आप भी करते हैं ये 3 गलतियां तो LIC नहीं देता है कोई भी क्लेम, अभी सुधार लें
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी मे हर व्यक्ति आसान एवं सरल तरीके के पीछे भागता है, बिना सोचे समझे एक छोटी सी गलती बड़ी समस्या ला सकती है। ऐसा ही कुछ आपके और हमारे द्वारा इंश्योरेंस लेते वक़्त कोई भी गलती न हो और क्लेम के वक़्त तकलीफ न हो, उसके लिए LIC समय समय पर नियमो को लेकर एडवाईसरी जारी करती रहती है। ऐसे मे इंश्योरेंस लेते वक़्त सावधानी की जरूरत होती है। जिनमे से 3 महत्वपूर्ण एवं सरल नियमो के बारे मे आपको जानकारी होनी बेहद आवश्यक है, जिसके बारे मे बीमा एजेंट सही जानकारी नही देते है।
ऐसा अक्सर देखा गया है की तमाम तरह की जानकारी आदि को देने की बजाय ग्राहक बीमा एजेंट से ही फार्म भरा लेता है और ऐसे में चोटी मोती गलतियों की वजह से आप क्लेम से वंचित रह जाते हैं। इससे बचने के लिए अच्छा होगा कि लोग खुद बीमा का फार्म भरें या जब एजेंट इसे भरे तो बाद में ध्यान से पूरा जरूर पढ़ें।
LIC क्लेम के लिए हमेशा रखें इन बातों का ध्यान
जब भी कभी आप LIC का कोई बीमा ले रहे हैं तो अपनी और अपने पेशे की सही जानकारी दे, कोई भी इन्स्युरेंस लेते समय इन्स्युरेंस फ़ार्म मे अपनी एवं अपने रोजगार अथवा पेशे से जुड़ी सारी जानकारी सही सही देनी चाहिए , जिससे क्लेम के वक़्त उपभोक्ता को या उसके परिवार को कोई कठिनाई का सामना न करना पड़े।
अपने सेहत से संबन्धित सभी जानकारी दे, उपभोक्ता को स्वास्थ बीमा लेते वक़्त अपने स्वास्थ की पूरी जानकारी सही सही देनी चाहिए।
अगर कोई बीमारी हो तो उसे बीमा फार्म पर जरूर दर्ज करें, आमतौर पर बीमा लेने वाले को लगता है कि यह छोटी मोटी बात है, लेकिन अगर यह जानकारी सही नहीं दी जाती है या छिपाई जाती है तो बाद में यह भारी पड़ता है। इसी लिए इन बातों को छिपाने से अच्छा है कि बीमा कराते वक्त कंपनी को बताया जाए, जिससे क्लेम लेते वक्त किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो।
परिवार के लोगो के स्वास्थ की भी सही सूचना दे, बीमा लेते वक्त परिवार के लोगों की सेहत जुड़ी सही सही जानकारी देना चाहिए। अगर किसी को कोई बीमारी है तो जरूर बताना चाहिए। कंपनियां बीमारी बताने के बाद भी बीमा देने से मना नहीं कर सकती हैं। लेकिन कंपनियां बीमारी की सही जानकारी होने पर अपने रिस्क का अंदाजा लगाती हैं और उसी हिसाब से प्रीमियम तय करती हैं। इसीलिए जानकारी सही-सही देना चाहिए।
बीमा कंपनियां इस जानकारी से जानना चाहती हैं कि कहीं परिवार में किसी को ऐसी बीमारी तो नहीं है जो बाद में आपको भी हो सकती है। इसी हिसाब बीमा कंपनियां अपनी प्रीमियम तय करती हैं, लेकिन जानकारी छिपाने से प्रीमियम तो कम हो सकता है कि लेकिन जरूरत पर बीमा क्लेम फंस सकता है।