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Bridge पार करते समय सैनिक कदम मिलाकर क्यों नहीं चलते ?

Crossing Bridge : सेना के जवान अपने अनुशासन, दृढ़ संकल्प, मजबूत काया, मानसिक शक्ति, अच्छे इरादे और अपने राष्ट्र के प्रति सच्चे प्रेम के लिए जाने जाते है। आपने देखा होगा कि सेना के जवान हमेशा कंधे से कंधा और कदम से कदम मिलाकर चलते है, लेकिन जब वो जब किसी पुल (Bridge) से गुजरते है तो उन्हें अपने सिंक तोड़ने के ऑडर्स होते है। इस दौरान वो कदमताल कर नहीं चलते। अब आप सोच रहें होंगे कि भला ऐसा क्यों ऐसा क्या कारण हो सकता है। शायद आपमें से बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जिन्हें इसके पीछे मुख्य कारण पता हो, तो चलिए आज आपको इसके पीछे की दिलचस्प वजह के बारे में विस्तार से बताते है।

Bridge : पुल पर कदमताल तोड़ने के आदेश होते हैं

हमेशा सिंक में चलने वाले जवान कभी भी पुल पर कदम से कदम मिलाकर नहीं चलते। इस दौरान उन्हें पुल (Bridge) पर अपना सिंक तोड़ने के आदेश होते हैं। बता दें कि इस ऑर्डर के पीछे एक तो साइंस से जुड़ी बड़ी वजह है और दूसरा एक पीछे एक किस्सा हैं जिसे आपने शायद ही सुना हो। आइए आपको ये दोनों ही कारण बताते है।

इंग्लैण्ड के ब्रॉटन पुल से जुड़ा किस्सा

Bridge

सन् 1826 में इंग्लैंड के ब्रॉटन शहर के इरवेल नदी के एक तरफ शहर का मेन इलाका था और दूसरी तरफ जॉन फिट्ज़गेराल्ड की हवेली स्थित थी, जो इंग्लैण्ड के रईस आदमी में से एक थे। उन्होंने अपने घर को कहीं और शिफ्ट करने के बजाए नदी पर पुल (Bridge) बनवाने का फैसला लिया। उस दौरान सस्पेंशन ब्रिज बनने शुरू हुए थे, यानी झूलने वाला ब्रिज जो केबल्स के सहारे टीका होता है। 1826 में जॉन फिट्ज़गेराल्ड के पैसे से इरवेल नदी के ऊपर सस्पेंशन ब्रिज बना, जिसका नाम पड़ा ब्रॉटन सस्पेंशन ब्रिज।

ब्रिज बने महज पांच ही साल बीते थे कि सन् 12 अप्रैल 1831 में ब्रिटिश आर्मी का एक दस्ता इस पुल (Bridge) के ऊपर से गुज़रा और यह पुल धाराशाई हो गया। इस हादसे में 20 जवान ज़ख्मी हो गए। हादसे के बाद इसकी ब्रिटिश आर्मी ने इसके जांच की गई और आदेश दिया गया कि पुल पार करते समय जवान मार्च नहीं करेंगे।

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बता दें कि ब्रिटिश आर्मी का फरमान सिर्फ ब्रिटेन के जवान मानते थे, फ्रांस के नहीं। फरमान न मानने का नतीजा ये हुआ कि 16 अप्रैल, 1850 को फ्रांस के सैनिक इस ब्रिज से गुज़रे और ये ब्रिज भी ढह गया। इस हादसे में 200 से ज़्यादा जवानों की मौत हो गई। इन हादसों के बाद ये बात निकलकर सामने आई कि किसी भी Bridge पर कदम मिलाकर मार्च नहीं करना चाहिए, लेकिन दूसरी ओर सवाल ये भी थी जवानों की कदमताल से ये ब्रिज क्यों ढहा? इस बात का जवाब साइंस में मिला, जिसे चलिए जानते है।

पुल क्यों गिरा इसकी वैज्ञानिक वजह?

आपने फिज़िक्स में एक चैप्टर पढ़ा होगा ऑसीलेशन (Oscillation) यानी दोलन। ऑसीलेशन मतलब बराबर टाइम में रिपीट होने वाली क्रिया। अब बता दें कि इसका पुल से कैसे संबंध हैं, दरअसल, पुल (Bridge) ऑसीलेट करता है तो कुछ नहीं होता, क्योंकि सब अलग-अलग टाइम पर कदम रखते हैं और उनके फोर्स कैंसिल हो जाते हैं, लेकिन जवानों के कदमताल में ऐसा नहीं होता, क्योंकि जवान एक साथ पैर रखते हैं और उनके पैरों की एक फ्रीक्वेंसी होती है. सारे जवान एक ही फ्रीक्वेंसी पर कदम रखते हैं, उनके एकसाथ पैर रखने में दिक्कत नहीं है, दिक्कत पुल से फ्रीक्वेंसी मैच होने में है।

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जब पुल पर लग रहे फोर्स की फ्रीक्वेंसी पुल की नैचुरल फ्रीक्वेंसी के बराबर होती है तब रेज़ोनेंस होता है, जिससे पुल सबसे ज़्यादा दूर तक खिंचता है और पुल जितना ज़्यादा खिंचेगा उसमें उतना ही तनाव होगा। एक प्वाइंट पर तनाव इतना ज़्यादा होता है कि पुल ढह जाता है। इस कराण जवान ब्रिज पर अपनी कदमताल तोड़ देते हैं।

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