सूर्य देवता को जल देने से पहले ध्यान रखें यह नियम वरना हो सकता है नुकसान
जो व्यक्ति सूर्योदय होने से पहले उठता हैं, वो सदैव सुखी और निरोग रहता हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार दिन का आरंभ सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनकी वंदना से किया जाना चाहिए। जब श्री विष्णु भगवान धरती पर श्रीराम के रूप में अवतरित हुए तो वो भी अपने दिन का आरंभ सूर्य नारायण की पूजा के उपरांत करते थे। मान्यता है की इनकी कृपा दृष्टि से रोग और शोक नष्ट हो जाते हैं। भारत में सूर्योपासना ऋग वैदिक काल से होती आ रही है। सूर्य और इसकी उपासना की चर्चा विष्णु पुराण, भगवत पुराण, ब्रह्मा वैवर्त पुराण आदि में विस्तार से किया गया है।
सूर्य देव को प्रत्यक्ष देवता कहा जाता है क्योंकि उन्हें मूर्त रूप में देखा जा सकता है अर्थात हर कोई इनके साक्षात दर्शन कर सकता है, आपको बता दें की सूर्य देवता की शक्तियों का मुख्य श्रोत उनकी पत्नी ऊषा और प्रत्यूषा हैं।
सूर्य को ज्योतिष में आत्मा का कारक माना जाता हैं, ऊर्जा और पॉज़िटिव देने के लिए सूर्य की पुजा करनी चाहिए। जो व्यक्ति सूर्य देवता को नमन करते हैं, उनके अंदर गज़ब का आत्मविश्वास होता हैं, और उनके ऊपर तंत्र-मंत्र का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता हैं। सूर्यदेव का नमन करने वाले लोगों के अंदर मन का सुख विध्यमान होता हैं। अब हम सूर्यदेव को देवता मान रहें हैं तो इनकी पुजा करने के भी कुछ विधान होते हैं| सूर्य देव को जल अर्पित करने का भी एक विधान है। यदि आप विधानपूर्वक उन्हें अर्घ्य नहीं देंगे तो सकारात्मक की बजाय नकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
आपकी जन्मकुंडली में सूर्य शुभ है तो समाज में मान-सम्मान के साथ-साथ उच्च पद की भी प्राप्ति होगी। हंसते-खेलते परिवार का साथ मिलेगा और रोगों से कोसों दूर रहेंगे। यदि सूर्य कमजोर है तो जीवन में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जब भी आप की नींद खुले तो सर्वप्रथम धरती माँ को प्रणाम करें उसके बाद आप अपने घर के किसी भी जगह से जहां सूर्यदेव की किरण आती हो वहाँ से उनको नमन करें| उसके बाद आप देखेंगे की आप में गज़ब का आत्मविश्वास होगा।
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सूर्य देव को जल देते वक्त रखें इस बात का ध्यान
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें। साफ और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- जब सूर्य लालिमा युक्त हो उस समय उनके दर्शन करके अर्घ्य देना शुभ होता है।
- अर्घ्य देते समय हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की सातों किरणें शरीर पर पड़ती हैं। सूर्य देव को जल अर्पित करने से नवग्रह की भी कृपा रहती है।
- सूर्यदेव की तीन परिक्रमा करें।
- सूर्य देव को मीठा जल चढ़ाने से लाभ मिलता हैं, मीठा जल से तात्पर्य हैं की साफ जल में मिस्री मिलाये|
- सूर्य को अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान दें की जल की धारा धीरे-धीरे दें|
- सूर्य देव को चढ़ाया गया जल किसी के पैरो को स्पर्श ना करें|
- सूर्य देव का चढ़ाया गया जल आप अपने पौधों के गमलो में दें सकते हैं| इससे वो किसी के पैर के नीचे नहीं आता हैं|
- यदि सूर्य देव का चढ़ाया गया जल यदि किसी के पैर की नीचे आ जाता हैं तो आपको अर्घ्य देने का लाभ नहीं मिलता हैं|
- सूर्य देव के चढ़ाये गए जल में कुछ बचा ले और उसको अपने हाथ में लेकर चारों दिशाओ में उसको छिड़कना चाहिए| इसके करने से हमारे आस-पास का वातावरण पाजीटीविटी आती हैं|
जहां तक हो सके हमेशा आसन पर बैठकर ही पुजा करें, जिससे की उसका आपको लाभ मिले। कभी भी जल्दबाज़ी में पुजा ना करें। मनोवांछित फल पाने के लिए प्रतिदिन इस मंत्र का उच्चारण करें-
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।