भगवान गणेश को तुलसी न चढ़ाने के पिछे छिपा है ये रहस्य, जानना नहीं चाहेंगे आप ?
Youthtrend Religion Desk : किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले गणेश भगवान की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता हैं कहा जाता हैं कि भगवान गणेश की पूजा करने से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं इसके अलावा कहा जाता हैं कि गणेश भगवान सबके बिगड़े कार्य बना देते हैं और असंभव कार्य भी पूर्ण हो जाते हैं। गणपति भगवान को मोदक बहुत पसंद हैं इसलिए उन्हें मोदक का भोग लगाने से और दूर्वा चढ़ाने से वो अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश जी पर तुलसी के पत्ते क्यों नहीं चढ़ाए जाते, दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा हैं जिसके बार में आज हम आपकों बताने जा रहें।
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भगवान गणेश पर क्यों नहीं चढ़ाई जाती तुलसी
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार जब गणेश भगवान गंगा नदी के तट पर विराजमान होकर तपस्या में लीन थे तो उस दौरान धर्मात्मज की पुत्री तुलसी अपने विवाह हेतु तीर्थयात्रा के भर्मण पर थी, जैसे ही देवी तुलसी गंगा किनारे पहुंची तो उनकी नजर युवा गणेशजी पर गई जो तपस्या में लीन थे, कहा जाता हैं कि तपस्या के समय श्रीगणेश रत्न जटित सिंहासन पर आसीन थे। गणेशजी के पूरे शरीर पर चंदन का लेप लगा हुआ था, प्रभु श्रीगणेश ने गले में पारिजात पुष्प के हार के साथ स्वर्ण और मणि जड़ित हार भी पहने हुए थे और कमर में बहुत ही कोमल रेशम का पीताम्बर भी बंधा हुआ था।
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श्रीगणेश का ये रूप देखकर तुलसीजी उन पर मोहित हो गई और उनके साथ विवाह की इच्छा लेकर भगवान गणेश की तपस्या को भंग कर दिया, इससे क्रोधित होकर भगवान गणेश ने तुलसी जी के इस कृत्य को अशुभ बताया और देवी तुलसी की विवाह की इच्छा को जानकर खुद को ब्रह्मचारी बता दिया।
जब भगवान गणेश ने दिया देवी तुलसी को श्राप
गणेशजी के द्वारा उनके विवाह प्रस्ताव को ठुकरा देने के बाद तुलसीजी क्रोधित हो गई और उन्होंने गणेशजी को श्राप दिया कि उनके दो-दो विवाह होंगे, ये बात सुनकर श्रीगणेश को भी गुस्सा आ गया और उन्होंने देवी तुलसी को ये श्राप दिया कि उनका विवाह एक राक्षस के साथ होगा, ये बात सुनकर देवी तुलसी को अपनी गलती का एहसास हो गया और उन्होंने श्रीगणेश से माफी मांगी।
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इसके पश्चात श्रीगणेश ने उनसे कहा कि उनका विवाह भले ही शंखचूर्ण नामक राक्षस के साथ होगा लेकिन फिर भी तुम भगवान श्रीविष्णु और श्री कृष्ण को अति प्रिय रहोगी, इसके अलावा कलयुग में तुम जगत को जीवन और मोक्षदायिनी का कार्य करोगी लेकिन तब भी मेरी पूजा में तुम्हारा इस्तेमाल नहीं होगा। इसी वजह से आज भी श्रीगणेश पर तुलसी चढ़ाना वर्जित माना जाता हैं और कहा जाता हैं कि ऐसा करने से भगवान श्रीगणेश रूष्ट भी हो जाते हैं।