विवाह पंचमी 2018: आज ही के दिन हुई थी भगवान राम व माता सिता की शादी
मार्गशीर्ष माह में बहुत सारे व्रत-त्यौहार होते हैं और इसी में विवाह पंचमी की भी विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह सम्पन्न हुआ था। तभी से इस पंचमी को ‘विवाह पंचमी पर्व’ के रूप में मनाया जाता है। इस बार विवाह पंचमी 12 दिसंबर 2018 यानि आज मनाया जा रहा हैं| बता दें कि यह त्यौहार नेपाल में विशेष रूप से मनाया जाता है क्योंकि माता सीता मिथिला नरेश राजा जनक की पुत्री थी। ऐसे में आज हम आपको पुरोषत्तम श्री राम और माता सीता के विवाह की कथा बताने जा रहे हैं क्योंकि इसके सुनने से चमत्कारिक लाभ मिलते हैं|
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विवाह पंचमी कथा
भगवान राम और माता सीता की कथाएं रामायण की ही तरह सैकड़ों वर्षों से प्रचलित हैं और इसी में दोनों के विवाह की कथा भी पौराणिक है। दरअसल रामायण में भगवान श्रीराम और माता सीता की विवाह गाथा का वर्णन किया गया हैं| पुराणों के मुताबिक भगवान राम भगवान विष्णु और माता सीता देवी माँ लक्ष्मी के रूप में जन्म लिए थे। राजा दशरथ के घर श्री राम और राजा जनक के घर में माता सीता का जन्म हुआ था|
पुराणों के मुताबिक माता सीता का जन्म पृथ्वी से हुआ था। जब राजा जनक हल जोत रहे थे, तब उन्हें एक नन्ही सी बच्ची मिली थी और यह कोई और नहीं बल्कि माता सीता ही थीं। एक बार माता सीता ने मंदिर में रखे धनुष को उठा लिया था और इस धनुष को परशुराम के अलावा और कोई नहीं उठा पाया था। जब माता सीता ने इस धनुष को उठाया था, तभी से राजा जनक ने यह घोषणा कि जो कोई भी भगवान विष्णु के इस धनुष को उठाएगा उसी से सीता का विवाह होगा।
सीता के स्वयंबर में महर्षि वशिष्ठ के साथ भगवान राम और लक्ष्मण भी दर्शक के रूप में विराजमान थे। माता सीता के स्वयंवर में कई राजाओं ने प्रयास किया लेकिन कोई भी उस धनुष को हिला तक नहीं सका और इस बात से राजा जनक ने करुणा भरे शब्दों में कहा मेरी सीता के लिए कोई भी योग्य नहीं है, राजा जनक के इस हाल को देखकर महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम से इस स्वयंवर में हिस्सा लेने को कहा। गुरु की आज्ञा पाते ही भगवान राम ने धनुष को उठाया और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने लगे और प्रत्यंचा चढ़ाते वक्त धनुष टूट गया।
भगवान राम के बल को देख माता सीता उन पर मोहित हो गईं और जयमाला राम के गले में डाल दिया और इस तरह भव्य आयोजन में माता सीता और भगवान राम का विवाह संपन्न हो गया| माता सीता और भगवान राम के विवाह के दिन को ही विवाह पंचमी कहा जाता है। राम और सीता के शुभ विवाह के कारण ही यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है।
बता दें कि भारतीय संस्कृति में राम-सीता आदर्श दम्पत्ति के रूप में माने जाते हैं और ऐसी मान्यता है कि यदि विवाह होने में किसी प्रकार की बाधा आ रही है तो विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा और कथा को सुने| ऐसे में यदि विवाह पंचमी के दिन सीता और राम का विवाह करवाया जाए तो विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी।