ट्रिपल तलाक | पीएम मोदी ने निभाया वादा, मुस्लिम महिलाओं को दिलाया उनका हक़
दूसरी बार सरकार बनाने से पहले पीएम मोदी ने मुस्लिम महिलाओं से जो वादा किया था आज उसे पूरा कर ही दिया। मोदी सरकार द्वारा किये गए इस प्रयास को महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम बताया गया है। फिलहाल मुस्लिम महिलाओं से एक साथ तीन तलाक को अपराध करार देने वाला ऐतिहासिक विधेयक राज्यसभा से भी पारित हो गया है। इसके साथ ही इस बिल के कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की मोदी सरकार के लगातार प्रयासों के बाद अंततः “ट्रिपल तलाक” पर समर्थन मिला और ‘आधी आबादी’ को उसका हक़ भी मिल ही गया।
महिला सशक्तिकरण की तरफ बढ़ा कदम
राज्यसभा में बिल के समर्थन में 99, जबकि विरोध में 84 वोट पड़े। इससे पहले विपक्ष की बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग भी सदन में गिर गई। राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास होने के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है। दोनों सदनों ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिया है, यह एक उन्नतिशील भारत की शुरुआत है।
विधेयक पारित होने से पहले ही जदयू एवं अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने इससे विरोध जताते हुए सदन से बहिर्गमन किया। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक प्रसिद्ध न्यायाधीश आमिर अली ने 1908 में एक किताब लिखी है। इसके अनुसार तलाक ए बिद्दत का पैगंबर मोहम्मद ने भी विरोध किया है।
शाहबानो प्रकरण की याद दिलाते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 1986 में दो दिन तक आरिफ मोहम्मद खान का भाषण हुआ था। इतनी हिम्मती कांग्रेस सरकार आखिर दहेज उत्पीड़न के अपराध को गैरजमानती बनाती है और शाहबानो पर पीछे हट गई। 1986 में शाहबानो से लेकर 2019 में सायराबानो तक कांग्रेस आज जस की तस खड़ी है। रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि 1986 में आपकी 400 सीटें आई थीं, उसके बाद 9 लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन आप तबसे गिरते ही चले गए। 1986 में शाहबाने के बाद से कांग्रेस गिरती ही चली गई, यह आपके लिए सोचने की बात है।
तीन तलाक के खिलाफ बनने जा रहे कानून में क्या हैं प्रावधान
कब दर्ज होगा 3 तलाक का केस
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के मुताबिक यह अपराध संज्ञेय (इसमें पुलिस सीधे गिरफ्तार कर सकती है) तभी होगा, जब महिला खुद शिकायत करेगी। इसके साथ ही खून या शादी के रिश्ते वाले सदस्यों के पास भी केस दर्ज करने का अधिकार रहेगा। पड़ोसी या कोई अनजान शख्स इस मामले में केस दर्ज नहीं कर सकता है।
समझौते कि लिए क्या है शर्त
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह बिल महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए है। कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है। पत्नी की पहल पर ही समझौता हो सकता है, लेकिन मैजिस्ट्रेट के द्वारा उचित शर्तों के साथ।
बेल के लिए क्या है शर्त
कानून के तहत मैजिस्ट्रेट इसमें जमानत दे सकता है, लेकिन पत्नी का पक्ष सुनने के बाद। केंद्रीय मंत्री ने कहा, यह पति-पत्नी के बीच का निजी मामला है। पत्नी ने गुहार लगाई है, इसलिए उसका पक्ष सुना जाना जरूरी होगा।
गुजारे के लिए क्या है
प्रावधान तीन तलाक पर कानून में छोटे बच्चों की कस्टडी मां को दिए जाने का प्रावधान है। पत्नी और बच्चे के भरण-पोषण का अधिकार मैजिस्ट्रेट तय करेंगे, जिसे पति को देना होगा।