कुंडली में बने सिर्फ ये शुभ योग ही करवा सकते हैं विदेश यात्रा
विदेश घुमने की इच्छा किसके मन में नहीं होती। इसके विदेश जाने के लिए बहुत से लोग मेहनत करके जाते हैं तो बहुत से गलत रास्ते से। लकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विदेश जाने के सपने अक्सर उन्हीं लोगों के सच होते हैं जिनकी कुंडली में इन ग्रहों का शुभ संयोग बना हुआ होता है। इनके अभाव में विदेश यात्रा करना काफी कठिन होता है, कौन से ग्रह है जो किसी भी व्यक्ति को उसे विदेश यात्रा करवाते हैं आइए आपको बताते हैं।
शुभ योग कराएँगे विदेश यात्रा
ज्योतिषाचार्य के अनुसार केवल उन्हीं लोगों की विदेश जाने का इच्छा पूरी हो सकती है जिनकी कुंडली में विदेश जाने के योग बन रहे हो। अगर आपकी कुंडली में विदेश यात्रा का योग नहीं है तो लाख कोशिशों के बाद भी विदेश नहीं जा पाएंगे। कुंडली में ऐसे कई ग्रह संयोग बनते हैं जिनके बनने से जातक के विदेश जाने की इच्छा पूरी हो सकती है। इसके लिए जातक की कुंडली में सारे ग्रह सही स्थान पर होने चाहिए।
लेकिन ग्रह का सही स्थान पर होना ही काफी नहीं है बल्कि इनका प्रबल होना भी बहुत जरूरी है। कुंडली में अगर सारे ग्रह अपने सही स्थान पर है लेकिन वे मकजोर है तो ऐसी स्थिति में भी आप विदेश यात्रा नहीं कर पाएंगे। इसके साथ ही आपकी कुंडली में विदेश यात्रा के कारक भाव पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि पड़ने पर भी योग प्रभावी नहीं हो पाता है। कुल मिलाकर आपको कुंडली में योग व ग्रहों की शक्ति को बढ़ाने के लिए अपने कुल देवता एवं सूर्य की उपासना करानी चाहिए।
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विदेश यात्रा के योग
बता दें कि कुंडली में विदेश यात्रा का योग बनने का भाव नवां और बारहवां माना जाता है। लेकिन इसके अलावा भी कुंडली में कई भाव है जिनमें अनुकूल योग बनने से जातक विदेश जा सकते हैं और सपना पूरी कर सकते हैं। लग्नेश का सप्तम भाव में आना आपको विदेश यात्रा पर जाने के लिए सबसे ज्यादा और मजबूत योग बनाता है। अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा राहु का संबंध किसी भी भाव में बन रहा है तो यह आपके विदेश यात्रा के योग बना रहा है।
दशम व द्वादश भाव के स्वामियों का आपस में संबंध बन रहा है तो यह भी आपके लिए विदेश यात्रा का शुभ संकेत दे रहा है। वहीं अगर इन पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो तो इसका प्रभाव कम हो जाता है और आपके विदेश जाने पर संयस बना रहता है।