बदलती काशी में खुला अनोखा म्यूजियम, जहां हल्की बारिश में उठाएंगे बनारसी पान का लुफ्त
वाराणसी को बनारस और काशी के नाम से भी जाना जाता हैं, इसके अलावा वाराणसी को धार्मिक शहर, मंदिरों का शहर और घाटो का शहर भी कहा जाता हैं| यहाँ लोग देश-विदेश से घूमने के लिए आते हैं और इस प्राचीन शहर को अपनी यादों में बसाकर जाते हैं| दरअसल काशी में घूमने के लिए सिर्फ मंदिर, घाट, हस्तकला संकुल ही नहीं बल्कि इसके अलावा भी एक ऐसा नया स्थान हैं, जहां आपको एक बार जरूर जाना चाहिए|
वैसे यहाँ के रहने वालों के लिए यह जगह नई नहीं हैं लेकिन वाराणसी नए कलेवर के साथ सांस्कृतिक रंगो से सराबोर हैं, बता दें कि महादेव की नगरी वाराणसी में एक ऐसा म्यूजियम बना हैं, जहां पर वास्तविक कुछ नहीं, सब कुछ आभासी हैं| हालांकि आप इस म्यूजियम को छु नहीं सकते, बस महसूस कर सकते हैं| ऐसे में यदि आपको एक ही जगह बनारस के बारे में जानना हैं तो आप इस म्यूजियम में जरूर जाएँ, आइए इसके खासियत के बारे में जानते हैं|
काशी में खुला अनोखा म्यूजियम
इस आभासीय अनुभूति संग्रहालय का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 फरवरी को किया, इसको बनाने में कुल 11.01 करोड़ रुपये की लागत आयी हैं| यह आभासी म्यूजियम काशी की धर्म, कला और संस्कृति को बेहतरीन तरीके से आभास कराता हैं। बता दें कि इस आभासी म्यूजियम में जैसे ही आप प्रवेश करेंगे वैसे ही एक नजर में आपको पूरे काशी का संक्षिप्त दर्शन होगा| इस म्यूजियम में एक मंदिर है जहां पर लगी घंटी को छूते ही घंटे की आवाज और शिवलिंग पर पुष्प वर्षा स्क्रीन पर दिखेगी।
इसके अगले पल में ही आपको बनारसी पान और काशी की गलियों का आभास होगा। इसमें आपको थ्रीडी वीडियो में गंगा के उद्गम और काशी में प्रवाहित और मंदिरों के इतिहास भी जानने को मिलेगा। इसके अलावा बारिश की हल्की फुहार, घाट, गंगा का अवतरण, विश्व प्रसिद्ध रामलीला, नाग नथैया, भरत मिलाप, बनारसी साड़ी से लेकर काशी की मीनाकारी और काशी की पत्रकारिता के साथ ही काशी का साहित्य और यहां आने वाले ह्वेनसांग से लेकर रविन्द्र नाथ टैगोर तक की जानकारी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषा में आपको मिलेगी|
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस म्यूजियम को पूरा घूमने और इसे महसूस करने के लिए लगभग एक घंटे का समय लगेगा| इस म्यूजियम की खास बात यह हैं कि आपको यह बात महसूस ही नहीं होगा कि आप सिर्फ आभासी चीजों को देख रहे हैं और इसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं हैं| कहने का तात्पर्य यह हैं कि आप आभासी चीजों को देखकर भी लगेगा कि वो चीज आपके सामने हैं| हालांकि मान महल में सही ढंग से बिजली की व्यवस्था ना होने के कारण, इसे देखने में पर्यटकों को थोड़ी परेशानी हो रही हैं| लेकिन इस समस्या से जल्द ही छुटकारा पाया जा सकता हैं|