मोदी सरकार के 5 दांव कर गए काम, विपक्ष के सभी रास्ते हुए बंद
2019 के लोकसभा चुनावो में नरेंद्र मोदी एक बार फिर प्रचंड जीत पाकर यह बता दिया कि उनका जीत का फार्मूला उनके विरोधियों का किला ध्वस्त करने में काम आया। मोदी ने एक बड़े जनादेश के बाद देश की केंद्रीय सत्ता में वापसी की है। उन्होंने इन चुनावों में जीत के कई रिकार्ड्स बनाये, वह अपनी लोकसभा वाराणसी लोकसभा सीट से 6,74,664 के रिकॉर्ड वोटों से जीते और साथ ही आज़ादी के बाद यह पहली बार हुआ कि किसी लोकसभा चुनावों में देश की जनता ने इतना बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया हो।
तो यह बात सभी के दिमाग में आना लाज़मी है कि आखिर क्या वजह है जिसकी वजह से विपक्ष गठबंधन बनाकर भी मोदी के टिक नहीं पाया। मोदी ने अपने पिछले कार्यकाल में कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किये जिससे देश के आम नागरिकों को बहुत फायदा पंहुचा है। आइये आपको बताते हैं कि मोदी की वो कौन सी पांच रणनीतियाँ हैं जिन्होंने इस प्रचंड जीत में मुख्य भूमिका निभाई।
1. प्रधानमंत्री आवास योजना:
इस योजना के अंतर्गत शहरी इलाके में ”सभी के लिए घर” मिशन के तहत मोदी प्रधानमंत्री आवास योजना लेकर आये। इस योजना के अंतर्गत वह गरीबों के लिए घर मुहैया करवाने के मिशन पर हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उनकी सरकार का 2022 तक सभी नागरिकों को समुचित आवास मुहैया कराना लक्ष्य है। पीएम मोदी ने ये बातें चुनाव से ठीक पहले कही और लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्होंने निजी क्षेत्र से मदद की अपील की थी।
प्रधानमंत्री आवास योजना को 17 जून 2015 से प्रभावी कर दिया गया था। इस मिशन के तहत क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम प्रस्तुत की गयी थी जिसके अंतर्गत आप 3-6 लाख तक का होम लोन ले सकते थे जिस पर लोन की ब्याज की राशि पर केंद्र सरकार आपको सब्सिडी प्रदान करती है। बाद में इस योजना में मध्यम वर्ग को भी शामिल कर लिया गया जिसके बाद होम लोन बढाकर 18 लाख तक कर दिया गया। अब तक इस योजना के तहत 70 फीसदी घरों का निर्माण हो चुका है। मोदी सरकार के कार्यकाल में 2014 से 2017 के बीच हर साल 3.5 लाख घर बनाए गए। इस योजना से मोदी ने निम्न वर्गीय और मध्यम निम्न वर्गीय परिवारों को घर देकर उनके दिल में अपनी जगह बनायीं और उनके विश्वास के साथ उनका वोट भी जीत लिया।
2. . उज्ज्वला योजना:
केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से कमजोर वर्ग के परिवारों खासकर महिलाओं को बहुत राहत मिली है। इस योजना को 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया में लॉन्च किया गया था। इस योजनना के तहत सरकार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को घरेलू रसोई गैस (एलपीजी (LPG) गैस) का कनेक्शन देती है।
अब तक ग्रामीण इलाकों में खाना पकाने के लिए परंपरागत रूप से लकड़ी और गोबर के उपले का इस्तेमाल किया जाता था। इससे निकलने वाले धुएं का खराब असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना से ऐसी महिलाओं को राहत मिली है। अब तक इस योजना के दायरे में देश के 714 जिले आ चुके हैं और 7,19,12,113 परिवारों को गैस कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इस योजना के कारण मोदी को महिलाओं का वोट इन चुनावों में खूब मिला।
3. सौभाग्य योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के हर घर तक बिजली पहुंचाने के लिए सहज बिजली हर घर योजना या सौभाग्य योजना 2017 में लांच की थी। इस योजना के अनुसार जिन लोगों का नाम साल 2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना में है, उन्हें इस योजना के तहत मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया जाता है। जिन लोगों का नाम सामाजिक-आर्थिक जनगणना में नहीं है, उन्हें बिजली का कनेक्शन सिर्फ 500 रुपये के शुल्क पर मिल सकता है। इस योजना के अंतर्गत लक्षित 26.04 लाख परिवारों में से, 31 मार्च को 99.93% यानि कि 26.02 मिलियन परिवारों को बिजली कनेक्शन मिला है। इस योजना से उत्तर प्रदेश, ओडिशा, जम्मू कश्मीर, झारखंड, दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के सभी गांव में बिजली पहुंची और इसके लिए यहाँ के लोग मोदी के शुक्रगुज़ार हैं।
4. आयुष्मान भारत:
आयुष्मान भारत योजना प्रधानमंत्री मोदी के ‘स्वस्थ भारत’ मिशन के तहत बनायीं गयी है। मोदी की सभी योजनाओं में से इसे सबसे सफल योजनाओं में गिना जाता है। इसके तहत देश के 10 करोड़ परिवारों और 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देने का लक्ष्य है। दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना के रूप में जानी जाने वाली यह योजना, 1.07 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारोंको प्रति परिवार 5 लाख रुपये का वार्षिक स्वास्थ्य कवर प्रदान करती है। इस योजना के पहले 100 दिनों में, 6,85,000 लोगों ने योजना का लाभ उठाया है। मोदी सरकार की यह स्कीम इतनी सफल रही कि लॉन्चिंग के बाद सिर्फ 8 महीनों में 18 लाख से ज्यादा लोग इसका लाभ उठा चुके हैं।
5. सवर्णों को आरक्षण:
आप यह कह सकते है कि इस योजना ने मोदी की जीत में एक बड़ी भूमिका निभाई है। चुनावों के ठीक पहले जनवरी 2019 में सरकार यह योजना लेकर आयी। इस योजना के तहत धर्म और जाति के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी कोटा दिया जायेगा। यह कोटा अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए मौजूदा 50 प्रतिशत कोटा से ऊपर है, कुल आरक्षण 60 प्रतिशत है। अभी तक देश के पढ़ें-लिखे वर्ग हमेशा आरक्षण के विरोध में नज़र आते थे लेकिन इस फैसले क सभी ने खुले दिल से स्वागत किया।