खोलीं तो उनमें से कुछ आंसू की बूंदें गिर गई। इन्हीं आंसू की बूंदों से रुद्राक्ष नामक वृक्ष उत्पन्न हुआ।
शिवपुराण की विद्येश्वर संहिता के अनुसार रुद्राक्ष 14 प्रकार बताए गए हैं तथा सभी का महत्व व धारण करने का मंत्र अलग-अलग है। इन्हें माला के रूप में पहनने से मिलने वाले फल भी भिन्न होते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इन रुद्राक्षों को विधि-विधान से धारण करने से विशेष लाभ मिलता है।
यहाँ हम आपको सभी 14 प्रकार से रुद्राक्षों और उनसे होने वाले लाभ के बारें मे बताने जा रहे है।
एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव माना जाता है और यह बड़े किस्मत वालों को ही मिल पाता है।
दो मुखी रुद्राक्ष देवता और देवी का मिलाजुला रूप माना है।
तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने से स्त्री हत्या का पाप समाप्त होता है।
चार मुखी रुद्राक्ष पहनने से नर हत्या का पाप समाप्त होता है।
पंच मुखी पहनने से अभक्ष्याभक्ष्य और अगम्यागमन के अपराध से मुक्ति मिलती है।
छह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात कार्तिकेय माना जाता है।
सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सोने की चोरी आदि के पाप से मुक्ति मिलती है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
आठ मुखी को गणेश जी ही माना जाता है।
नौ मुखी रुद्राक्ष को भैरव कहा जाता है। इसे बाईं भुजा में धारण करने से गर्भहत्या के दोषियों को मुक्ति मिलती है।
दश मुखी को विष्णु जी माना जाता है। इसे धारण करने से समस्त भय समाप्त हो जाते हैं।
ग्यारह मुख रुद्राक्ष भी शिव का ही रूप है।
बारह मुख वाला रुद्राक्ष धारण करने से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है और शासन करने का अवसर भी।
तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को समस्त भोग प्राप्त होते हैं।
चौदह मुखी रुद्राक्ष सिर पर धारण करने वाला साक्षात शिव रूप हो जाता है।
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आपको बता दे की रुद्राक्ष के इतने सारे महत्व होते है की इसे हर कोई प्राप्त करना चाहता है मगर समस्या ये है की आप असली रुद्राक्ष की पहचान कैसे करेंगे, तो यहाँ हम आपको कुछ तरीके बता रहे है जिनसे आप यह फर्क बड़े ही आसानी से समझ सकते है।
बताना चाहेंगे की यदि रूद्राक्ष को जल में डालने पर यह डूब जाये तो वह शत प्रतीशत असली है अन्यथा नकली किन्तु अब यह पहचान व्यापारियों के शिल्प ने समाप्त कर दी, शीशम की लकड़ी के बने रूद्राक्ष आसानी से पानी में डूब जाते हैं।
इसके अलावा आप चाहें तो तांबे का एक टुकड़ा नीचे रखकर उसके ऊपर रूद्राक्ष रख दें फिर दूसरा तांबे का टुकड़ा रूद्राक्ष के ऊपर रख दिया जाये और एक अंगुली से हल्के से दबाया जाये तो असली रूद्राक्ष नाचने लगता है, बता दे की पहचान का यह तरीका आज भी प्रमाणिक हैं।
आप चाहें तो शुद्ध सरसों के तेल में रूद्राक्ष को डालकर 10 मिनट तक गर्म करने पर पाएंगे की वह पहले से भी अधिक चमकदार हो गया है और अगर नकली है तो वह पहले की अपेक्षा और धूमिल हो जायेगा।
प्रायः गहरे रंग के रूद्राक्ष को अच्छा माना जाता है और हल्के रंग वाले को नहीं।
कुछ रूद्राक्षों में प्राकृतिक रूप से छेद होता है ऐसे रूद्राक्ष बहुत शुभ माने जाते हैं, जबकि ज्यादातर रूद्राक्षों में छेद करना पड़ता है।