दशा माता व्रत 2019 : सभी दुखों को दूर करता है दशा माता का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
हर इंसान के जीवन में कई बार समस्याएँ अचानक से आ जाती हैं और वो उससे उबरने की लाख कोशिश करता हैं| लेकिन लाख प्रयास करने के बाद जब उसे उन समस्याओं से छुटकारा नहीं मिलता हैं तो वो फिर भगवान की शरण में जाता हैं, ऐसे ही समस्याओं से उबारने के लिए दशा माता का व्रत हैं| जीवन की दशा और दिशा को सही करने की कामना से चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन दशा माता का व्रत किया जाता है। इस व्रत को जो भी इंसान बड़े ही श्रद्धा -भाव से करता है, उसके घर से दु:ख और दरिद्रता दूर हो जाती है और वह सुखी पूर्वक अपने जीवन का निर्वाह करता हैं|
पूजन विधि
इस व्रत को व्रत करने वाली सुहागिन महिलाएं इस पावन दिन के शुभ मुहूर्त में, कच्चे सूत के 10 तार के 10 गांठ वाले डोर से विधि-विधान पूर्वक पीपल की पूजा करती हैं। पूजा के पश्चात महिलाएं नल-दमयंती की कथा सुनती हैं और कथा समाप्त होने के पश्चात महिलाएं पूजित डोरे को अपने गले में बांधती हैं। बता दे कि इस धागे को व्रती महिलाएं पूरे साल धारण करती हैं।
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पूजा का शुभ मुहूर्त
दशा व्रत करने का शुभ मुहूर्त प्रात:काल 7 बजकर 57 मिनट से 9 बजकर 29 मिनट तक और फिर
दोपहर 2 बजकर 7 मिनट से 3 बजकर 29 मिनट तक हैं|
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दशा माता व्रत करने का नियम
ऐसी मान्यता हैं कि इस व्रत को तब तक किया जाना चाहिए, जब तक आपका शरीर साथ दे रहा हैं| इस व्रत के दिन घर में विशेष रूप से साफ-सफाई की जाती है और इसके साथ ही साफ-सफाई से जुड़े समान यानी झाड़ू इत्यादि खरीदा जाता है। दरअसल दशामाता व्रत करने वाली महिलाएं दिन भर में मात्र एक बार अन्न ग्रहण करती हैं और इस व्रत में नमक ग्रहण नहीं किया जाता है। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि दशामाता व्रत को विधि-विधान पूर्वक करने से एक साल के अंदर ही आपके जीवन से जुड़े दु:ख और समस्याएं दूर हो जाती हैं और वो फिर आपके जीवन में दोबारा लौट कर नहीं आती हैं| इसलिए इस व्रत को हर व्यक्ति को करना चाहिए ताकि उसके जीवन में परेशानियाँ ना आए और माता का आशीर्वाद उसके सिर पर बना रहे हैं|