जानें क्या है एकादशी व्रत और क्यों रखना चाहिए, क्या है इसका महत्व
हिन्दू धर्मशास्त्रों में शरीर और मन को संतुलित बनाए रखने के लिए व्रत और उपवास के नियम बनाये गए हैं| हर प्रकार के व्रत और उपवासों में सर्वाधिक महत्व एकादशी का होता है, जो माह में दो बार शुक्ल एकादशी और कृष्ण एकादशी पड़ता हैं| माह की ग्यारस तिथि को एकादशी कहा जाता है, एकादशी के व्रत से मोह के बंधन नष्ट हो जाते हैं|
हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि को भगवान विष्णु से जोड़ा गया हैं| एकादशी को लेकर ऐसी मान्यता है जो व्यक्ति पुरे श्रद्धा और विश्वास के साथ इस तिथि का व्रत रखकर केवल फलाहार का ही सेवन करता है तो उसके चंद्रमा की स्थिति कितनी भी खराब क्यों न हो सुधर जाती है। जिसका अर्थ है की आपके शरीर में चंद्र तत्व सुधरने लगते है|
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लाभ और महत्व
भगवान विष्णु ने कहा था कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को करेगा उसके सभी पाप कर्मों का नाश होगा और वो सभी अशुभ प्रभावों से दूर रहेगा| इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी होती हैं| पद्मपुराण के मुताबिक इस व्रत से धन-धान्य का लाभ मिलता है| बता दें कि इस दिन भगवान विष्णु और देवी माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती हैं| दरअसल देवी माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु की अर्धागनी हैं और धन की भी देवी है|और यदि वो प्रसन्न रहेंगी तो आपका जीवन सुखमय बीतेगा और आपको कभी भी धन की कमी नहीं होगी|
एकादशी के व्रत को करने ले लिए सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म से निवृत हो जाए और फिर घर की साफ-सफाई करके स्नान करके इस व्रत को करे| इस दिन अन्न ना करे क्योंकि अन्न ग्रहण करने से आप पाप के भागीदार हो सकते हैं| इसलिए यदि ज्यादा भूख लगे तो फलों का सेवन कर ले और एक बात ध्यान दे कि रात को बारह बजे अन्न ग्रहण ना करे|
इस दिन कोशिश करे की आप नीराजल व्रत रखे और यदि आप नीराजल व्रत नहीं रख पा रहे हैं तब फलाहार व्रत को रखे लेकिन व्रत को जरूर करे| बता दें कि आप कोई भी व्रत रखे या ना रखे लेकिन एकादशी का व्रत जरूर रखे क्योंकि इससे आपके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं|
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