Navel Fluff : नाभि में रूई कहाँ से आती है ? इसपर रिसर्च करने वाले को मिला था Nobel Prize
Navel Fluff : अक्सर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठते है, जिनमें से कई सवाल ऐसे होते है जिनका जवाब तो वो जनाना तो चाहते है, लेकिन वो सवाल को गैर जरुरी सोच कर वहीं छोड़ देते है। वहीं एक सवाल ऐसा भी है जो ज्यादातर लोगों के मन में अक्सर चलता है, लेकिन इसका सही जवाब उन्हें मिल पाता है, वो है नाभि में रूई (Navel Fluff) कहां से आती है। जी हां आप अक्सर देखते होंगे कि हमारी नाभि से रूई निकल आती है, लेकिन ऐसा क्यों होता है इसका क्या कारण है ये शायद बहुत कम ही लोगों को पता होगा। तो फिर चलिए इस बारे में जानते है कि इसके पीछे की वजह क्या है….
Navel Fluff इस वैज्ञानिक ने लगया पता
नाभि में रूई जमने को वैज्ञानिक भाषा में Navel Fluff कहा जाता है। इसे लेकर कई लोगों ने बकायदा रिसर्च भी किया और इसके पीछे वजह पता लगाने वाले वैज्ञानिक को एलजी नोबेल प्राइज से नवाजा गया। बता दें कि एलजी नोबेल प्राइज उनलोगों को दिया जाता है जिनका काम पहले तो लोगों को हंसाता है, लेकिन बाद में उन्हें उस बारे में सोचने पर मजबूर कर देता है।
डॅा कार्ल ने किया इसका रिसर्च
बता दें कि इस बारे में रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक का नाम कार्ल क्रूसजेलिनीकी था, उन्हें लोग प्यार से डॅा कार्ल भी बुलाते थे। डॅा कार्ल जब सिडनी यूनिवर्सिटी में काम कर रहें थे तभी एक ऑस्ट्रेलियाई विज्ञान रेडियो शो के दौरान उनसे एक प्रशंसक ने सवाल किया की क्या आपको पता है की ये नाभि में हर रोज़ रुई (Navel Fluff) कहा से आ जाती है ? इस सवाल ने क्रूसजेलिनीकी को जवाब ढूँढने के लिए प्रेरित किया और इस शोध के लिए उन्हें 2002 में नोबेल पुरस्कार के सम्मान से नवाजा गया।
इसका जवाब ढूंढने के लिए डॅा कार्ल ने पहले कुछ लोगों से बात की जिनमें से कुछ ने तो हंसी में उनकी ये बात टाल दी, तो वहीं कुछ ने मजे-मजे में रिसर्च का हिस्सा बनने के लिए हामी भर दी। बता दें कि उन वॅालिएंटिर्स ने अपनी नाभि से निकलने वाले कपास यानी रूई (Navel Fluff) को दान में दिया। इन लोगों से डॅा कार्ल ने कहां कि आप लोग अपने नाभि के पास सेव कर लें और वहां मौजूद बाल को हटा लें, इसके बाद जिन लोगों ने ऐसा किया उनकी नाभि में कपास बनना बंद हो गया।
रिसर्च में पता चला क्यों निकलती है नाभि से रूई | Navel Fluff
इसके बाद डॅा कार्ल ने निष्कर्ष निकाला कि नाभि के पास के बाल रैसेस मैक्केनिजम की तरह काम करते है। ये कपड़े के रेशे निकालकर उन्हें नाभि की तरफ ढकेलते है। जो वहां जाकर जमा हो जाते है। इससे ये पता लगा कि जिसके शरीर पर जितना बाल होगा, उसकी नाभि पर उतना अधिक कपास जमा होगा। इस रिसर्च में डॅा कार्ल को पता चला कि ऐसा अधेड़े लोगों के साथ या फिर जिनका हाल फिलहाल में वजन बढ़ा उनके साथ होता है।
जॅार्ज स्टेनहाउजर ने भी किया रिसर्च
बता दें कि नाभि में कपास (Navel Fluff ) बनने की एक और थ्योरी है, जो साल 2009 में विएना यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॅालजी के जॅार्ज स्टेनहाउजर ने एक हाइपोथेसिस में पब्लिश किया था, वो रोजाना तीन साल तक अपने नाभि का कपास इकठ्ठा करते थे। उनका कहना था कि वो रोजाना अपने शरीर को साफ करते है, नहाते-धोते है लेकिन फिर भी रूई जमा हो जाती है। बता दें कि जॅार्ज ने कम से कम 503 सैंपल इकट्ठा कर उनका वजन किया जिसका वेट 1 ग्राम भी नहीं निकला।
जार्ज के रिसर्च में पता चली ये बात
वहीं जॅार्ज ने अपने हाइपोथेसिस में कुछ रोचक डिटेल्स दिए जिसमें उन्होंने बताया कि वो जिस दिन जिस रंग के कपड़े पहनते उस दिन उस रंग का कपास उनकी नाभि से निकलता, इससे ये पता चला कि कपास कपड़े से निकले रेशो से ही बनता है। वहीं दूसरा फैक्ट नाभि में कपास बनाने का काम उसके आसपास मौजूद बाल के कारण होता है।
नाभि से रूई निकलने के साथ सारी गंदगी हो जाती है बाहर
बता दें कि एक दिन जार्ज नें सफेद रंग की सूती धागे से बनी शर्ट पहनी, वो ये पता करना चाहते थे कि नाभि में बना कपास (Navel Fluff) क्या सिर्फ कपड़ों के रेशों से बनता है, या इसके पीछे और कोई कारण है, इसलिए उन्होंने एक दिन प्योर कॅाटन शर्ट पहनी और उस दिन अपनी नाभि से निकले कपास और अपने शर्ट दोनों का केमिकल टेस्ट किया। जिसमें ये सामने आया कि नाभि के कपास में कपड़ो के रेशों के अलावा धूल-डेड स्कीन और पसीना भी मिला होता है। उन्होंने इस बात से निष्कर्ष निकाला कि जिन लोगों की नाभि से कपास निकलता है उनकी नाभि ज्यादा साफ होती है, क्योंकि कपास के साथ बाकी गंदगी भी बाहर निकल जाती है।
अबतक केवल दो ही लगो ऐसे हुए जिन्होंने इस सवाल का जवाब ढूंढा, जिसे हम गैर जरुरी और फालतू समझकर छोड़ देते थे, जिनमें पहले शख्स थे डॅा कार्ल और दूसरे जॅार्ज स्टेनहाउजर।
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