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प्राथमिक विद्यालय की इस टीचर ने सरकारी स्कूल को बना दिया इतना स्मार्ट, अब एडमिशन के लिए लगती है लाइन

प्राथमिक विद्यालय की इस टीचर ने सरकारी स्कूल को बना दिया इतना स्मार्ट, अब एडमिशन के लिए लगती है लाइन

देश में प्रतिवर्ष शिक्षा के लिए हज़ारों करोड़ रुपयों बजट बनाया जाता है लेकिन असल में शायद ही इन पैसों का फायदा ज़रूरतमंद बच्चों तक पहुँच पाता है। हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने की बहुत ज़रूरत है, ऐसी बहुत सी कमियाँ हैं जिन्हे सही करने से हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुधर सरकता है। हमारे प्रसाशन के ओर से सरकारी स्कूलों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता यही कारण है कि लोगो की आर्थिक स्तिथि थोड़ी भी ठीक है तो वह अपने बच्चो को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं।

बच्चो के परिजन जानते हैं कि शुरूआती शिक्षा उच्च स्तर की होने से बच्चे का भविष्य अच्छा हो सकता है। सरकारी स्कूलों में न पढ़ाई अच्छी नहीं होती न ही छात्रों को अच्छी सुविधा दी जाती है, लोगो को यही धारणा को गलत सिद्ध करके दिखाया है एक गाँव स्कूल टीचर ने। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के गाँव रजपुरा के प्राथमिक विद्यालय की प्रिंसिपल और टीचर पुष्पा यादव की। यह सरकारी प्राथमिक विद्यालय अच्छे प्राइवेट प्राइमरी स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा और सुविधाओं में हर तरह से मात देता है। इस स्कूल में आप बच्चो को फर्श पर बैठा हुआ नहीं पाएंगे न ही कक्षा की दीवारें ख़राब है और न ही आपको गन्दगी देखने को मिलेगी। हर कक्षा में छात्रों के बैठने के लिए फर्नीचर है, कक्षा को अच्छी तरीके से सजाया गया है,यहाँ पर पढ़ाई के साथ ही अतिरिक्त पाठ्यक्रम भी पढ़ाये जाते हैं।

प्राथमिक विद्यालय की इस टीचर ने सरकारी स्कूल को बना दिया इतना स्मार्ट, अब एडमिशन के लिए लगती है लाइन

 

सरकारी स्कूल की इस टीचर ने किया कुछ अलग

आपको ये देख के हैरानी होगी कि यह स्कूल एक छोटे से गाँव में होने के बाद भी स्मार्ट क्लासेज में पढ़ाने में सक्षम है। इस स्कूल में एक लाइब्रेरी भी है जिसमे 500 से अधिक पुस्तकें हैं। आपको बता दें कि यह स्कूल हमेशा से ऐसा नहीं था, इसकी तस्वीर साल 2013 के बाद बदली गयी है। 2013 में, जब पुष्पा यादव स्कूल में शामिल हुईं तो उस समय स्कूल में सिर्फ 60 छात्र थे। जब उन्होंने पहली बार आकर स्कूल देखा तब इसकी स्तिथि कुछ अच्छी नहीं थी। स्कूल की दीवारें जर्जर थी और स्कूल परिसर में जानवर बंधे होते थे। पुष्प ने स्कूल की इस परिस्तिथि को बदलने का प्रण लिया और इसकी तस्वीर बदल दी।

 

पुष्पा से जब इस स्कूल के विषय में मीडिया ने उनसे बात की तो उन्होंने उन्होंने स्कूल को ठीक करवाने के दौरान आने वाली परेशानियों के लिए बताया कि “खासकर बरसात के मौसम में जलभराव एक बार-बार होने वाली चिंता थी। स्कूल कई दिनों तक बंद रहता था। बच्चों के स्कूल आने के कई कारण नहीं थे। आज यहां 157 छात्र पढ़ते हैं। हम शून्य ड्रॉपआउट दर पर काम कर रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने स्कूल में छात्रों की संख्या कैसे बढ़ाई तब उन्होंने बताया कि “मैंने गाँव में घर-घर जाकर माता-पिता को स्कूल भेजने के लिए मना लिया। उनमें से कई ने मुझे बताया था कि कैसे वे संस्थान में सुविधाओं की कमी के कारण अपने बच्चों को घर पर रखना पसंद करते हैं।

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यह तब था जब मैंने अपने एक रिश्तेदार की मदद ली और बच्चों को आकर्षित करने के लिए स्कूल की दीवारों को रंगीन चित्रों से रंग दिया। जल्द ही, समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी सरोजनी अग्रवाल ने स्कूल का फर्श बनवाने और जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए धन मुहैया कराया। उन्होंने आगे बताया कि, “जैसे ही लोगों ने स्कूल के बुनियादी ढांचे को हमारी पहल को देखा, सबने दान देना शुरू कर दिया। कुछ ने प्रशंसकों ने स्कूल ठीक करने में योगदान दिया, दूसरों ने एक एलईडी टीवी और कई ने किताबें भी दीं।”

सरकार से हो चुकीं हैं सम्मानित

पुष्पा यादव का शिक्षा के लिए बढ़ाया गया कदम सराहनीय है और वह बहुत से सरकारी स्कूलों के लिए प्रेरणा भी बन सकती हैं। उनके इस योगदान के लिए उन्हें 2017 में यूपी की बीजेपी सरकार द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। जिला प्रशासन द्वारा सम्मान बेस्ट टीचर अवार्ड, समाज कल्याण ट्रस्ट द्वारा बेसिक शिक्षा रत्न अवार्ड सहित कई अवार्ड उनको दिए जा चुके हैं।

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