बनारस का ये स्पेशल काढ़ा, दूर भगा देता है लोगों का जाड़ा
धीरे-धीरे ठंड अपने पैर तेजी से पसार रही और लोगों के हाथ, पैर और कमर अकड़ने लगी हैं| इतना ही नहीं ठंड की वजह से हाथ और पैर सुन्न पड़ने लगे हैं और इसके कारण कोई काम भी ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा हैं| दरअसल ठंड से राहत पाने के लिए लोग गरमा-गरम चाय की चुसकियाँ लेना पसंद करते हैं|
जहां एक ओर लोग सड़क के चौराहे पर स्थित चाय की दुकान पर चाय की चुसकियाँ लेते हैं तो वहीं लोगों की दो-चार बाते भी शुरू हो जाती हैं और यदि ये बात बनारस की हो तो फिर मत पूछिए| यहाँ लोगों को बात करने के लिए बहुत टाइम होता हैं आपको हर गली-चौराहे के पास दो-चार लोग बात करते नजर आ ही जाएंगे|
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बनारस में गरीब रिक्शे वाले ठंड के दिनों में भी रिक्शा चलाते नजर आते हैं और ये सिर्फ पेट को पालने के लिए इतने ठंड के दिन में भी रिक्शा चलाते नजर आ जाते हैं| ऐसे में उनके हाथ-पैर ठंड के वजह से ठिठुर जाते हैं और इससे राहत पाने के लिए वो तेलियाबाग स्थित मुन्नू काढ़ा वाले के दुकान पर रुक दो-चार पुरवा काढ़ा पीते हैं, मुन्नू का काढ़ा पीते ही लोगों के अंदर एक अजीब सी स्फूर्ति नजर आती हैं|
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बनारस में तेलियाबाग स्थित मुन्नू काढ़ा वाले का दुकान हैं और ये सर्दियों के दिनों में सभी को काढ़ा और चाय पिलाते हैं| दरअसल मुन्नू सरदार की अपनी चाय की दुकान हैं और ये अमीर-गरीब सभी को अपने दुकान की चाय बड़े ही प्यार से पिलाते हैं| ये उन लोगों के लिए मसीहा बन जाते हैं जो ठंड के रातों में काम करते हैं और उन्हें गरमा-गरम चाय या काढ़ा पिलाते हैं| बता दें कि ये अपने चाय में अदरक, तुलसी, अजवाइन, मुलहठी, सोंठ, काली मिर्च और सेंधा नमक जैसी पंद्रह औषधियों को मिलाते है, जो सेहत के लिए अत्यंत लाभदायक हैं|
बनारस के मुन्नू चाय वाले थोड़े अल्हड़ टाइप के बनारसी और खुशमिजाज़ व्यक्तित्व वाले इंसान हैं| शायद उनका यहीं मिजाज गरीब लोगो को खूब पसंद आता हैं, मुन्नू चाय वाले गरीब लोगों और फुटपाथी लोगों को फ्री में चाय पिलाते हैं| इतना ही नहीं वो गंगा मैया के भक्त हैं और जब भी समय मिलता हैं तो अपने पुराने मित्र के साथ गंगा जी में डुबकी लगा लेते हैं| मुन्नू चाय वाले डा. लोहिया के विचारों से प्रेरित हैं और वो शुद्ध समाजवादी हैं। हालांकि वो ज्यादा पढ़ें-लिखे नहीं हैं लेकिन बात बड़ी पते की करते हैं|