भारत ने पाकिस्तान से कुछ इस तरह से हासिल किया राष्ट्रपति की ये शानदार बग्गी, जानिए इसके पीछे की दिलचस्प कहानी
अंग्रेजो के गुलामी के बाद जब हमारा देश स्वतंत्र हुआ, तब हमारे देश में सबसे बड़ा बदलाव बटवारे का हुआ। इस बटवारे में भारत ने काफी कुछ गंवा दिया तो वहीँ कुछ भारत को ऐसी चीजे मिली जिन पर हम गर्व कर सकते है। बंटवारे के दौरान भारत ने जहाँ काफी कुछ गवांया तो वहीँ भारत के पास कुछ ऐसी भी ट्रेडीशन चीजें है, जो अंग्रेजों के जमाने से चले आ रही हैं। जिनमें देश की शानो शौकत नजर आती है।
आज भी कुछ ऐसी इतिहासिक चीजे हैं जिनको लेकर हम गर्व कर सकते हैं। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी ही खास चीज के बारे में बताएँगे जो बंटवारा के दौरान भारत से पाकिस्तान चाहता था लेकिन एक सिक्के ने उसे भारत के पक्ष में रख दिया। जी हाँ, आपने तो यह जरुर देखा होगा कि बीटिंग रिट्रीट हो या राष्ट्रपति वो अपने खास तरह की बग्घी में नजर आते है। तो चलिए आपको बताते थे इस बग्घी का इतिहास-
इस बग्घी का इतिहास काफी रोमांचक है, जिसको जानकर आपको काफी गर्व का अनुभव होगा। जब भारत और पाकिस्तान में बंटवारा होने लगा तो भूमि के साथ ही साथ कई चीजों का बंटवारा हुआ। इन्ही में से एक ‘गवर्नर जनरल्स बॉडीगार्ड्स’ रेजीमेंट का भी बंटवारा 2:1 में किया गया है लेकिन रेजिमेंट की मशहूर बग्घी को लेकर दोनों पक्षों के बीच बात अटक गई क्योंकि इस खास बग्घी को दोनों ही पक्ष अपने पास रखना चाहते थे। इस पर फैसला करने के लिए तत्कालीन गवर्नर जनरल्स बॉडीगार्ड्स के कमांडेंट और उनके डिप्टी ने एक सिक्के से इस विवाद को सुलझाया।
ऐसे में दोनों पक्षों को संतुष्ट करते हुए एक ऐसा फैसला लेने की जरूरत थी जो दोनों को ही मान्य हो जाए। फिर गवर्नर जनरल्स बॉडीगार्डस् ने टॉस करने का फैसला किया जो दोनों देशों ने ही स्वीकार कर लिया। गवर्नर जनरल्स बॉडीगार्ड्स ने दोनों पक्षों को आमने-सामने कर उनके बीच सिक्का उछाला जिसमे भारत ने टॉस जीतकर बग्घी को अपने पक्ष में कर लिया। तब से यह राष्ट्र के प्रथम पुरुष यानी राष्ट्रपति के शान की सवारी बुग्गी भारत की हो गई।
सन् 1950 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसी बग्गी पर बैठकर समारोह तक गए थे। इतना ही नहीं राजेंद्र प्रसाद इसी बुग्गी में बैठकर अक्सर शहर का दौरा भी करते थे, जिससे इस बुग्गी को विशेष पहचान मिली। लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब इसका इस्तेमाल बंद हो गया था क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हत्याकांड के बाद सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए राष्ट्रपति बुलेटप्रूफ गाड़ीयो में आने लगे। लेकिन लगभग तीस सालो के बाद इस बुग्गी पर जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने बुलेट प्रूफ गाड़ी को छोड़कर बग्घी में बैठकर 29 जनवरी को होने वाली बीटिंग रिट्रीट में पहुंचे।
आपको हम बता दे कि राष्ट्रपति की बग्घी के लिए खास घोड़े चुने जाते है, यह बग्घी करीब 35 साल पुरानी थी। उस समय 6 ऑस्ट्रेलियाई घोड़े इसे खींच रहे थे लेकिन अब इसमें चार घोड़ों को ही देखा गया। इस बग्घी में घोड़ो की विशेष नस्ल होती हैं, जो भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई मिक्स ब्रीड के घोड़े होते है क्योकि भारतीय नस्ल के घोड़ों की ऊंचाई ज्यादा होती है जबकि यह मिक्स ब्रीड इस बग्घी की ऊंचाई के लिए ठीक होते है।