वाराणसी में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ लोगों को जागरूक कर रही ये अनोखी लाइब्रेरी
दिल्ली समेत देश के दूसरे इलाकों में प्रदूषण की स्थिति आज किसी से छुपी नहीं है, खराब हवा की वजह से लोगों को सांस लेने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा ही कुछ हाल पीएम मोदी के संसदीय छेत्र वाराणसी का भी है। यहां की हवा में भी इन दिनों जहर घुल गया है। अगर एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात की जाय तो आकंड़ा वाराणसी में 400 के पार पहुंच गया है। जो कि काफी चिंताजनक बात है। आलम ये है कि यहां के अस्पतालों में अचानक सांस के मरीजों की संख्या भी बढ़ गयी है। वाराणसी के जिलाधिकारी को आपात बैठक बुलानी पड़ी है।
प्रदूषण विभाग ने 4 संस्थानों को नोटिस देकर 50-50 हजार का जुर्माना भी लगा दिया है। पर इन सबके बीच एक चीज ऐसी है जो बहुत अच्छी है। जी हां काशी के कुछ युवा प्रदूषण के बीच लोगों में जागरूकता अभियान चला रहे हैं।
वाराणसी में युवाओं की अनोखी पहल
पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए इन युवाओं ने एक अनोखी तरह की लाइब्रेरी खोली है। इन लोगों ने इस बात का दावा किया है कि आने वाले वक्त में ये लाइब्रेरी प्रदूषण के खिलाफ बहुत कारगर तरीके से काम करेगी। आप सोच रहे होंगे कि लाइब्रेरी में तो किताबें होती हैं फिर उनका प्रदूषण से क्या मतलब ? तो हम आपको इसके पीछे की सच्चाई बता देते हैं। एक चैनल से बात करते हुए लाइब्रेरी खोलने वाले युवाओं ने बताया कि सड़क किनारे दीवारों पर पौधों से सजी ये लाइब्रेरी आज लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है।
ऐसा नहीं है कि उस लाइब्रेरी में किताबें मौजूद नहीं है, किताबें तो यहां हैं ही इसके साथ ही साथ पौधे भी यहां संग्रहित किये गए हैं। आपको जानकर बहुत सुकून महसूस होगा कि युवा इस पेड़ को बहुत ही कठिनाई से तैयार करते हैं और फिर इन पौधों को लोगों के बीच फ्री में बांट देते हैं। इन युवाओं का मकसद सिर्फ पर्यावरण की सुरक्षा करना है।
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लाइब्रेरी के बारे में जानिए
आपको बता दें कि ये लाइब्रेरी वाराणसी के अस्सी इलाके में है, इसे चार युवकों ने मिलकर बनाया है। लाइब्रेरी चलाने वाले ये युवक बताते हैं कि यहां की हवा की गुणवत्ता खराब हो रही थी इसके बाद ही फैसला लिया गया कि पर्यावरण को बचाने के प्रयास में लाइब्रेरी खोली जाय। अगर ऐसा अभी नहीं किया गया तो बाद में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। युवाओं के इस पहल की स्थानीय लोग भी काफी तारीफ कर रहे हैं।